BHOPAL. मध्य प्रदेश और राजस्थान को मोहन यादव और भजन लाल शर्मा के रूप में नए मुख्यमंत्री मिल गए है। लेकिन शिवराज सिंह चौहान के सीएम की कुर्सी से हटाए जाने के बाद उनकी बहनें परेशान है। लोगों का मानना है कि शिवराज को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए क्योंकि उन्होंने इतने साल तक प्रदेश का काफी विकास किया है। इसी को लेकर उनके सियासी भविष्य को लेकर जनता टेंशन में है। वहीं बात की जाएं राजस्थान की तो, पार्टी ने वहां भी वसुंधरा राजे की जगह नए चेहरे को सीएम पद के लिए चुना है।
शिव और वसुं का अब क्या ?
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे चर्चा में हैं। दोनों राज्यों में पार्टी ने नए चेहरों पर दांव खेला है। ऐसे में शिवराज और वसुंधरा राजे का क्या होगा, इसके बारे में सभी जानना चाहते है।
शिवराज को केंद्र में मंत्री या संगठन में राष्ट्रीय स्तर का पद
शिवराज को या तो केंद्र में मंत्री या फिर संगठन में राष्ट्रीय स्तर का पद मिल सकता है। पार्टी एमपी में दूसरा पावर सेंटर नहीं चाहती है। उन्हें जल्द दिल्ली बुलाया जा सकता है। उन्हें कृषि मंत्री किसी और महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसी जिम्मेदारी दी जा सकती है। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए कई काम किए है, कई योजनाएं लेकर वह आए थे।
वसुंधरा कहां होंगी सेट ?
माना जा रहा है कि वसुंधरा को फिलहाल लोकसभा चुनाव तक राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष बनाए रखा जा सकता है। राजस्थान में 2024 के लोकसभा चुनाव में 25 की 25 सीटों पर बीजेपी की जीत रिपीट कराने की जिम्मेदारी उन्हें मिल सकती है। वसुंधरा केंद्र में मंत्री हो सकती है। लेकिन उन्हें कोई खास पोर्टफोलियो नहीं दिया जाएगा। कुल मिलाकर आगे जो भी मिलेगा आखिरी बार होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी नए नेतृत्व की तरफ देख रही है।
शिवराज और वसुंधरा से पहले भी दोनों राज्यों में कई नेता सीएम रहे हैं, वह पद से हटने के बाद कहां-कहां गए? बीजेपी ने पहले क्या किया। बीजेपी का राजनीतिक भविष्य आप इस खबर से समझिए.....
कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर-1 सीट से चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की। कयास लगाए गए कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। खबरें है कि विजयवर्गीय प्रदेश संगठन में महत्वपूर्ण पद के लिए भी कोशिश कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव में भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। बता दें, 2015 से कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के महासचिव के पद पर हैं।
प्रहलाद पटेल
प्रहलाद पटेल भी सीएम पद की रेस में थे। लेकिन उन्हें ये पद नहीं मिला। पहले अटल सरकार और बाद में मोदी सरकार में कुल तीन बार केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी निभाने वाले पटेल अब विधायक हैं। प्रहलाद के सियासी भविष्य की ओर देखें तो, उन्हें पार्टी नई जिम्मेदारी दे सकती है। दावा किया जा रहा है कि उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण पद मिल सकता है।
उमा भारती
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 2003 का विधानसभा चुनाव उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा और वह जीत गईं। उमा भारती सूबे की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि वह आठ महीने ही इस पद पर रह सकीं और एक मामले में कर्नाटक की कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उमा भारती इसके बाद यूपी से भी बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं। वह केंद्र की मोदी सरकार में भी मंत्री रहीं। बीच में बीजेपी से बगावत कर उमा भारती ने अपनी पार्टी भी बनाई। इसके बाद में बीजेपी में विलय कर दिया था। फिलहाल, उमा भारती बीजेपी में हाशिए पर चल रही हैं।
राजस्थान में भी नए चेहरों पर दांव
1998 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी हार गई और कांग्रेस के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद साल 2002 में हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भैरो सिंह शेखावत उम्मीदवार बने और कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे को हराकर उपराष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे थे। 2007 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वो प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के सामने हार गए।
भैरोंसिंह शेखावत की जगह वसुंधरा राजे को बीजेपी ने आगे बढ़ाया और 2003 में सीएम बनी। इसके बाद बीजेपी ने वसुंधरा राजे के बदले भजनलाल शर्मा को सीएम बनाया है। वसुंधरा राजे अभी फिलहाल बीजेपी संगठन में उपाध्यक्ष के पद पर है। राजस्थान में दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं और वासुदेव देवनानी को स्पीकर घोषित किया गया है। राजस्थान में सीएम रेस की बात करें, तो वसुंधरा राजे, बाबा बालकनाथ, गजेंद्र शेखावत, सीपी जोशी, दीया कुमारी, राजवर्धन राठौड़ जैसे नाम शामिल थे।
6 अप्रैल 1980 को गठित बीजेपी ने अपने इतिहास में देश के अलग-अलग राज्यों को 50 से भी ज्यादा मुख्यमंत्री दिए हैं।