राज्यसभा चुनाव में बाहरी नेताओं की शरणगाह बना राजस्थान, क्या इस बार मिलेगा स्थानीय नेताओं को मौका?

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Vikram Jain
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राज्यसभा चुनाव में बाहरी नेताओं की शरणगाह बना राजस्थान, क्या इस बार मिलेगा स्थानीय नेताओं को मौका?

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में राज्यसभा चुनाव पिछले पांच साल के दौरान राज्य से बाहर के नेताओं की शरणस्थली बना रहा। इस दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस राजस्थान से बाहर के पांच नेता राज्यसभा भेज दिए। अब फिर राज्यसभा का चुनाव आ रहा है और तीन सीटों पर चुनाव होना है। हालांकि इस बार फर्क यह है कि सत्ता में बीजेपी है और विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से तीन में से दो सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशियों की जीत तय है। वैसे तो बीजेपी भी अपने केंद्रीय नेताओं को राजस्थान से राज्यसभा में भेजती रही है, लेकिन इनकी संख्या कांग्रेस से कम है। ऐसे में नजर इस बात पर है कि क्या इस बार राजस्थान के नेताओं को राज्यसभा में जाने का मौका मिलेगा या इस बार भी कोई बाहरी नेता आ कर यहां के नेताओं का हर मार लेंगे।

दस में से पांच सीटों पर बाहरी नेता

राज्यसभा में राजस्थान की दस सीटें हैं। इनमें से पांच सीटों पर अभी राज्य से बाहर के नेता सदस्य बने हुए हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे मुकुल वासनिक, प्रवक्ता रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला और वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी शामिल हैं।

कांग्रेस ने सिर्फ एक स्थानीय नेता को मौका दिया

कांग्रेस की सरकार के समय राज्यसभा के तीन बार चुनाव हुए। इनमें कांग्रेस के छह नेता राज्यसभा से चुन कर गए, लेकिन पार्टी ने सिर्फ एक स्थानीय नेता नीरज डांगी को मौका दिया। बाकी सभी पांच नेता राज्य से बाहर के थे। सरकार बनते ही 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजा गया। इसके बाद 2020 में केसी वेणुगोपाल को मौका दे दिया गया और 2022 में चार सीटों पर चुनाव हुआ तो तीनों सीटों पर बाहरी नेताओं प्रमोद तिवारी, मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला को राज्यसभा भेज दिया। इसका पार्टी में अंदरूनी स्तर पर विरोध भी हुआ था, लेकिन आलाकमान को राजी रखने के लिए गहलोत ने इन नेताओं को जिताने में पूरा दम लगाया और जिता कर भेज दिया।

बीजेपी भी भेजती रही है, लेकिन संख्या कम

बीजेपी भी केन्द्रीय नेताओं को राजस्थान से राज्यसभा भेजती रही है, लेकिन इनकी संख्या कांग्रेस के मुकाबले कम ही रही है। बीजेपी की पिछली सरकार के समय सिर्फ तीन नेता पूर्व उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू, पूर्व मंत्री केजे एल्फोंस और विजय गोयल को राजस्थान से भेजा गया था।

राज्य हित का मुद्दा बेहतर ढंग से उठा पाते हैं स्थानीय नेता

राजस्थान से दोनों ही दल बाहरी नेताओं को राज्यसभा भेजते रहे है, लेकिन राज्य हित के मुद्दे उठाने के मामले में स्थानीय नेता ही ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं। 2022 में चुने तीन कांग्रेस और एक बीजेपी प्रत्याशियों के प्रदर्शन की तुलना करें तो बीजेपी के घनश्याम तिवाडी, कांग्रेस के मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला से बेहतर प्रदर्शन कर रहे है। तिवाडी अब तक 22 बार डिबेट में भाग ले चुके हैं और 76 सवाल पूछ चुके हैं, वहीं मुकुल वासनिक ने सिर्फ दो बार डिबेट में भाग लिया है और 88 सवाल पूछे है जबकि रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सिर्फ एक बार डिबेट में भाग लिया और 32 सवाल पूछे है। हालांकि प्रमोद तिवारी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। वे 153 बार डिबेट में भाग ले चुके हैं और 352 सवाल पूछ चुके हैं।

