शिवराज को दक्षिण के राज्यों में ही जाने के लिए क्यों कहा गया? क्या MP में फिलहाल मामा का रोल खत्म

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Pratibha Rana
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शिवराज को दक्षिण के राज्यों में ही जाने के लिए क्यों कहा गया? क्या MP में फिलहाल मामा का रोल खत्म

BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद मोहन यादव को सूबे का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से ही शिवराज सिंह चौहान के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे। एमपी के सीहोर जिले की बुधनी सीट से विधायक शिवराज प्रदेश के 4 बार के मुख्यमंत्री और पार्टी का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं। चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि मामा का अब क्या रोल होगा। हालांकि शिवराज के 19 दिसंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से हुई मुलाकात के बाद अब उनके अगले रोल का ट्रेलर रिलीज हो गया है।

शिवराज को संगठन की ही जिम्मेदारी सौंपी!

शिवराज ने बताया कि वह विकसित भारत यात्रा में दक्षिण राज्यों की तरफ जाएंगे। उन्होंने ये भी साफ किया कि लोकसभा चुनावों में उनकी जो भी भूमिका होगी, उसे वह अच्छे से निभाएंगे और उनकी ये भूमिका नड्‌डा ही तय करेंगे। माना जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मुलाकात के बाद शिवराज को संगठन की ही जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।

लोकसभा चुनाव में शिवराज की भूमिका क्या होगी?

दिल्ली में जेपी नड्‌डा से मुलाकात के बाद जब शिवराज से मीडिया ने सवाल किया कि उनका लोकसभा चुनाव में क्या रोल रहेगा, तो शिवराज बोले कि पार्टी का काम मेरे लिए जनता की सेवा का मिशन है। जब आप मिशन में काम करते हैं तो आप यह तय नहीं करते हैं कि आप क्या करेंगे? यह मिशन तय करता है कि आप क्या काम करेंगे?

लोकसभा चुनाव में भी MP से बाहर रहेंगे शिवराज

शिवराज ने कहा कि मप्र में उनकी भूमिका खत्म नहीं हुई है। वह केंद्र में और राज्य दोनों में रहेंगे। उन्होंने ये भी साफ किया कि जेपी नड्‌डा से मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल के गठन के संबंध में बातचीत हुई है। सलाह-मशविरा हुआ है। लेकिन माना जा रहा है कि संगठन उन्हें प्रदेश के बाहर नई भूमिका पर भेजने की तैयारी में है।

इसलिए की जा रही शिवराज को दक्षिण भेजने की तैयारी

पहले सवाल ये भी खड़े हो रहे थे कि शिवराज लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन इस मुलाकात के बाद ये भी साफ हो गया है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। शिवराज को दूसरे राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। कहा जा रहा है कि दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं है। कर्नाटक और तेलंगाना की हार के साथ ही बीजेपी के मिशन दक्षिण की बुनियाद दरक गई है। देश की राजनीति में दक्षिण के 5 राज्यों (कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र और तेलंगाना) की हिस्सेदारी करीब 22 से 24 फीसदी है। दक्षिण भारत में विधानसभा की 900 और लोकसभा की 130 सीटें हैं। बीजेपी के पास दक्षिण से 29 सांसद हैं। पार्टी दक्षिण में उत्तर भारत के बड़े चेहरों को उतारकर एक नया प्रयोग करना चाहती है।

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