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पवन सिलावट, Raisen. रायसेन के सिलवानी में सियरमऊ गांव में बारिश के मौसम में तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार होते हैं। आजादी के 75 साल बीत जाने और प्रदेश में बीजेपी के 18 साल के राज के बाद इस गांव के मुक्तिधाम को टीनशेड भी नसीब नहीं हो पाया है। बारिश के दिनों में इस गांव में यदि कोई मौत हो जाती है कि तो अंतिम संस्कार के लिए बारिश रुकने का इंतजार किया जाता है। अंतिम संस्कार के दौरान यदि बारिश होने लगे तो दाह संस्कार के लिए ग्रामीण यह तरीका आजमाते हैं। बता दें कि सियरमऊ गांव सिलवानी विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिसके विधायक पूर्व मंत्री रामपाल सिंह हैं। जिनके खिलाफ ग्रामीणों में रोष है।
सनातन धर्म में सोलह संस्कारों में अंतिम संस्कार सबसे अधिक पवित्र माना गया हैं लेकिन मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे वर्तमान में विधायक रामपाल सिंह राजपूत ने क्षेत्र में इतनी विकास की गंगा बहाई कि मृत्यु के शोक में डूबा हुआ परिवार आंखों में आंसू लिए अपने स्वजन के अंतिम संस्कार के लिए पानी रुकने का इंतजार करता है। पानी रुकने के बाद अंतिम यात्रा निकली और रास्ते में पानी गिरने लगता है। रास्ते में कीचड़ दल दल से हटते बचाते मुक्तिधाम तक पहुंचता है। तो वहां भी झाड़ियां और कांटे कीचड़ के बीच शव पर त्रिपाल ढांककर अंतिम क्रिया क्रम किया गया।
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बेटा अपने परिजन को मुख्याग्नि देने के लिए जाता है तेज बारिश शुरू हो जाती है। शोक में डूबे सिर जैसे ही ऊपर देखते हैं तो पता चलता है कि यहां पर शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा है वहां पर ऊपर टीनशेड ही नहीं है। किसी तरह सभी लोग लाठियों के सहारे तिरपाल लगाते हैं और फिर अंतिम संस्कार करते हैं।
प्रदेश के अनेक गांवों का यही हाल
प्राप्त जानकारी के अनुसार सियरमऊ में साहू परिवार में एक बुजुर्ग का देहांत हो गया था। रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाना था। अंतिम संस्कार के बीच बारिश आ गई और यहां टीनशेड न होने की वजह से तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार करना पड़ा। शव जलने तक लोग लाठियों के सहारे तिरपाल को संभाले रहे, लेकिन पानी आता रहा। ग्रामीणों के अनुसार बरसात के मौसम में किसी की मृत्यु हो जाने पर काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसने भी वहां यह दृश्य देखा उसकी आंखों में क्रोध भर आया। ग्रामीणों ने बताया देखरेख के अभाव में मुक्तिधाम की भूमि पर कब्जा हो गया है, वहीं ग्राम पंचायत द्वारा कोई कार्य नहीं कराया गया। वैसे प्रदेश के अधिकांश गांवों में कमोवेश ऐसे ही हालात हैं। लोग यह मिन्नतें करते हैं कि भगवान उनके घर के किसी भी सदस्य की मौत बरसात के दिनों में न ही हो तो अच्छा है।
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
ग्राम पंचायत द्वारा मुक्तिधाम में टीन शेड न लगवाए जाने के सवाल पर जब पंचायत सचिव से जानकारी लेनी चाही गई तो सचिव रमेश शाह फोन पर बात करने के बावजूद कार्यालय ही नहीं पहुंचे। इधर ग्रामीण मुक्तिधाम में तमाम व्यवस्थाओं की मांग पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं, उनका कहना है कि उनके गांव में किसी की मौत पर कम से कम उसका सम्मान के साथ अंतिम संस्कार तो होना ही चाहिए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उग्र आंदोलन छेड़ देंगे।