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार

राजनीतिक विश्लेषक वरूण पुरोहित कहते हैं कि कांग्रेस हो चाहे बीजेपी दोनों ही ने राजस्थान को बाहरी नेताओं का चारागाह बना रखा है। यह स्थिति स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में अंसतोष पैदा करती है और यहां के नेताओं व कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाली है। दूसरे राज्यों के नेता यहां से सांसद बन जाते हैं, लेकिन यहां के नेताओं को कभी बाहर से राज्यसभा जाते नहीं देखा। राजनीतिक दलों के आलाकमान को इस बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि यह यहां के नेताओं और कार्यकर्ताओ के स्वाभिमान से जुड़ा विषय है।

इस बार की तस्वीर

इस बार फरवरी में फिर तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बीजेपी के वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव की सीटें इस बार खाली हो रही है। इनके अलावा किरोडीलाल मीणा चूंकि अब विधायक बन गए हैं, इसलिए उनकी सीट भी खाली हो गई है। विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से तीन में से दो सीट बीजेपी और एक सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी। ऐसे में अब नजर इसी बात पर है कि इस बार भी बाहर के नेताओं को यहां की सीटें दे दी जाएंगी या राजस्थान के नेताओं को मौका मिलेगा।

इनके नामों पर चर्चा

इस बार राजस्थान से राज्यसभा जाने वाले नेताओं में बीजेपी की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश माथुर, पार्टी की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर और पहले सांसद रह चुके नारायण पंचारिया के नाम बताए जा रहे हैं। हालांकि पार्टी सूत्र मान रहे हैं कि दो में से एक सीट ही स्थानीय नेता को मिलती दिख रही है। एक सीट पर कोई केन्द्रीय नेता आ सकता है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो यहां अभी कुछ भी तय नहीं है और माना यही जा रहा है कि इस बार किसी केन्द्रीय नेता को मौका दिया जा सकता है, क्योंकि पार्टी के ज्यादातर प्रमुख नेता विधानसभा में पहुंच चुके है।

कांग्रेस के बाहरी राज्यसभा सांसदों का प्रदर्शन

स्वयंसेवी संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव के अध्ययन व केन्द्र सरकार के सांख्यिकी विभाग के अनुसार राजस्थान से राज्यसभा सदस्य बनाए गए नेताओं का राज्यसभा में प्रदर्शन कुछ ऐसा है-

मनमोहन सिंह

उपस्थिति- 73 प्रतिशत, डिबेट- 7, प्रश्न- शून्य, प्राइवेट मेंबर बिल- शून्य, सांसद कोष का उपयोग- 95 प्रतिशत

प्रमोद तिवारी

उपस्थिति- 89 प्रतिशत, डिबेट- 155, प्रश्न- 323, प्राइवेट मेंबर बिल- शून्य

सांसद कोष का उपयोग- 62 प्रतिशत

मुकुल वासनिक

उपस्थिति- 89 प्रतिशत, डिबेट- 2, प्रश्न- 88, प्राइवेट मेंबर बिल- शून्य

सांसद कोष का उपयोग- 93 प्रतिशत

केसी वेणुगोपाल

उपस्थिति- 73 प्रतिशत, डिबेट- 18, प्रश्न- 357, प्राइवेट मेंबर बिल- शून्य

सांसद कोष का उपयोग- 81 प्रतिशत

रणदीप सिंह सुरजेवाला

उपस्थिति- 40 प्रतिशत डिबेट- 1, प्रश्न- 32, प्राइवेट मेंबर बिल- शून्य

सांसद कोष का उपयोग- 69 प्रतिशत

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