पुनीत पांडेय, BHOPAL. चैट जीपीटी के क्रिएटर्स ने अपना आईओएस ऐप लॉन्च कर दिया है और कहा जा रहा है कि वो जल्द ही एंड्रॉयड ऐप भी लॉन्च कर सकते हैं। चैट जीपीटी का आईओएस ऐप फ्री टू यूज है और ये आपकी गूगल सर्च हिस्ट्री से सिंक कर सकता है। इसके साथ ही ये विस्पर्स के साथ भी इंटीग्रेट कर लेता है। विस्पर्स एक ओपन सोर्स स्पीच रिकग्निशन सिस्टम है जो वॉइस इनपुट में मदद करता है।
आईओएस ऐप फिलहाल अमेरिका में ही उपलब्ध
आईओएस प्लेटफॉर्म पर चैट जीपीटी के यूजर्स को जीपीटी-4 के एक्सक्लूसिव फीचर्स पर पहले एक्सेस मिलता है। आईओएस ऐप फिलहाल अमेरिका में ही उपलब्ध है और इसे दूसरे देशों में जल्द ही लॉन्च करने की तैयारी है। अपने फ्यूचर प्लान के बारे में OPEN AI के निर्माताओं ने कहा कि ChatGPT App हम लोगों को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा रहे हैं। हम आधुनिक रिसर्च को बदलने जा रहे हैं जिससे लोगों को मदद मिलेगी।
एप्पल ने ChatGPT को किया बैन
ChatGPT को लेकर चल रहे विवादों के बीच Apple ने AI टूल को अपने कर्मचारियों के लिए बैन कर दिया है। इसके साथ ही Apple ने दूसरे AI चैटबोट्स को भी बैन कर दिया है। इसका कारण बताया जा रहा है कि इससे कंपनी की गुप्त फाइलें चैटजीपीटी को मिल सकती हैं। ऐसी फाइलें जो कुछ विशेष प्रोग्राम से जुड़ी हुई हों। इतना ही नहीं Apple ने कर्मचारियों को माइक्रोसॉफ्ट के कोपायलट (copilot) का इस्तेमाल करने से भी मना किया है। ये सॉफ्टवेयर कोड राइटिंग को ऑटोमेट करता है।
एंड्रॉयड ऐप होगा छात्रों के लिए हानिकारक
ChatGPT का एंड्रॉयड ऐप छात्रों के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। इसका कारण भारत में ज्यादातर छात्रों के पास एंड्रॉयड बेस्ड मोबाइल फोन होना है। शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि जब छात्रों के पास प्रश्नों के उत्तर और रिसर्च वर्क बना बनाया मिल जाएगा तो उनकी सीखने की क्षमता कम होगी।
इटली ने किया बैन
ChatGPT को प्राइवेसी से जुड़ी समस्याओं के चलते इटली ने बैन कर दिया है। इटली इस open AI सोर्स को बैन करने वाला पहला देश है। इटली की डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने लोगों के डेटा को संरक्षित करने के लिए ये फैसला लिया था।