BHOPAL. जिस लाड़ली योजना से प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई, क्या वही योजना शिवराज पर भारी पड़ी? मानें या ना मानें ट्रेंड तो यही कहता है। जिसने भी प्रदेश में महिलाओं के विकास का जिम्मा संभाला, उसका करियर खत्म ही हुआ। आइए इन कहानियों से समझते है...
इमरती देवी
इमरती देवी दो बार महिला और बाल विकास विभाग की मंत्री रहीं थीं। 2018 में वह कमलनाथ सरकार की मंत्री रहीं, इसके बाद वह शिवराज सरकार में मंत्री रहीं। हालांकि इमरती को पिछले उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में भी वह हार गई थी।
ललिता यादव
ललिता यादव कमलनाथ सरकार में महिला बाल विकास विभाग में राज्यमंत्री थी। वे भी 2018 का चुनाव हार गईं। हालांकि 2023 में वे जीती हैं।
कुसुम महदेले
2003 में मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद कुसुम महदेले को महिला और बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था। लेकिन 2008 के चुनाव में इसी विभाग का मंत्री रहते हुए कुसुम 48 वोटों से हार गईं थी।
अर्चना चिटनिस
अर्चना चिटनिस को 2018 के विधानसभा चुनाव से दो साल पहले महिला और बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था। 2018 के चुनाव में वह हार गईं थी।
रंजना बघेल
रंजना को 2007 में महिला बाल विकास विभाग के राज्यमंत्री थीं। मंत्री रहते हुए रंजना को मनावर विधानसभा सीट से 2008 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
माया सिंह
माया सिंह 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद महिला और बाल विकास विभाग की मंत्री बनीं थीं। हालांकि 2018 के चुनाव के दो साल पहले उनका विभाग बदल दिया गया था। फिर 2018 के चुनाव में सरकार ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।
जमुना देवी इस मिथक का अपवाद हुईं साबित
जमुना देवी, दिग्विजय सिंह की सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री रहीं थी। मंत्री रहते हुए वे खुद तो चुनाव जीत गईं, लेकिन उनकी पार्टी हार गई। कांग्रेस की सरकार गिरने से जमुना की कुर्सी भी चली गई।
मीना सिंह
मीना सिंह भी मंत्री हैं, जो महिला बाल विकास विभाग में मंत्री रहने के बाद भी नहीं हारी। मीना 2003 के चुनाव के बाद महिला बाल विकास विभाग की राज्यमंत्री रही हैं, लेकिन वह चुनाव नहीं हारीं।