इंदौर के यशवंत क्लब सचिव ने हिंदी में जवाब के लिए फिर मांगा समय, सदस्यता पर रोक जारी, क्लब से रिकार्ड बुलाने पर भी होगी सुनवाई

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BP Shrivastava
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इंदौर के यशवंत क्लब सचिव ने हिंदी में जवाब के लिए फिर मांगा समय, सदस्यता पर रोक जारी, क्लब से रिकार्ड बुलाने पर भी होगी सुनवाई

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के यशवंत क्लब में स्पेशल कैटेगरी में नई सदस्यता देने पर रोक, एक बार फिर आगे बढ़ा दी गई। क्लब सचिव संजय गोरानी द्वारा उनके दिए गए 20 पन्नों के जवाब को हिंदी में देने की मांग याचिकाकर्ता द्वारा की गई थी, जिसके लिए दो दिन का समय फर्म्स एंड सोसायटी ने उन्हें दिया था। लेकिन शुक्रवार को सुनवाई के दौरान फर्म्स एंड सोसायटी में वह हिंदी में जवाब नहीं दे सके। उन्होंने फिर इसके लिए समय मांगा। जिसे सोसायटी ने दे दिया और अगली तारीख 14 दिसंबर लगा दी। उल्लेखनीय है कि क्लब ने 173 आवेदकों के आवेदनों को क्लब की सदस्यता प्रक्रिया के लिए मंजूर किया है और इन्हें 25-25 करके चार साल में सौ आवेदकों को सदस्यता दी जाएगी। पहले चरण में 37 सदस्यों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था जो अब रूक गई है।

याचिकाकर्ता ने हिंदी में मांगा हुआ है जवाब

याचिकाकर्ता व यशवंत क्लब सदस्य बलमीत सिंह छाबड़ा ने सचिव गोरानी द्वारा उनकी याचिका पर अंग्रेजी में दिए गए 20 पन्नों के जवाब पर आपत्ति लेते हुए कहा कि यह जवाब अंग्रेजी में हैं, इसका हिंदी में दिया जाए। यह जवाब आने के बाद एक बार फिर इस पर सुनवाई में समय लगेगा, क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा इस जवाब पर अपनी ओर से लिखित तर्क पेश किए जाएंगे। यानी अभी क्लब में नई सदस्यता देने का मामला लंबा खिंच सकता है।

जवाब में याचिकाकर्ता के लिए अपशब्द का उपयोग कर चुके गोरानी

क्लब सचिव संजय गोरानी ने जो अंग्रेजी में जवाब दिया है। इसमें बिंदु 7 में लिखा है कि कुछ असामाजिक तत्वों और बदमाशों ने मिलकर हमारे क्लब के खिलाफ साजिश रची है। क्लब के कामकाज को बाधित करने के लिए गुप्त और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए यह याचिका लगी है। यह याचिका असंतुष्ट सदस्य द्वारा उपद्रव पैदा करने और मुद्दे को सनसनीखेज बनाने के लिए दुर्भावनापूर्ण चाल है।

लंबे-चौड़े जवाब में माना हमने सदस्यता होल्ड कर दी

याचिकाकर्ता ने पूरे क्लब मैनेजिंग कमेटी के साथ क्लब के हर पदाधिकारी को भी व्यक्तिगत पार्टी बनाया था, लेकिन जवाब केवल गोरानी ने ही सभी की ओर से दिया। जवाब में यह कबूला है कि सदस्यता प्रक्रिया को होल्ड कर दिया है, लेकिन यह नहीं बताया कि संविधान संशोधन होने से पहले कैसे फार्म वितरित कर 15-15 हजार रुपए में बेच दिए, जबकि यह कहा कि राशि ली है उसे अलग मद में लिया है। वह उपयोग में नहीं ला रहे हैं। सचिव ने यह नहीं बताया कि आखिर प्राथमिकता क्रम किस तरह हुआ कि पहले कौन सदस्य बनेगा और फिर आखरी में कौन बनेगा? जो सूची में निचले पायदान पर है उसे तो चार साल लगेंगे सदस्य बनने में तो प्राथमिकता तय करना यह बड़ा बिंदु है। इस पर कोई जवाब नहीं है। सचिव ने यह कहा कि सदस्यता आवेदन की जांच करना कि उन पर क्या सिविल, आपराधिक केस है। यह जिम्मेदारी हमारी नहीं, हम कोई ज्यूडिशियल बॉडी नहीं है। फिर दस फार्म कैसे रिजेक्ट हुए इसका आधार क्या रहा? इसका भी जवाब सचिव ने नहीं दिया।

फर्म्स एंड सोसायटी आदेश पर भी की टिप्पणियां

गोरानी ने अपने दिए जवाब में फर्म्स एंड सोसायटी द्वारा यथास्थिति रखने संबंधी 27 अक्टूबर के आदेश को लेकर भी विपरीत टिप्पणियां की है। उन्होंने कहा कि हमने सभी काम प्रक्रिया से किए हैं। एजीएम और ईओजीए में लिए फैसले पर काम हो रहे हैं, ऐसे में फर्म्स एंड सोसायटी को इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता की अपील पर एकतरफा फैसला लिया गया है। सोसायटी ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर फैसला लिया है।

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