JAIPUR. राजस्थान के चुनाव में बड़ा चुनावी मुद्दा बने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ईआरसीपी को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पहली बार कोई पुख्ता वादा किया है। बुधवार को भरतपुर में मीडिया से बात करते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रचंड बहुमत से अगली सरकार बीजेपी की बनेगी और कैबिनेट की पहली बैठक में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को स्वीकृति देकर पूर्वी राजस्थान के पूरे 13 जिलों में पीने और सिंचाई का पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने का पानी और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की राष्ट्रीय परियोजना के रूप में मंजूरी राजस्थान में इस बार एक बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी हर बैठक और सार्वजनिक सभा में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। मंगलवार को भी कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसे लेकर नकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं लेकिन केंद्र ने यदि जिद पकड़ी हुई है तो मेरी भी जिद है कि हम इस परियोजना को हर हाल में पूरा करेंगे।
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इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से अब तक किसी भी तरह का कोई पुख्ता वादा या बात नहीं की जा रही थी। बीजेपी के नेता इसे लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर राजनीति करने का आरोप तो लगाते रहे हैं लेकिन इस परियोजना को लागू किए जाने या मंजूर किए जाने को लेकर कोई पुख्ता वादा अभी तक भाजपा नेताओं की ओर से नहीं किया गया था।
बुधवार को भरतपुर में अपने दौरे में केंद्र जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पहली बार इसे लेकर पार्टी का स्टैंड क्लियर किया। भरतपुर उन 13 जिलों में शामिल है जिन्हें इस परियोजना के तहत पानी मिलना है।
गहलोत के दावे को गलत बताया
भरतपुर दौरे पर आए केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने मीडिया से बातचीत में ईआरसीपी पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को लेकर गहलोत सरकार विशुद्ध राजनीति कर रही है। इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए जो तकनीकी स्वीकृतियां देनी चाहिए थीं, वह राज्य सरकार ने केन्द्र को आज तक नहीं दी है। अब इस मुद्दे पर गहलोत सरकार बेनकाब हो रही है और जनता का भ्रम दूर हो रहा है। उन्होंने कहा कि गहलोत जिस ईआरसीपी को खुद पूरा करने की बात कह रहे हैं, उससे मात्र तीन जिलों जयपुर, टोंक और अजमेर की प्यास बुझेगी। भरतपुर, अलवर सहित पूर्वी राजस्थान के शेष जिलों के कंठ प्यासे ही रहेंगे।
राज्य सरकार ने नही दी तकनीकी स्वीकृति
शेखावत ने कहा कि किसी परियोजना को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने के लिए पर्यावरण, वन, वित्तीय और तकनीकी क्लीयरेंस जरूरी है, लेकिन इस मामले में गहलोत सरकार तकनीकी स्वीकृतियां उपलब्ध नहीं करा पाई। उन्होंने कहा कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में राज्य की कुल आबादी के 40 प्रतिशत लोग रहते हैं। गहलोत सरकार की राजनीति के चलते इन 13 जिलों की जनता त्रस्त और बदहाल है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई है।
खामी दूर करने के बजाय राजनीति की
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2016 में वसुंधरा राजे सरकार ने ईआरसीपी की परिकल्पना के विषय में विचार किया। वर्ष 2017 में वाप्कोस को डिजाइन बनाने के लिए दिया, लेकिन राजस्थान ने देश के तय मानक 75 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया, जिसे स्वीकृति नहीं मिली। वसुंधरा जी की सरकार के समय ही सीडब्ल्यूसी ने इसे सही करके बनाने के लिए कहा। दुर्भाग्य से सरकार बदली और गहलोत सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाने के बजाय इसे राजनीति की फुटबॉल बनाने का काम किया।
एक भी मीटिंग में नहीं आए सीएम और मंत्री
शेखावत ने कहा कि राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत को मैंने बार-बार पत्र लिखकर आग्रह किया कि इस पर आगे मार्ग निकालते हैं। हमने दस बार मीटिंग्स का आयोजन किया, लेकिन एक भी बार राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री, पहले अशोक गहलोत के पास ही इसका दायित्व था, न वो बैठक में आए, न मंत्री उस बैठक में उपस्थित हुआ। प्रधानमंत्री के निर्देश पर जयपुर में 18 अप्रैल 2022 को बैठक रखी, जिसकी एक महीने पहले सूचना मुख्यमंत्री और मंत्री को देखकर समय निश्चित किया। बैठक की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री और मंत्री की तरफ से कहलवा दिया गया कि वो दोनों नहीं आ सकते। उन्होंने कहा कि उस बैठक में भी राजस्थान के अधिकारियों ने हमारी बात पर सहमति व्यक्त की, लेकिन दुर्भाग्य से ईआरसीपी सिरे नहीं चढ़ पाई।
बीसलपुर-ईसरदा लिंक से केवल तीन जिलों को लाभ
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अब राजस्थान सरकार ईआरसीपी के नाम पर नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना लेकर आई है। इसकी लागत 15 हजार करोड़ है और इससे बनने वाले इस लिंक से केवल 521 एमसीएम पानी मिलेगा। जो कि जयपुर शहर, अजमेर और टोंक शहर में ही पूरा हो जाएगा। भरतपुर और अलवर सहित शेष दस जिलों को एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ने की प्रकल्प के तहत राजस्थान को तेरह जिलों को पूरा पानी मिलेगा और सिंचाई भी होगी। राजस्थान के हिस्से में इसकी लागत सात सौ करोड़ रुपए ही आएगी, क्योंकि इसमें नब्बे फीसदी खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। राज्य को मात्र दस प्रतिशत ही देना होगा, लेकिन गहलोत सरकार सात सौ करोड़ के बजाय 15,000 करोड़ खर्च कर केवल तीन जिलों को पानी देगी। इसके लिए धन जुटाने के लिए भी अभी से राज्य सरकार नहरों और बांधों की जमीनें बेच रही है।
बीजेपी में कोई गुट नहीं
शेखावत ने बीजेपी में गुटबाजी की खबरों को भी निराधार बताया और कहा कि हमारे एक ही नेता है नरेन्द्र मोदी और एक ही चिन्ह कमल का फूल। सब इनके साथ खड़े हैं। विधायक का चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी जब और जैसा निर्देश देगी, वैसा ही काम होगा।