BHOPAL. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई श्री रामचंद्र पथ गमन न्यास की पहली बैठक में रामचंद्र पथ गमन न्यास को मंजूरी मिल गई है। अब प्रदेश में श्री राम वनवास के समय जिन रास्तों से निकले उसके विकास में तेजी आएगी। इसके साथ ही रामचंद्र पथ गमन न्यास के लिए दो मैनेजर अपाइंट होंगे। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
प्रोजेक्ट मैनेजर फाइनेंस पर 1 साल की लिए नियुक्ति
रामचंद्र पथ गमन न्यास में दो मैनेजर अपाइंट होंगे। इसे लेकर संस्कृति विभाग ने 5 फरवरी तक 65 साल की उम्र तक के एक्सपर्ट्स से आवेदन मांगे हैं। प्रोजेक्ट मैनेजर फाइनेंस के एक पद पर एक साल के लिए मैनेजर अपाइंट किया जाएगा। हालांकि मैनेजर के परफामेंस के आधार पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है। इसके लिए स्थापना, वित्त और लेखा संबंधी काम का 25 साल का अनुभव रखने वाले इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा आवेदक एमपी वित्त सेवा का रिटायर अधिकारी होना चाहिए या फिर वह प्रदेश के विभिन्न विभागों में काम कर चुका हो।
प्रोजेक्ट मैनेजर सामान्य के पद के लिए ये एक्सपीरियंस
वहीं प्रोजेक्ट मैनेजर सामान्य के पद के लिए एमबीए, जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री, साहित्य, संगीत, कला और सांस्कृतिक क्षेत्र में पांच साल का अनुभव, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कोआर्डिनेशन का एक साल का एक्सपीरियंस होना चाहिए। आवेदक को शारीरिक रूप से दुर्गम स्थानों पर भ्रमण की क्षमता भी होना चाहिए। इसके लिए 5 फरवरी तक आवेदन कर सकते है।
भगवान राम ने मप्र में गुजारा था इतना समय
मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ चित्रकूट से अमरकंटक तक 370 किलोमीटर है। यहां राम ने वनवास के दौरान 11 साल 11 महीने और 11 दिन का समय गुजारा। भगवान राम जिस रास्ते से गुजरे उसे राम वन गमन पथ कहा जाता है। राज्य में सतना, पन्ना, कटनी, जबलपुर, नर्मदापुरम, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले के स्थलों को चिन्हित किया गया। इसमें स्फटिक शिला, सिद्धा पहाड़,गुप्त गोदावरी, अश्वमुनि आश्रम, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सीता रसोई, अग्निजिन्हा आश्रम,रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंभ,श्रीराम मंदिर, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, मार्कडेय आश्रम, दशरथ घाट, सीता मढ़ी शामिल है।
क्या है राम वन गमन पथ ?
राम वन गमन पथ वह मार्ग है, जो भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान अपनाया था। यह मार्ग अयोध्या से शुरू होकर श्रीलंका पर खत्म होती है। यह मार्ग हिंदू धर्म में बहुत पूजनीय है क्योंकि भगवान राम के जीवन की विभिन्न प्रमुख घटनाएं इसी मार्ग पर घटी हैं। राम वन गमन पथ भारत के दस राज्यों से होकर गुजरता है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल शामिल है। इस मार्ग पर लगभग 248 स्थान हैं, जो किसी न किसी रूप में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास से जुड़े हुए हैं। राम वन गमन पथ का सबसे पहला पड़ाव चित्रकूट है। चित्रकूट भगवान राम की कर्म भूमि है। भगवान राम ने वनवास के 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। चित्रकूट में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जो भगवान राम से जुड़े हुए हैं।
चित्रकूट से आगे बढ़ते हुए, राम वन गमन पथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल से होकर गुजरता है। इस मार्ग पर कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
पंचवटी: यह वह स्थान है जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान अपने वनवास का सबसे अधिक समय बिताया था।
लंका: यह वह स्थान है जहां भगवान राम ने रावण का वध किया था और माता सीता को मुक्त कराया था।
Q & A
प्रश्न 1: राम वन गमन पथ का क्या महत्व है?
उत्तर: राम वन गमन पथ का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। भगवान राम हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनका वनवास का समय हिंदू धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कालखंड माना जाता है। इस दौरान भगवान राम ने कई ऐसे कार्य किए, जिन्होंने हिंदू धर्म की स्थापना और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राम वन गमन पथ इन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए, यह पथ हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
प्रश्न 2: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ का क्या महत्व है?
उत्तर: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ का बहुत महत्व है। भगवान राम ने अपने वनवास का सबसे ज्यादा समय मध्य प्रदेश में बिताया था। उन्होंने चित्रकूट में 11 वर्षों तक वनवास किया था। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य हैं:
- उन्होंने चित्रकूट में शबरी से भेंट की।
- उन्होंने चित्रकूट में हनुमान जी से भेंट की।
- उन्होंने चित्रकूट में लक्ष्मण जी की जान बचाई।
- उन्होंने चित्रकूट से लंका की यात्रा शुरू की।
इन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़े हुए कई धार्मिक स्थल मध्य प्रदेश में हैं। इसलिए, मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है।
प्रश्न 3: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के विकास में क्या चुनौतियां हैं?
- उत्तर: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के विकास में कई चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं:
- पथ का अधिकांश हिस्सा जंगलों से होकर गुजरता है। इसलिए, इस पथ के विकास में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- पथ का कुछ हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरता है। इसलिए, इस पथ के विकास में स्थानीय लोगों की सहमति और सहयोग प्राप्त करना एक चुनौती है।
- पथ के विकास में पर्याप्त धन की आवश्यकता है।
इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार को व्यापक योजना बनाकर कार्य करना होगा।
प्रश्न 4: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के विकास के लिए सरकार क्या कर रही है?
- उत्तर: मध्य प्रदेश सरकार राम वन गमन पथ के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने 2023 में श्री राम वन गमन पथ न्यास का गठन किया है। यह न्यास पथ के विकास के लिए योजना बना रहा है। सरकार ने पथ के विकास के लिए 600 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया है।
- सरकार पथ के विकास के लिए निम्नलिखित कार्यों पर ध्यान दे रही है:
- पथ को सुगम और सुरक्षित बनाया जाएगा।
- पथ के किनारे धार्मिक स्थलों का विकास किया जाएगा।
- पथ के आसपास बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि राम वन गमन पथ के विकास से मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।