NEW DELHI. भारत ने हाल ही में गूगल से पंगा लेते हुए उस पर जुर्माना ठोक दिया। कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा ठोके गए इस जुर्माने से गूगल भारत में अपने सेवाएं (एंड्रॉयड OS) देने से रोक सकता था, इन्हें कमतर कर सकता था। ऐसे में यह सवाल उठता है क्या भारत सरकार इस तरह की विपरीत स्थिति के लिए तैयार थी। शायद थी, क्योंकि हाल ही में खबरों में आया कि आईआईटी चेन्नई ने BharOS नाम से नया ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार कर लिया है। माना जा सकता है कि भारत सरकार को इसकी जानकारी काफी पहले से रही होगी। इसे आईआईटी मद्रास की कंपनी जेएंडके ऑप्स प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। इसे आईआईटी मद्रास ने ही फंड किया है।
ऐसे एंड्रॉयड से अलग है BharOS
गूगल की एंड्रॉयड की दुनिया में मोनोपोली है। आईओएस और विंडोज को छोड़कर गूगल का एंड्रॉयड ही है, जो सामान्य रूप से मोबाइल फोन में मिलता है। इस मोनोपोली का नुकसान यह है कि कोई भी एंड्रॉयड बेस्ड फोन प्री लोडेड ऐप्स के साथ आता है, आप चाहें या नहीं। इसी तरह कई तरह की सर्विसेज के साथ भी होता है। अब बात करते हैं BharOS की। यह गूगल की मनमानी को रोकने के साथ ही यूजर को अपनी पसंद के ऐप डाउनलोड करने की सुविधा देगा।
इतना ही नहीं, BharOS को अब तक का सबसे सिक्योर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम माना जा रहा है, क्योंकि यूजर की परमिशन के बिना इसमें कोई एप्लीकेशन डाला ही नहीं जाएगा, जो प्रीइंस्टॉल्ड ऐप्स के साथ नहीं होता है। यानी मोबाइल चलेगा तो, लेकिन उसमें कोई ऐप नहीं होगा। आपकी जो मर्जी हो, वो डाउनलोड कर सकते हैं। अभी तक हम लोगों को प्रीइंस्टॉल्ड एप्स से ऑपरेट करने या जुड़े रहने के लिए बाध्य किया जाता है, यानी आप उन्हें मोबाइल से हटा नहीं सकते। iOS की बात करें तो यह Apple का मालिकाना OS है और BharOS की इसके साथ कोई समानता नहीं है।
BharOS आते ही एंड्रॉयड को रिप्लेस नहीं करेगा
यह अभी तक नहीं साफ है कि यह किन फोन पर काम करेगा। इसमें प्राइवेट ऐप स्टोर सर्विस (पास) होगी, जिससे ऐप डाउनलोड किए जा सकेंगे। इसमें अपडेट एंड्रॉयड की तरह अपने आप हो सकेगा। हालांकि, आते ही यह एंड्रॉयड को रिप्लेस नहीं कर सकेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि एंड्रॉयड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट पर बेस्ड है। यानी गूगल द्वारा दी गई सुविधा का मॉडिफिकेशन है।
कब आएगा BharOS?
BharOS सभी Android ऐप्स पर चल सकता है। हालांकि, कंपनी ने अब तक यह घोषणा नहीं की है कि वह स्मार्टफोन प्लेयर्स तक पहुंचने की योजना कैसे बना रही है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर जनता के लिए कब उपलब्ध होगा। इतना ही अभी तक इस बात की जानकारी भी नहीं मिली है कि नियमित स्मार्टफोन यूजर्स के लिए ओएस जारी किया जाएगा या नहीं।
कौन कर रहा है BharOS का इस्तेमाल?
फिलहाल कुछ संगठनों द्वारा BharOS सर्विस का परीक्षण किया जा रहा है, जिनके पास कड़ी गोपनीयता और सुरक्षा आवश्यकताएं हैं और जिनके यूजर्स संवेदनशील जानकारी को संभालते हैं। ऐसे यूजर्स को निजी 5G नेटवर्क के माध्यम से निजी क्लाउड सेवाओं तक एक्सेस की जरूरत होती है।