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UMARIA. उमरिया की जिला आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता अब लोकायुक्त पुलिस के शिकंजे में हैं। उनहें 1.20 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। बड़ी बात यह है कि रिनी गुप्ता की यह पहली ही पोस्टिंग थी और उन्होंने काफी कम समय में रिश्वत खाने का पूरा सिस्टम बना रखा था। सिस्टम भी ऐसा कि कोई आसानी से ट्रैप भी न कर पाए। वह अपने चैंबर में किसी को भी मोबाइल के साथ एंट्री ही नहीं देती थी। दूसरी किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को भी लाने की अनुमति नहीं थी। हर शराब ठेकेदार से 80 हजार रुपए रिश्वत ली जाती थी। 30 हजार वीआईपी घूस और 50 हजार पर्सनल घूस।
वीआईपी का मतलब उच्च अधिकारियों की घूस
रिनी गुप्ता ने घूस के दो लेवल निर्धारित कर रखे थे, पहला लेवल वीआईपी था। जिसका मतलब था वह रिश्वत जो ऊपर के अफसरों को पहुंचाई जाती थी। वहीं पर्सनल घूस रिनी गुप्ता खुद अपने पास रखती थी। ठेकेदारों को बकायदा हर माह का टारगेट बता दिया जाता था। तय तारीख पर रकम पहुंचाना अनिवार्य था। जो घूस देने में आनकानी करता उस ठेकेदार पर लीगल एक्शन ले लिया जाता था।
वॉट्सएप कॉल पर होती थी बातचीत
घूस लेते हुए ट्रैप होने से बचने के लिए आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता हमेशा वॉट्सएप कॉल पर ही ठेकेदारों से बातचीत करती थी। साफ ताकीद दे रखी थी कि सिस्टम में रहोगे तो सब चलता रहेगा। जिसने नियम तोड़ा उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। आलम यह था रिश्वत की रकम लेकर पहुंचने वाले शराब ठेकेदारों से भी उनके मोबाइल चेंबर के बाहर रखवा दिए जाते थे।
ठेकेदार ने ही कराया ट्रैप
रिनी गुप्ता को ट्रैप करवाने वाले ठेकेदार निपेंद्र सिंह ने बताया कि मैडम ने साफ कह रखा था कि लाइसेंस फीस से उन्हें कुछ नहीं मिलता। अच्छे से कारोबार करना है तो सिस्टम में आना पड़ेगा। ठेकेदार का कहना है कि मैंने जब सिस्टम पूछा तो बताया गया कि वीआईपी के 30 हजार और पर्सनल के 50, कुल 80 हजार रुपए महीना देना होगा। बाकी ग्रुप भी यही करते हैं। आबकारी अधिकारी की बात सुनकर ठेकेदार ने मन बना लिया था कि इस महिला अफसर को सबक सिखाना ही पड़ेगा।
ठेकेदार पर बना दिया था केस
निपेंद्र सिंह ने बताया कि हमारा कारोबार वैसे भी मुश्किल में था और 23 अगस्त को हमारी दुकान पर केस बना दिया गया। 14 पेटी शराब मैडम ने यह कहकर जब्त कर ली कि यह अवैध है। जबकि उस शराब का टैक्स जमा किया था। फिर भी केस बना दिया। हमारी दूसरी दुकानों पर भी 7 केस बना दिए। जो पैसे नहीं देता था उसकी दुकान का लायसेंस सस्पेंड कराने पूरी कोशिश की जाती थी। मैंने लोकायुक्त को शिकायत कर दी, मैं रिश्वत के 1.20 लाख लेकर गया तो मैडम ने फोन ड्राइवर के पास रखवा दिया। मेरे निकलने के बाद लोकायुक्त की टीम मौके पर आ धमकी और मैडम से रिश्वत के सारे नोट बरामद कर लिए।