संजय गुप्ता, INDORE. मप्र के मंत्रीमंडल का गठन सोमवार को हो गया। इसमें इंदौर जिले से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर एक से विधायक कैलाश विजवयर्गीय की आठ साल पांच माह बाद वापसी हुई है। वह साल 2003 से जुलाई 2015 तक पहले उमा भारती सरकार, फिर बाबूलाल गौर की सरकार और बाद में शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने पीडब्ल्यूडी से लेकर उद्योग विभाग, आईटी, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन व आवास विभाग जैसे अहम विभागों को संभाला है। विजयवर्गीय इंदौर के पहल सीधे चुने गए महापौर भी रह चुके हैं। फिलहाल यह देखने की बात होगी कि उन्हें उनके कद के हिसाब से क्या विभाग दिया जाता है।
कैलाश आए तो रमेश चूक गए
वहीं इस मंत्रीमंडल के लिए इंदौर विधानसभा दो से चौथी बार विधायक बने और सभी चुनावी राज्यों में सबसे ज्यादा (1.07 लाख वोट) वोट से जीतने वाले रमेश मेंदोला फिर चूक गए हैं। हालांकि यह तय था कि यदि कैलाश विजयवर्गीय मंत्री बनते हैं तो फिर रमेश मेंदोला को नहीं लिया जाएगा और वही हुआ। इससे उनके समर्थकों में खासी निराशा है। उल्लेखनीय है कि उनकी कार्यशैली की पूर्व सीएम चौहान से लेकर नए सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी तारीफ की है, डॉ. यादव तो सोमवार को इंदौर में हुए आयोजन में उनकी तारीफ करके गए थे।
सिंधिया कोटे से सिलावट फिर मंत्री पद पर
मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार गिराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अहम भूमिका निभाने वाले तुलसीराम सिलावट फिर मंत्री बने हैं। सिंधिया कोटे से आए मंत्रियों में अहम भूमिका में रहेंगे। सिलावट मार्च 2020 में पहली बार बीजेपी सरकार में मंत्री बने थे, फिर नवंबर 2020 में उचुनाव जीते थे। सिलावट ने पहला चुनाव 1985 में कांग्रेस के टिकट पर सांवेर से ही लड़ा था। तभी से वह चुनाव लड़ रहे हैं।
इंदौर से उषा ठाकुर का पत्ता कट गया, मालिनी दौड़ में पिछड़ी
वहीं इंदौर से अभी शिवराज सिंह सरकार में सिलावट के साथ उषा ठाकुर (महू विधायक) मंत्री पद पर थे। लेकिन नए गठन में ठाकुर का पत्ता कट गया है। वह साल 2003 से इंदौर एक से विधायक रही, फिर 2008 में उनका टिकट कटा, 2013 में वह इंदौर तीन से विधायक बनी तो फिर 2018 व 2023 में महू से विधायक बनी। उधर पूर्व महापौर व इंदौर चार से विधायक मालिनी गौड़ भी एक बार फिर मंत्री बनने से चूक गई है, वह भी मेंदोला की तरह चौथी बार की विधायक है, जो लगातार भारी मतों से जीत रही है। इसी तरह लगातार पांचवी बार विधायक बने इंदौर विधानसभा पांच के विधायक महेंद्र हार्डिया को भी मौका नहीं मिला है। वह एक बार राज्यमंत्री रह चुके हैं। वहीं पहली बार विधायक बने राउ विधायक मधु वर्मा, इंदौर तीन विधायक गोलू शुक्ला को भी मौका नहीं मिला है, वहीं शिवराज के एक और करीबी देपालपुर विधायक मनोज पटेल को भी मौका नहीं मिला है। मनोज पटेल तीसरी बार विधायक बने हैं, वह 2003 से चुनाव लड़ रहे हैं, साल 2003, 2013 और 2023 मे चुनाव जीते और 2008 व 2018 में चुनाव हार गए थे।, मेंदोला फिर चूके, ठाकुर बाहर, सिंधिया कोटे से सिलावट शामिल