संजय शर्मा, BHOPAL. एमपी सरकार की साइबर सिक्योरिटी को हैकर्स ने चुनौती दी है। दरअसल, हैकर्स ने एक बड़े सरकारी विभाग की वेबसाइट को हैक कर रखा है। हैकर्स फिरौती के रूप में बिटकॉइन की मांग कर रहे हैं। इस हमले से निपटने के लिए कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम इंडिया (सर्ट इन) और स्टेट साइबर सेल के एक्सपर्ट जुटे हुए हैं। हैकर्स का यह हमला सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। यदि एक बार हैकर्स हैकिंग में सफल हो जाते हैं तो वह बार बार उस साइट को टारगेट करते हैं।
21 तारीख से हैक
हैकर्स ने नगरीय विकास और आवास विभाग की वेबसाइट को निशाना बनाया है। तीन दिन से बंद नगरीय विकास और आवास विभाग की वेबसाइट शुरू करने के बदले में फिरौती मांगी है। यह फिरौती बिटकॉइन के रूप में मांगी गयी है। हैकर्स ने 21 दिसम्बर को वेबसाइट को हैक कर लिया था। इसके बाद से सभी काम ठप्प पड़े हैं। हैकर्स की कारगुजारी पता लगने के बाद से ही कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम इंडिया (सर्ट इन) और स्टेट साइबर सेल के एक्सपर्ट भी जांच में जुटे हैं। ये एक्सपर्ट वेबसाइट को फिर शुरू करने के साथ ही डेटा को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी है।
रैंसमवेयर अटैक
नगरीय विकास एवं आवास विभाग की अधिकृत वेबसाइट ई-नगरपालिका पोर्टल पर तीन दिन पहले रैंसमवेयर अटैक हुआ था। इसके बाद से ही पोर्टल ठप्प है और इसके माध्यम से होने वाले सभी काम अटके हुए हैं। इसी पोर्टल के जरिए प्रदेश के सभी जिलों में (भोपाल को छोड़कर) जल कर, प्रॉपर्टी टैक्स समेत अन्य बिल ऑनलाइन भरे जाते हैं। साइबर अटैक के कुछ देर बाद ही जांच एजेंसियां एक्टिव हो गई थीं। मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीएसईडीसी), कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम इंडिया (सर्ट इन) और स्टेट साइबर सेल जांच में जुटी हुई हैं।
डेटा चुराने का अंदेशा
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार रैंसमवेयर फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर है। इसके द्वारा किसी भी कंप्यूटर सिस्टम या सर्वर की सभी फाइल एनक्रिप्ट कर दी जाती है। इस साइबर अटैक द्वारा विभाग की महत्वपूर्ण जानकारी और डेटा चुराने का भी आदेश जताया जा रहा है। बताया जाता है की विभाग का पोर्टल 2012 के सर्वर वर्जन पर चल रहा है। शनिवार को साइबर एक्सपर्ट द्वारा पोर्टल को रिकवर करने के प्रयास जारी रहे, लेकिन इस बीच हैकर्स द्वारा मेल के माध्यम से बिटकॉइन के रूप में फिरौती की मांग ने अफसरों को परेशान कर दिया है।
नेटलिंक कंपनी की जिम्मेदारी: मध्यप्रदेश सरकार ने इस वेबसाइट को 2010 में करीब 20 करोड़ में एवीएम कंपनी से डेवलप कराया था। इस समय इसकी सिक्योरिटी और हार्डवेयर की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की एजेंसी मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के पास है। एमपीएसईडीसी ने इसका ठेका नेटलिंक कंपनी को दे दिया है। मतलब यह कि नगरीय विकास और आवास विभाग की वेबसाइट की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी नेटलिंक कंपनी के पास है। वेबसाइट पर हैकर्स अटैक न कर सकें, यह सुनिश्चित करने का काम नेटलिंक का था।
तो देनी ही पड़ती फिरौती: नगरीय विकास एवं आवास विभाग की वेबसाइट हैक करने के तुरंत बाद हैकर ने विभाग के उच्च अधिकारियों को मैसेज कर इसकी सूचना दे दी थी। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि उनके पास हार्ड कॉपी में पूरा डेटा सेव है। इस डेटा के जरिए वेबसाइट को रीस्टोर कर दिया जाएगा। साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि यदि पूरा डेटा क्लाउड पर ही होता तो फिर विभाग के पास फिरौती देने के अलावा कोई और उपाय नहीं था। अभी विभाग अपने इस डेटा के जरिए साइट को दोबारा शुरू कर सकती है।
पाक या चीन के हैकर्स, पता लगा रहे: नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी यह नहीं पता चल पाया है कि हैकर्स चीन, पाकिस्तान, तजाकिस्तान या ऐसे किस देश से जुड़े हुए हैं। सरकार का प्रयास है कि इस हमले के बाद फुलप्रूफ सिक्योरिटी की जाए, ताकि हैकर्स दोबारा साइट को टारगेट न कर सकें।
आप रहें सतर्क:
यदि आप सोच रहे हैं कि यह मामला सिर्फ सरकार का है तो ऐसा नहीं है। यह एमपी के आम नागरिक के लिए भी उतना ही चिंता की बात है। वजह यह है कि सरकार की योजनाओं के लिए हितग्राहियों का डाटा ऑनलाइन स्टोर रहता है। ऐसे में इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि हैकर्स इस डेटा में छेड़छाड़ कर दें। यदि ऐसा होता है तो यह आम लोगों के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी बन सकता है। आपने यदि इस साइट के जरिए जल, प्रॉपर्टी टैक्स आदि का भुगतान किया है तो उसके हिसाब किताब में भी गड़बड़ हो सकती है। इसलिए पैमेंट की स्लिप हमेशा संभाल कर रखें।