हिट एंड रन एक्ट के संशोधन के बाद क्यों कहा जा रहा है काला कानून, किसे करेगा प्रभावित, जिसका हो रहा विरोध, अभी क्या हैं प्रावधान

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Pratibha Rana
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हिट एंड रन एक्ट के संशोधन के बाद क्यों कहा जा रहा है काला कानून, किसे करेगा प्रभावित, जिसका हो रहा विरोध, अभी क्या हैं प्रावधान

संजय गुप्ता, INDORE. हिट एंड रन एक्ट के संशोधित प्रावधान एक अप्रैल 2024 से भारतीय न्याय संहिता के तहत प्रभावी होने जा रहे हैं। यह एक्ट पहले से लागू है, लेकिन अब नए संशोधन के बाद पूरे देशभर में ड्राइवर इसका विरोध कर रहे हैं। आखिर यह प्रावधान में ऐसे क्या संशोधन हो रहे हैं, जिसके चलते इसे काला कानून बताया जा रहा है। पहली बात तो यह है कि यह एक्ट हर शासकीय, निजी वाहन चालकों पर लागू होगा चाहे, यानि खुद की कार चलाने वाला, वाहन चलाने वाला वाहन चालक भी इस दायरे में हैं, केवल ट्रक, बस ड्राइवर ही नहीं। यह सभी पर लागू होगा।

अभी हिट एंड रन में सजा के यह प्रावधान

हिट एंड रन मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विशेष रूप से दंडनीय नहीं हैं। अधिकमत दो साल की सजा है और थाने से ही जमानत है। हिट एंड रन केस में आईपीसी की धारा 279, 304ए और 338 लागू होती हैं। धारा 279 रैश ड्राइविंग को परिभाषित करती है और दंडित करती है। इस धारा के तहत 6 महीने तक की जेल की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही, धारा 304ए धारा सीधे हिट एंड रन मामलों पर लागू होती है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित की मृत्यु हो जाती है। इस धारा के तहत 2 साल तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में जहां पीड़ित की मृत्यु नहीं हुई है लेकिन वह गंभीर रूप से घायल है, धारा 338 के तहत सजा दी जाती है। धारा 161 हिट एंड रन के पीड़ितों को मुआवजे का भी प्रावधान करती है; मृत्यु के मामले में पच्चीस हजार रुपये और गंभीर चोट के मामले में बारह हजार और पांच सौ रुपए।

अब क्या हो रहा है बदलाव, जिसका सबसे ज्यादा विरोध

संशोधन के बाद सेक्शन 104 (2) के तहत हिट एंड रन की घटना के बाद यदि कोई आरोपी घटनास्थल से भाग जाता है। पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचित नहीं करता है, तो उसे दस साल तक की सजा भुगतनी होगी और जुर्माना देना होगा। यह जुर्माना सात लाख रुपए तक है। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का कहना है कि एक्सीडेंट की जांच का कोई प्रोटोकाल नहीं है, बेवजह ड्राइवर उलझेंगे, कोई आकर टकरा गया और पीड़ित हो गया तो इसमें ड्राइवर की क्या गलती है? दूसरा ड्राइवर का वेतन 15-20 हजार रुपए प्रति माह है तो वह सात लाख का जुर्माना कैसे भरेगा? अब थाने से जमानत नहीं होगी। नए प्रावधान में कहा गया कि हिट होने के बाद घायल को अस्पताल पहुंचाओं नहीं तो सजा होगी, वहां ड्राइवर मौके पर रूकता है तो भीड़ उसे मारने दौड़ती है। वह इसी डर से भागता है। एसोसिएशन का कहना है कि जो प्रावधान है उसे बना रहने दिया जाए, इसमें संशोधन की जरूरत ही नहीं है।

हिट एंड रन मामले क्या होते हैं?

हिट एंड रन के मामले तब होते हैं जब चालक लापरवाही से गाड़ी चलाते समय किसी व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य या संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। आम आदमी के शब्दों में, हिट एंड रन का मतलब गाड़ी चलाते समय किसी व्यक्ति या संपत्ति को मारना और फिर भाग जाना है।

74 फीसदी नहीं करते हैं घायलों की मदद

एक सर्वेक्षण में, उन्होंने पाया कि लगभग 74% लोग सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की सहायता करने में कोई रूचि नहीं रखते हैं। पाया गया है कि 80% सड़क दुर्घटना पीड़ितों को दुर्घटना के बाद पहले या सुनहरे घंटे के अंदर कोई चिकित्सा देखभाल नहीं मिलती है। यह वह गोल्डन समय जब घायल को उपचार मिलने पर जान बच सकती है।

हिट एंड रन मामलों में समस्याएं

हिट एंड रन के मामलों में सबसे बड़ा मुद्दा किसी भी प्रत्यक्ष सबूत का न होना है। आमतौर पर, अपराधी को अपराध स्थल पर खड़ा करने के लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं होता है। इससे पुलिस के लिए जांच को आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी तेज रफ्तार वाहनों और अत्यधिक भीड़ के कारण गवाह भी जांच में मदद नहीं कर पाते हैं। साथ ही गवाह अक्सर कानूनी पचड़े में नहीं फंसना चाहते। पुलिस को ऐसे मामलों में अप्रत्यक्ष सबूतों पर निर्भर रहना पड़ता है। जांच के लिए अपराध स्थल की बहुत सटीक और सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता होती है।

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