संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में बारिश का औसत सालाना कोटा 37 इंच था जो एक दशक से घटकर 34 इंच पर आ गया है। इंदौर में अभी तक 24.7 इंच ही बारिश हुई है। इसमें अगस्त का हिस्सा मात्र 2.7 इंच है। बीते सालों में इंदौर में अगस्त सबसे सूखा इस बार ही गया है। इसके चलते हालात बिगड़ गए हैं। किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आने लगी है, यह सोयाबीन की फसल तो ठीक, आगे रबी की फसल कैसे ले पाएंगे? अभी सितंबर में भी कोई बड़ा सिस्टम बनते नजर नहीं आ रहा है। बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम एक्टिव हो रहा है, जिससे पूर्वी मध्यप्रदेश में तो अच्छी बारिश होगी, लेकिन पश्चिमी मध्यप्रदेश खासकर इंदौर जिले से इसको बहुत पानी मिलने की उम्मीद नहीं है
सितंबर में भी हल्की बारिश की ही आशंका
मानसून के लिहाज से बेहद निराशाजनक रहे अगस्त के बाद सितंबर से भी बहुत ज्यादा बारिश की उम्मीद नहीं है। हालांकि एक सिस्टम 4 सितंबर से एक्टिव होगा। 8 सितंबर तक हल्की बारिश के दौर चलते रहेंगे। ऐसे में सालाना कोटा होना मुश्किल है, क्योंकि इंदौर में सितंबर में अधिक बारिश के रिकार्ड नहीं है। सितंबर के 30 दिन में सर्वाधिक बारिश 1954 में 30.1 इंच हुई थी। तब पूरे सीजन की 90 फीसदी बारिश एक ही महीने में हो गई थी। सितंबर में एक दिन में सबसे ज्यादा पानी 1962 में 20 सितंबर को 6.8 इंच बरसा है। 10 सालों में 2015 में 1.5 इंच, 2017 में 6 और 2018 में 5.6 इंच ही बारिश के रूप में सितंबर कमजोर ही रहा है। सितंबर की औसत बारिश केवल 6.5 इंच ही है।
औसत के लिए 12.5 इंच पानी और चाहिए
बारिश के लिहाज से जून, जुलाई और अगस्त ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। सितंबर में मानसून कमजोर पड़ने लगता है। सितंबर में बारिश के औसत दिन ही महज 7 होते हैं। इस महीने में औसत बारिश 6.5 इंच होती है। औसत बारिश 37 इंच के आंकड़े को छूने के लिए अभी भी 12.5 इंच पानी की और दरकार है।
भोपाल तक आते-आते कमजोर पड़ रहा मानसून
इस बार बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम पूर्वी मध्यप्रदेश के जिलों से भोपाल आते-आते ही कमजोर पड़ गए थे। इस कारण भी अगस्त में इंदौर और आसपास बारिश नहीं हुई। पूर्वी जिलों में तो अगस्त में भी ठीक-ठीक पानी बरसा। वहीं दूसरी वजह रही है कि पूरे अगस्त में मालवा-निमाड़ में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहे। इस कारण भी हमारे यहां तक सिस्टम नहीं पहुंच सके।