प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाए जाऐंगे वीर सावरकर, स्कूली शिक्षा मंत्री का ऐलान, कांग्रेस बोली- यह स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मजाक

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Chandresh Sharma
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प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाए जाऐंगे वीर सावरकर, स्कूली शिक्षा मंत्री का ऐलान, कांग्रेस बोली- यह स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मजाक

Bhopal. मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बयान दिया है कि प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में वीर सावरकर की जीवनी को शामिल किया जाएगा। जिसके बाद प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया है। कांग्रेस ने इस बयान का विरोध करते हुए इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ भद्दा मजाक करार दिया है। दरअसल मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि वीर सावरकर हमारे उन महान क्रांतिकारियों में से एक हैं जिनके एक जन्म में दो आजीवन कारावास की सजा हुई। वे पहले लेखक हुए जिन्होंने 1857 की क्रांति को स्वतंत्रता संग्राम करार दिया, वरना लोग इसे गदर की कहते थे। 




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  • परमार बोले कि भारत की आजादी में सावरकर का अभूतपूर्व योगदान है, इसलिए उनको हर जगह सम्मान मिलना चाहिए। दुर्भाग्य से देश में कांग्रेस की सरकारों ने महान क्रांतिकारियों को इतिहास में जगह नहीं दी। विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन किया गया और देशभक्तों की महानता को नकारा गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत केंद्रित शिक्षा पर काम कर रही है। देश के लिए काम करने वाले देश के हीरो बनेंगे। हम बच्चों को उनके बारे में पढ़ाने का काम करेंगे। 



    किस हैसियत से कर रहे शामिल?-आरिफ अकील




    इधर कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री आरिफ अकील ने कहा कि स्कूल के पाठ्यक्रम में आखिर सावरकर को किस हैसियत से शामिल करना चाहते हैं। यह बहुत अफसोस जनक है। अकील बोले कि हमने जो पढ़ा है, उसमें सावरकर का कहीं कोई जिक्र स्वतंत्रता संग्राम में नजर नहीं आता। उनके कुछ पत्र जरूर सोशल मीडिया में आ चुके हैं, जिनमें अंग्रेजों से माफी मांगने की इबारत शामिल है। ऐसे व्यक्ति को स्कूली सिलेबस में जोड़ना शर्मनाक है। वे तो केवल बीजेपी- आरएसएस के मार्गदर्शक हैं, इसलिए उनकी मजबूरी होगी। यह मजाक है, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का मजाक उड़ाया जा रहा है। 



    स्कूलों में बच्चों को गीता का सार भी पढ़ाएंगे



    इंदर सिंह परमार ने कहा है कि हम सभी महापुरुषों की जीवनी को सिलेबस में जोड़ेंगे, इसलिए मुख्यमंत्री ने गीता के संदेश, परशुराम, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे तमाम क्रांतिकारियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। 2018 में जब कुछ समय के लिए कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब वीर सावरकर की किताब एक स्कूल में बांट दी गई थी। कमलनाथ ने उस स्कूल के प्राचार्य को निलंबित कर दिया था। कांग्रेस के लोग हमारे देश के क्रांतिकारियों को बच्चों तक नहीं पहुंचाना चाहते।

     


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