जानें Google के चैटबॉट Bard के किस गलत जवाब से अल्फाबेट को हुआ 99 हजार करोड़ का नुकसान, Oct 2022 के बाद शेयर में सबसे बड़ी गिरावट

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Sunil Shukla
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जानें Google के चैटबॉट Bard के किस गलत जवाब से अल्फाबेट को हुआ 99 हजार करोड़ का नुकसान, Oct 2022 के बाद शेयर में सबसे बड़ी गिरावट

NEW DELHI. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) आधारित चैटबॉट बार्ड (Bard) के एक गलत जवाब ने गूगल को 120 बिलियन डॉलर ( करीब 99 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान करा दिया है। बार्ड की ये गलती पकड़े जाने के बाद से ही गूगल की मार्केट वैल्यू लगातार घट रही है। इस घटनाक्रम से बुधवार ( 9 फरवरी) को गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट का शेयर करीब 8 फीसदी गिरा है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर वो कौन सा सवाल था जिसका गलत जवाब देने पर गूगल को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।



जानिए क्या है पूरा मामला? 



गूगल ने इसी हफ्ते मंगलवार (7 फरवरी) को  अपना नया एआई चैटबॉट बार्ड (Bard) लॉन्च किया है। माइक्रोसाफ्ट के चैट बॉट चैट जीपीटी के मुकाबले के लिए उतारे गए इस टूल के लिए गूगल ने इसका एक प्रमोशनल वीडियो लॉन्च किया था। इसमें (Bard) से सवाल पूछा गया कि नौ साल के एक बच्चे को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की नई रिसर्च के बारे में क्या बताना चाहिए? इस सवाल के जवाब में  Bard ने तीन बिंदुओं में जवाब दिया। 




  • 2023 में JWST ने कई आकाशगंगाओं  (Galaxy) की पहचान कर  उन्हें 'ग्रीन पीस' नाम दिया है। ये नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वो आकार में छोटे, गोलाकार और हरे रंग के थे। बिल्कुल मटर के दाने की तरह। 


  • टेलीस्कोप ने 13 बिलियन पुरानी गैलेक्सी की तस्वीरें खींची। 

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल मिल्की वे के बाहर के ग्रहों की पहली तस्वीर लेने के लिए किया गया था। 



  • बार्ड का तीसरा जवाब गलत निकला। इसे न्यूज एसेंसी रॉयटर्स ने पकड़ा। समाचार एजेंसी ने जैसे ही इसका खुलासा किया वैसे ही गूगल की मार्केट वैल्यू कम होने लगी। लोगों ने गूगल के एआई चैटबॉट को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी। 



    रॉयटर्स ने बताया सही जवाब 



    रॉयटर्स ने नासा का हवाला देते हुए बताया कि यूरोपियन एडवांस टेलीस्कोप ने 2023 नहीं बल्कि 2004 में अंतरिक्ष के सोलर सिस्टम के बाहर के ग्रहों (एक्सोप्लैनेट) की फोटो ली थी। इस एक्सोप्लैनेट को स्पेस वर्ल्ड में 2M1207b के नाम से पहचाना जाता है। यह जूपीटर (बृहस्पति ग्रह) से लगभग पांच गुना ज्यादा बड़ा और पृथ्वी से करीब 170 प्रकाश वर्ष दूर है। आईटी एक्सपर्ट का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से खोजी गई जानकारी की गलतियों को आसानी से पकड़ना संभव नहीं है।



    अल्फाबेट का शेयर 8.10 फीसदी गिरा 



    Bard की ये गलती सामने आने से पहले गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के एक शेयर का मूल्य 106.77 डॉलर था,जो बुधवार को घटकर 98.08 डॉलर हो गया। इसमें करीब 8.1 फीसदी की कमी हुई है। यह अक्टूबर 2022 के बाद से अल्फाबेट के मूल्य में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पहले जब कंपनी ने बिक्री, लाभ और विकास में बड़ी मंदी का खुलासा किया था, तब एक दिन में गूगल के शेयर्स में नौ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। 



    क्या है एआई चैटबॉट?



    इन दिनों एआई बेस्ड चैटबॉट के नाम की खूब चर्चा हो रही है। माइक्रोसाफ्ट समर्थित ओपनएआई (OpenAI) के चैटबॉट ChatGPT के बाद गूगल ने भी हाल ही में  07 फरवरी को  चैटबॉट BARD लाॉन्च किया है। अंग्रेजी में चैटबॉट शब्द चैट+बॉट से मिलकर बना है। इसमें चैट का अर्थ होता है बातचीत और बॉट का अर्थ है रोबोट। अर्थात चैटबॉट का मतलब है बातचीत करने वाला रोबोट।असल में एआई चैटबॉट्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऐसे एप या रोबोट होते हैं जिनसे लोग बातचीत कर सकते हैं। ये इंसानों की तरह बोलकर या लिखकर आपके सवालों के जवाब देने में सक्षम होते हैं। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे हम व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया पर किसी से चैट कर रहे हों। अंतर सिर्फ इतना है कि चैट बॉट में जवाब एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर या एप देता है। आसान भाषा में कहें तो आईटी कंपनियां किसी एप को इतना ज्यादा डाटा और जानकारियों से लैस कर देती हैं कि वो आपके हर सवाल या जिज्ञासा का जवाब देने में सक्षम हो जाएं। यानी आप जो भी जानकारी इन चैटबॉट से पूछते हैं वो सभी पहले से इसमें अपलोड की जाती हैं।



