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आईआईटी ने अलग-अलग तकनीक से देश में कई समस्याओं का समाधान निकाला है। आईआईटी अब मंडी क्रेट में बेहतर सेब ढुलाई से जुड़ी समस्याओं में भी सरकार की मदद करेगी। ये क्रेट में सेब पैकिंग कर सुरक्षित मंडियों तक पहुंचाने की तकनीक मुहैया कराएंगे। बगीचों तक अधिक से अधिक संख्या में क्रेट कम से कम खर्चे पर पहुंचाने पर भी आईआईटी काम करेगा। प्रदेश सरकार इस साल से प्रयोग के तौर पर कार्टन के बदले क्रेट में सेब पैकिंग करके बेचने की व्यवस्था कर रही है।
आखिर मसला क्या हैं?
सेब ढुलाई के लिए बागवान क्रेटों में सेब की पैकिंग करते हैं तो इसमें पैकिंग ट्रे की जगह कैसे फसल को सुरक्षित रख सकेंगे। खाली क्रेटों की ढुलाई कैसे कम से कम दरों पर कर पाएंगे। प्रदेश की मंडियों में खाली क्रेटों का भंडारण किया जा सकेगा। सेब को कैसे क्रेट में सुरक्षित दूर वाले राज्यों में भेजा जा सकता है ताकि फसली नुकसान से बचा जा सके।इन सब बातों को ध्यान में रखकर आईआईटी मंडी को क्रेट में सेब की सुरक्षित पैकिंग को लेकर तकनीक देने को कहा गया है। इस तकनीक के बाद से नई तकनीक विकसित कर बागवानों को क्रेट के अलग खर्चे से निजात मिलेगी और खाली क्रेटों का भंडारण भी आसान होगा। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि आईआईटी मंडी को बागवानों की जरूरत को ध्यान में रखकर तकनीक देने को कहा गया है।
अब तक कैसे होता था निवारण
प्रदेश में दो किस्म के क्रेट फलों की पैकिंग और ढुलाई के लिए बाजार में मौजूद है। बाजार में 250 से 300 रुपये की दर के महंगे क्रेट उपलब्ध हैं। ये क्रेट बहुत बार इस्तेमाल करते हैं। बाजार में सस्ते क्रेट 80 से100 रुपये में मिल जाते हैं। बागवान इनका फलों में सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल करते हैं। सस्ते क्रेट दोबारा इस्तेमाल नहीं किए जा सकते है। बाजार में अब फोल्ड होने वाले क्रेट भी अवेलेवल हैं।
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