Jaipur. राजस्थान की राजनीति पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बिना अधूरी ही मानी जाती है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से नाराजगी और तमाम असहमतियाें के बावजूद उनकी हैसियत और भूमिका खेल के उस “ट्रम्प कार्ड” की तरह है, जिसे सबसे विकट परिस्थियाें में ही सामने लाया जाता है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। इस बीच भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को पिछले सप्ताह दिल्ली बुलाया था। उनके दिल्ली दौरे को लेकर कई तरह के कयास लगाए ही जा रहे थे कि सप्ताह के अंत में उन्होंने जिस तरह एक के बाद एक साधु- संतों से मिलकर उनका आशीर्वाद लेना शुरू कर दिया, उससे यह संकेत साफ हो रहे हैं कि वे एक बार फिर सक्रिय होने जा रही हैं। भाजपा उनका उपयोग राजस्थान में करने वाला है।
शनिवार काे अवधेशानंद गिरी से मिलीं
वसुंधरा राजे सप्ताह की शुरुआत में अचानक दिल्ली पहुंचकर भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मिली थीं। तभी से माना जा रहा था कि राजे काे काेई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। इन्हीं चर्चाओं के बीच उन्हाेंने शनिवार काे दिल्ली में ही अवधेशानंद गिरी जी महाराज से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया था।
रविवार काे पहुंची ऋषिकेश
इसके बाद वे रविवार काे अचानक ही ऋषिकेश पहुंच गईं। वहां पर उन्हाेंने संत मुरलीधर महाराज और स्वामी चिदानंद सरस्वती से भेंट की। इस दाैरान उनकी गंगा नदी पर साधना करते हुए एक तस्वीर भी वायरल हाे गई। जिसे लेकर तरह- तरह के कमेंट्स ट्राेलर ने किए।
पायलट के निशाने पर हैं वसुंधरा
अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे कांग्रेस के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट इन दिनाें वसुंधरा राजे काे लेकर मुखर हैं। वे अपनी ही सरकार से राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाने की मांग कर चुके हैं। पायलट इशाराें ही इशाराें में यह भी कहने से नहीं चूकते कि गहलाेत और वसुंधरा दाेनाें एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।