मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का क्या होगा अगला कदम, आखिर राजनीतिक भविष्य को लेकर क्या सोच रहे हैं कमलनाथ ?

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का क्या होगा अगला कदम, आखिर राजनीतिक भविष्य को लेकर क्या सोच रहे हैं कमलनाथ ?

BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में सिर्फ एक नाम सुनाई दे रहा था, कमलनाथ का और अब चुनाव होने के बाद वे कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी जीतू पटवारी ने संभाल ली है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद से कमलनाथ राहुल गांधी से मिलने नहीं गए हैं। वे भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी नहीं गए। तमाम अटकलों से बाजार गर्म है। इन अटकलों को बल तब मिला जब सीएम मोहन यादव ने कमलनाथ के बंगले पर जाकर उनसे मुलाकात की। आखिरकार ये सारी बातें क्यों सामने आ रही हैं। क्या कमलनाथ कोई नया विकल्प तलाश रहे हैं। आखिर कमलनाथ के मन में क्या है, ये जानने के लिए द सूत्र ने वरिष्ठ पत्रकारों से चर्चा की।

क्या पीएम मोदी से मिलने वाले थे कमलनाथ ?

कमलनाथ पिछले कई दिनों से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। ऐसी खबरें भी सामने आईं कि कमलनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा है। हालांकि कमलनाथ के राजनीतिक सलाहकार पीयूष बबेले ने ऐसी खबरों को सिर्फ अफवाह बताया।

पीयूष बबेले ने क्या कहा ?

कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने कहा कि षड्यंत्रपूर्वक इस तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। कमलनाथ न तो प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे हैं और न ही उन्होंने मिलने के लिए समय मांगा है। 21 जनवरी को कमलनाथ दिल्ली में भी नहीं हैं।

क्या छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे कमलनाथ ?

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार दिनेश निगम कहते हैं कि बीजेपी से नजदीकियों की बात है तो कमलनाथ की उम्र के कई नेता बीजेपी में हैं। इतनी उम्र में बीजेपी में नेता मार्गदर्शक मंडल में चले जाते हैं, इसलिए कमलनाथ के बीजेपी की ओर रुख करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। वहीं छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि वे ही कमलनाथ के उत्तराधिकारी हैं।

फिलहाल दिल्ली नहीं जाएंगे कमलनाथ

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटेरिया का कहना है कि कमलनाथ कांग्रेस के सीनियर और स्वीकार्य नेता हैं। पिछली बार उनकी अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी थी। फिलहाल दिल्ली में उनके लिए जगह नहीं है, जब उनकी इच्छा होगी तो चले जाएंगे, कोई नहीं रोकेगा। उनकी बात राहुल गांधी और प्रियंका भी नहीं टालेंगे। मध्यप्रदेश में वे पीसीसी चीफ नहीं हैं, इसलिए उनकी सक्रियता नहीं दिख रही है, लेकिन प्रदेश में उनका अपना कद है। कमलनाथ ने राम मंदिर का एकदम ऐसा समर्थन नहीं किया कि ऐसे कयास लगाए जाने लगें कि वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। राम मंदिर का विरोध तो कांग्रेस ने भी नहीं किया है। कांग्रेस ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी ने जिस तरह से इवेंट बनाया है, उसका विरोध किया है। लोकसभा चुनाव लड़ना है या नहीं, ये फैसला तो स्वयं कमलनाथ ही लेंगे। हालांकि वे कह चुके हैं कि वे मध्यप्रदेश नहीं छोड़ेंगे।

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