    गूगल ने अपने चैट बॉट का नाम Bard क्यों रखा  



    दरअसल Bard शब्द का मतलब ऐसे  व्यक्ति  से है जो शायरी या कविता लिख सकता हो यानी एक कुशल कवि या शायर हो। गूगल ने अपने ग्राहकों के सवालों का सटीक और नवीनतम जवाब देने के लिए बार्ड को विकसित किया है। इसलिए इसे नाम दिया गया है बार्ड यानी कवि। गूगल ने यह चैटबॉट माइक्रोसाफ्ट के चैट जीपीटी से मुकाबला करने के लिए विकसित किया है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने पिछले दिनों एक ब्लॉग पोस्ट में इस एआई बेस्ड महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की थी जिसमें उन्होंने बार्ड को इंसानों की तरह बातचीत करने वाली सर्विस बताया था। ये सवाल पूछने वाले के उत्तर भी दे सकेगा औऱ उनसे बातचीत भी करेगा।



    ChatGPT और गूगल Bard के बीच अंतर



    आइए अब आपको बताते हैं कि आखिर इन दोनों एआई आधारित  चैट बॉट में क्या अंतर है। चैट जीपीटी के समान Bard भी गूगल के LaMDA यानी डायलॉग एप्लीकेशन (बातचीत आधारित) के लिए लैंग्वेज मॉडल तकनीक (भाषा आधारित) पर निर्मित एक लैंग्वेज मॉडल चैट बॉट है। इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी की दुनिया में माइक्रोसॉफ्ट का चैट जीपीटी आने के बाद गूगल पर इसके मुकाबले के लिए अपना  एआई  चैट बॉट लांच करने का दबाव बढ़ गया था। बार्ड (Bard) यह एक एआई टूल है, जिसे गूगल लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलॉग एप्लीकेशन यानी LamDA से तैयार किया गया है। चैट जीपीटी की तरह ही यह आपके सवालों का जवाब देने में सक्षम होने वाला आईटी टूल है। इसमें वही जानकारी आपको मिलेगी जो आप जानना चाह रहे हैं। 



    चैट जीपीटी और गूगल बार्ड इन दोनों की तुलना करने के लिए पहले इनके बीच फर्क को समझना होगा। गूगल बार्ड नया एआई टूल है जो वेब यानी इंटरनेट  पर मौजूद लेटेस्ट इन्फॉर्मेशन के मुताबिक आपके सवालों का जवाब देगा। इसके विपरीत चैट जीपीटी आपको वही जानकारी देगा जो इसमें फीड की गई है।




    • गूगल बार्ड के बारे में यह दावा किया गया है कि ये लेटेस्ट इंफॉर्मेशन इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के हिसाब से जवाब देता है। जबकि चैट जीपीटी पूछे गए सवालों के जवाब टेक्स्ट फॉर्मेट में लिखकर देता है।


  • Bard से आपको लेटेस्ट इन्फॉर्मेशन मिलेगी जबकि चैट जीपीटी में 2021 तक के डाटा के आधार पर ही इन्फॉर्मेशन मिलेगी क्योंकि इस टूल में इसी अवधि तक की जानकारी का डाटा फीड है। 

  • चैट जीबीटी इंसानों की तरह ही टेक्स्ट लिखकर आपके सवालों के जवाब देता है, जबकि गूगल का बार्ड शुरुआत में इंटरनेट पर बेसिक सर्च के हिसाब से आपको स्क्रीन पर जवाब दिखा देगा।



  • गूगल और माइक्रोसाफ्ट में सर्च बिजनेस की प्रतिस्पर्धा 



    गूगल के सर्च बिजनेस को माइक्रोसॉफ्ट से लगातार चुनौती मिल रही है। माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही में ChatGPT का साफ्टवेयर डेवलप करने वाली आईटी कंपनी ओपन एआई में 10 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया है। इसके साथ ही माइक्रोसाफ्ट की तैयारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सभी संभावनाओं और क्षमताओं को अलग-अलग सॉफ्टवेयर में इंटीग्रेट करने की तैयारी है। इनमें से एक बड़ा नाम माइक्रोसाफ्ट के सर्च इंजन बिंग का भी है जो गूगल का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी है।


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