इंदौर से किसे मिलेगा मंत्रिमंडल में मौका? दिल्ली में बैठक आज, कैलाश की भी भूमिका होना है तय, मेंदोला, सिलावट मजूबत

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Pooja Kumari
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इंदौर से किसे मिलेगा मंत्रिमंडल में मौका? दिल्ली में बैठक आज, कैलाश की भी भूमिका होना है तय, मेंदोला, सिलावट मजूबत

संजय गुप्ता, INDORE. मप्र में सीएम डॉ. मोहन यादव की सरकार के मंत्री कौन होंगे? इस पर दिल्ली में 17 दिसंबर, रविवार शाम को हाईकमान के साथ सीएम, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व अन्य की बैठक हो रही है। पूरे प्रदेश के नेताओं की नजरें इसी पर है। इंदौर में सबसे ज्यादा इस पर चर्चा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका क्या होगी? क्या वह मंत्रिमंडल में आलाकमान के आदेश पर शामिल होंगे या फिर उन्हें आगे किसी अन्य पद पर समायोजित करेंगे या फिर राष्ट्रीय राजनीति में लेकर जाएंगे। उधर प्रदेश कांग्रेस ने जिस तरह बदलाव करते हुए 50 साल से कम उम्र वाले जीतू पटवारी को प्रदेशाध्यक्ष, उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता बनाया है, उससे बीजेपी के भी और अधिक नए व युवा चेहरे की ओर जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है।

कैलाश नहीं तो फिर रमेश का दावा मजबूत

यदि कैलाश विजयवर्गीय मंत्रिमंडल में नहीं आते हैं तो निश्चित तौर पर रमेश मेंदोला का दावा इंदौर में सबसे मजबूत है। वह सभी राज्यों में सबसे ज्यादा वोट से जीते हैं और चार बार के विधायक भी है। अभी तक मंत्रिमंडल में जगह भी नहीं पाए हैं। विजयवर्गीय भी चाहेंगे कि सीधे नहीं तो मेंदोला के जरिए सरकार में सीधे जुड़े रहें। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहली पसंद तुलसी सिलावट है, ऐसे में उनके कोटे से सिलावट को जगह मिलना लगभग तय माना जा रहा है। वैसे भी सिंधिया गुट के कई मंत्री चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में कम ही बचे हुए हैं, जिन्हें वह जगह दिलाना चाहेंगे।

इंदौर से बाकी दावेदारों को अभी जगह मिलना मुश्किल

इंदौर से दावेदारों में अभी मंत्री रही उषा ठाकुर के साथ ही पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के साथ ही पांचवी बार के विधायक महेंद्र हार्डिया तक दावेदार है। लेकिन जानकारी के अनुसार अभी बड़ा मंत्रीमंडल नहीं बनेगा, फिलहाल लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही जगह दी जाएगी। ऐसे में इंदौर के कई दावेदारों को निराश होना होगा। वैसे भी इंदौर में सभी नौ सीट जीतने के बादे दावेदारों की संख्या काफी हो गई है, इसके चलते पार्टी को जातिगत व क्षेत्रीय, पुरुष-महिला सभी समीकरणों को साधना है।

मालवा को पहले ही सीएम, डिप्टी सीएम अब 6-7 मंत्री से ज्यादा नहीं

सामान्य तौर पर मालवा-निमाड़ के कोटे से आठ से दस मंत्री होते हैं। मंत्रिमंडल में कुल 34 मंत्रियों की जगह होती है। इस बार यहां से बीजेपी के 47 विधायक आए हैं, पहले 34 (उपचुनाव के बाद) थे। कई चेहरे जो 2018 में हार गए थे वह इस बार जीतकर मंत्री पद की दौड़ में आ चुके हैं। वहीं पार्टी के पास कहने के लिए है कि मालवा को पहले ही उन्होंने सीएम (उज्जैन दक्षिण विधायक डॉ. मोहन यादव) और एक डिप्टी सीएम (जगदीश देवड़ा, विधायक मल्हारगढ़) दे दिया है। ऐसे में कोटे के दो पद तो पहले ही कम हो चुके हैं। ऐसे में अब मालवा-निमाड़ से 6-7 विधायकों को ही मौका मिलेगा।

कांग्रेस के बदलाव के बाद पुराने चेहरों के लिए होगी मुश्किल

कांग्रेस में शनिवार को हुए बदलाव के बाद और युवा चेहरों को सामने लाने के बाद बीजेपी में भी पुराने चेहरों की विदाई की चर्चा तेज हो गई है, वैसे ही सीएम नया चेहरा लाकर आलाकमान ने पहले ही इसके संकेत दे दिए थे। ऐसे में इंदौर की बात करें तो उषा ठाकुर, महेंद्र हार्डिया, मालिनी गौड़ के लिए मुश्किलें दिख रही है। सिलावट सिंधिया कोटे के चलते मजबूत है। उधर मालवा-निमाड़ से साल 2003 से पूरी बीजेपी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल रहे आदिवासी चेहरा विजय शाह के लिए भी फिर से आना आसान नहीं होगा इस बार निर्मला भूरिया जैसे नाम आगे हैं। ओमप्रकाश सखलेचा, इंदर सिंह परमार जैसे नेताओं को भी जगह मिलना मुश्किल है। एक और मंत्री रहे हैं हरदीप सिंह डंग, यह रेस में हैं।

गायत्री राजे, अर्चना का दावा मजबूत, सोनकर भी रेस में

देवास से इस बार गायत्री राजे पंवार का दावा मजबूत है, पहले उनके पति तुकोजीराव मंत्रिमंडल में रह चुके हैं। वहीं बुरहानपुर में बागी हर्ष चौहान के बाद भी भारी वोट से जीतने वाली पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस का दावा मजबूत है, हालांकि वह भी पहले मंत्री रही, लेकिन बीजेपी के करीब साढ़े 18 साल के कार्यकाल में वह नौ साल सत्ता में रही, इसलिए फिर मौका बन सकता है। बालकृष्ण पाटीदार, शाजापुर के अरूण भीमावत, महेशवर से राजकुमार मेव, पेटलावद विधायक निर्मला भूरिया, धार की नीना वर्मा, जावरा के डॉ. राजेंद्र पांडेय भी दावेदारी में हैं। वहीं इंदौर से सोनकच्छ जाकर कांग्रेस के नेता सज्जन सिंह वर्मा को हराने वाले डॉ. राजेश सोनकर की भी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।

तीन लोकसभा सीट पर नजरें रतलाम, धार और खरगोन

बीजेपी ने 2019 लोकसभा में प्रदेश की 29 में से छिंदवाड़ा छोड़कर सभी 28 सीट जीती थी। वहीं विधानसभा चुनाव 2023 को देखा जाए तो वोटों के हिसाब से बीजेपी रतलाम, धार व खरगोन लोकसभा सीट में पिछड़ रही है। ऐसे में रतलाम, धार और खरगोन के विधायकों को अधिक मौका मिलने की संभावना है। धार में बीजेपी के पास केवल धार विधायक नीना वर्मा और धरमपुरी विधायक कालू सिंह ठाकुर है। खरगोन से बालकृष्ण पाटीदार का दावा मजबूत होता है। इसी तरह रतलाम के जावरा सीट से जीते राजेंद्र पाण्डेय का दावा मजबूत है, वहीं रतलाम सिटी से चेतन्य कुमार कश्यप भी है।

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