छत्तीसगढ़ में दीपक बैज साधेंगे कांग्रेस का भविष्य, कठपुतली बनने की नहीं उम्मीद? राजनीतिक हिसाब से सबसे बड़े आदिवासी लीडर बनेंगे?

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Shivam Dubey
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छत्तीसगढ़ में दीपक बैज साधेंगे कांग्रेस का भविष्य, कठपुतली बनने की नहीं उम्मीद? राजनीतिक हिसाब से सबसे बड़े आदिवासी लीडर बनेंगे?











Raipur. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष दीपक बैज ने 15 जुलाई को अपने पद की शपथ ली थी, हमेशा की तरह इस बार भी कांग्रेस भीतरखाने में चर्चाएं तेज हो गई है कि दीपक बैज किसकी सुनेंगे किसकी नहीं! इन पिछले 1 महीनों में कांग्रेस ने प्रदेश संगठन में बदलाव भी किए हैं। अब दीपक बैज पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी कांग्रेस के भविष्य को साधने की है। विपक्षी पार्टियां जहां इस आरोप को तवज्जों दे रही है कि बैज महज एक कठपुतली है। वहीं बस्तर में दीपक बैज के करीबियों के अनुसार वे बिल्कुल सधे अंदाज में अपने मन के अनुसार काम निकालना जानते हैं। कुल मिलाकर दीपक बैज को अच्छे से जानने वालों का यह कहना बिल्कुल साफ है कि बैज अपनी हर राजनीतिक चाल में सिर्फ अपने दिमाग की सुनते हैं। 







जब पहली बार भाषण दिया





प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद दीपक बैज 15 जुलाई को कांग्रेस भवन पहुंचे और वहां पीसीसी चीफ पद की शपथ ली और भाषण दिया। इस दौरान पूर्व अध्यक्ष मोहन मरकाम, सीएम भूपेश बघेल के साथ दिग्गज नेताओं की मौजूदगी रही है। कांग्रेस दिग्गज नेताओं के बोलने के बाद दीपक बैज को भी भाषण देने का मौका दिया गया। दीपक बैज ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस पद की शपथ लेने के बाद जो भाषण दिया वह करीब 23 मिनट का रहा है। माना ये जा रहा है कि इस भाषण के जरिए दीपक बैज ने अपने करीबियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और साथ ही प्रदेश के कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने की कोशिश की है। अब अगर भाषण को गौर से सुने तो दीपक बैज ने जो भाषण दिया है उसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सीएम भूपेश बघेल का नाम लगभर 50 बार लिया है। वहीं बाकि सभी नेताओं (आलाकमान को मिलाकर) का नाम कुल  45 बार लिया है। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद के नारे भी लगाए हैं। राजनीतिक जानकारों का यह मानना रहता है कि नेता जिसकी मदद से जब कुछ हासिल करते हैं, तो बार बार उनके नाम को अपने भाषण में मेंशन करते हैं।





शह-मात में महारत





दीपक बैज को अच्छे से जानने वालों का कहना है कि राजनीति में शह मात का खेल दीपक बैज को महारत हासिल है। छात्र जीवन से राजनीति की दुनिया में कदम रखने वाले बैज अपने लोगों को बहुत जल्दी पहचान लेते हैं। साथ दीपक बैज को यह भी अंदाजा हो जाता है कि कौन उनके पक्ष में खड़ा रहने के काबिल है। बस्तर में जानकारों का कहना है कि दीपक बैज कठपुतली तो नहीं बनेंगे लेकिन समय आने पर कथपुतली बनाने सामर्थ्य जरुर रखते हैं।  







चलिए दीपक बैज को जान लेते हैं







बस्तर के लोहंडीगुड़ा के गढ़िया गांव में रहने वाले दीपक बैज का जन्म 14 जुलाई 1981 को हुआ है। बैज के पिता का नाम बीआर बैज और माता का नाम लक्ष्मी बैज है। दीपक बैज की शुरुआती पढ़ाई बस्तर से हुई है, इसके बाद उन्होने बस्तर के सरकारी पोस्ट डिग्री कालेज से वकालत की पढ़ाई की है। दीपक बैज को राजनीतिक में काफी लगाव रहा है। राजनीति और इकोनामिक्स में एमए की डिग्री भी दीपक बैज के पास है। बैज ने छात्र नेता रहे हैं, कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के साथ शुरू किया और साल 2008 में बस्तर के जिला अध्यक्ष रहे। अब छात्र राजनीति से बाहर आने के बाद दीपक बैज साल 2009 में यूथ कांग्रेस के महासचिव बने और 2013 में पहली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाई। 2013 में चित्रकूट से विधायक चुने गए। 2018 में चित्रकोट विधानसभा सीट से दोबारा जीत दर्ज की। 







क्या बन पाएंगे सबसे बड़े आदिवासी लीडर? 





दीपक बैज मोदी लहर में बस्तर की लोकसभा सीट से साल 2019 में सांसद चुने गए हैं। इस जीत ने दीपक बैज को राजनीतिक पहचान दिलाई और गांधी परिवार के करीब आने का मौका भी दिया। माना जाता है कि दीपक बैज ने सड़क से लेकर संसद तक में आदिवासी समुदाय के मुद्दों पर मुखर रहते हैं, जिसके वजह से प्रदेश की कमान मिली है। दीपक बैज से पहले कांग्रेस की कमान मोहन मरकाम ने चार साल तक संभाली और अब चुनावी तपिश के बीच दीपक बैज को संगठन का जिम्मा सौंप दिया गया है। सीएम भूपेश बघेल  दीपक बैज को युवा चेहरा मानते हैं, इसके साथ ही दीपक आदिवासी समुदाय से हैं। बस्तर से आने के कारण दीपक बैज का राजनीतिक लाभ कांग्रेस पूरा उठाना चाहती है। बस्तर में बैज के कुछ पुराने साथियों के अनुसार सौम्य स्वभाव के साथ साथ चाणक्य की जैसी सोच रखते हैं। यानी आने वाले समय में कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी नीतियों को अच्छे से बुनाने में कामयाब रहती है तो दीपक बैज उन आदिवासी नेताओं में गिने जाएंगे, जो शीर्ष पर होंगे।



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