BHOPAL. मध्यप्रदेश की सियासत फिर उफान पर है। ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल दौरे से जुड़ा हुआ है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जो ऐन वक्त पर ‘मिनिस्टर इन वेटिंग‘ की लिस्ट से पीएमओ ने प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों के नाम हटा दिए। यहां ज्यादा चर्चा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का नाम हटाए जाने की है, क्योंकि वे भोपाल के प्रभारी मंत्री हैं और वे मोदी के किसी भी कार्यक्रम में नजर भी नहीं आए। फिर मोदी के दौरे के अगले ही दिन उन्हें आलाकमान ने दिल्ली भी तलब कर लिया था।
हालांकि, इन सवालों का सटीक जवाब किसी के पास नहीं है, लेकिन ये अब साफ हो गया है कि पीएम मोदी की एयरपोर्ट पर अगवानी करने वाले नेताओं की सूची पर स्वयं पीएमओ ने संज्ञान लिया था। वहीं से आपत्ति आने पर सूची से मंत्रियों के नाम हटाए गए और सिर्फ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के नाम पर मुहर लगाई गई थी।
मुख्यमंत्री ने भूपेंद्र को किया था फोन
सूत्र बताते हैं कि पीएमओ की नाराजगी को देखते हुए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्री भूपेन्द्र सिंह को फोन कर प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में न आने को कहा था। इसके बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पूरे कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। न तो वे रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर हुए कार्यक्रम में पहुंचे और न ही भाजपा के ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत‘ कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी देखी गई।
सूची में पांच मंत्रियों के थे नाम
जानकारी के अनुसार, मोदी के भोपाल दौरे में मिनिस्टर इन वेटिंग की सूची में पांच मंत्रियों को शामिल किया गया था। इसमें सबसे पहला नाम मंत्री भूपेंद्र सिंह का ही था। दूसरे नंबर पर मंत्री विश्वास सारंग, तीसरे पर मंत्री नरोत्तम मिश्रा, चौथे नंबर पर मंत्री गोपाल भार्गव और पांचवे नंबर पर मंत्री रामखेलावन पटेल थे।
लोकायुक्त में दर्ज मामला बना वजह
इस सियासी घटनाक्रम को मंत्री भूपेंद्र सिंह पर दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। लोकायुक्त इस केस में जांच रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन दिनों अपने भाषणों में भ्रष्टाचारियों पर एक्शन लेने और उन्हें न छोड़ने को लेकर आक्रामक हैं। भोपाल में भी उन्होंने इस पर जोर दिया। ऐसे में यदि भूपेंद्र सिंह प्रधानमंत्री की अगवानी करते तो विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता था। इसी को देखते हुए पीएमओ की विजिलेंस क्लीयरेंस टीम ने राज्य सरकार से तत्काल उनका नाम ‘मिनिस्टर इन वेटिंग‘ से हटाने को कहा था।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री से दौरे के पहले ये बात बाहर न जाए, इसके चलते सरकार ने गोपनीय रूप से वेटिंग इन मिनिस्टर से मंत्री भूपेंद्र सिंह का नाम हटाकर उसकी काॅपी पीएमओ को भेज दी। भूपेंद्र सिंह मंगलवार को सबसे पहले भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश से भी मिले थे। फिर अगले दिन दिल्ली रवाना होने से पहले उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव से मुलाकात की थी।
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सागर के नेता जता चुके हैं नाराजगी
सागर जिले के दोनों मंत्री गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत सहित सभी विधायक भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से शिकायत कर चुके हैं। इन सभी का आरोप है कि मंत्री भूपेंद्र सिंह सागर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्य रुकवा रहे हैं। सागर में पूरा भाजपा संगठन भूपेंद्र सिंह और जिला अध्यक्ष गौरव सिरोठिया के खिलाफ होने के बाद पार्टी संगठन ने इसे गंभीरता से लिया है।
क्या होता है मिनिस्टर इन वेटिंग
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राष्ट्र अध्यक्ष के दौरे और कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकारें सीनियर मंत्रियों को उनके स्वागत और विदाई के लिए नामित किया जाता है। सीनियर मंत्री राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, ये एक निर्धारित प्रोटोकॉल भी है।