BHOPAL. एमपी का व्यापमं घोटाला लोगों का पीछा नहीं छोड़ रहा है। घोटोले से संबंधित मामलों में अभी भी सुनवाई और सजा का दौर जारी है। इसी क्रम में भोपाल की सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार (16 जून) को व्यापमं मामले में दो लोगों को 7-7 साल जेल और 10 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है, जबकि तीन अन्य अभ्यर्थियों के अनुपस्थित होने के कारण उन्हें फरार घोषित करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। मामला मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 से जुड़ा है। तीनों अभ्यर्थियों की जगह अन्य लोगों ने बैठकर परीक्षा देकर उन्हें पास कराया। सीबीआई जांच के दौरान दो नामजद और एक अज्ञात को आरोपी बनाया गया।
क्या है पूरा मामला
यहां बता दें दस साल पहले 2013 में मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा हुई थी। इसमें परीक्षार्थी जितेंद्र सिंह सेंगर, सत्येंद्र सिंह सेंगर और केशव सिंह वडेरिया ने अपनी जगह पर परीक्षा देने के लिए अमित आलोक, सतीश मौर्य और एक अज्ञात को बैठाया। जितेंद्र सिंह सेंगर, सत्येंद्र सिंह सेंगर और केशव सिंह वडेरिया ने गलत तरीके से परीक्षा पास की थी। मामले की सीबीआई जांच के दौरान परीक्षा देने वाले अमित आलोक और सतीश कुमार मौर्य को आरोपी बनाया गया।
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फरार आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
सुनवाई के दौरान सीबीआई के विशेष न्यायाधीश नीति राज सिंह सिसोदिया ने शुक्रवार (16 जून) को फैसला सुनाया। पांच आरोपियों को दोषी पाया गया। अभ्यर्थियों की जगह पेपर देने वाले अमित आलोक और सतीश कुमार मौर्य को प्रतिरूपण, मूल्यवान प्रतिभूति के दस्तावेजों के कूटकरण, कूट रचित दस्तावेजों का गलत तरीके से इस्तेमाल करने, छल और आपराधिक षड्यंत्र के लिए 7-7 साल की कठोर कारावास और 10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई। अन्य तीनों आरोपी परीक्षार्थियों जितेंद्र सिंह सेंगर, सत्येंद्र सिंह सेंगर और केशव सिंह बड़ेरिया सजा सुनाने के दौरान अनुपस्थित रहे। जिसके कारण उन्हें फरार घोषित करते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
क्या है व्यापमं घोटाला
व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है। इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए थे। कुछ लोगों की तो मौत हो गई, जबकि कुछ लोग सलाखों के पीछे हैं। अब हाईकोर्ट खुद इस मामले की जांच करवा रही है। व्यापम घोटाले में सरकारी नौकरियां घूस लेकर रेवड़ियों की तरह बांटी गई।