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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड डिविडेंड देने का ऐलान किया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में करीब 27 प्रतिशत ज्यादा है। इससे सरकार का खजाना मजबूत होगा और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
आखिर RBI का काम क्या है और कहां से कमाती है इतना सारा पैसा, समझते हैं…
RBI के आय स्रोत कई हैं, जिनमें से मुख्य हैं:
सरकारी बॉन्ड और सिक्योरिटीज: सरकार के लिए जारी किए गए बॉन्डों से मिलने वाला ब्याज RBI की आय का बड़ा हिस्सा है। सरकार जब कर्ज लेती है तो RBI उस पर ब्याज प्राप्त करता है।
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves): आरबीआई विदेशी मुद्रा (जैसे डॉलर) को खरीद-फरोख्त करता है। डॉलर की कीमत बढ़ने पर वह उसे बेचकर अच्छा मुनाफा कमाता है। भारत के पास बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार होता है, जो RBI के पास होता है।
नोट छपाई का मुनाफ़ा: नोट छपाई की लागत उससे कम होती है, जिससे RBI को लाभ होता है। इसे 'सीवनिंग' (Seigniorage) कहते हैं।
बैंकों को दिया गया ऋण: RBI जब कमर्शियल बैंकों को रेपो दर पर कर्ज देता है तो उससे ब्याज मिलता है।
सुनहरे भंडार (Gold Reserves): RBI के पास सोने का भंडार होता है, जिसकी कीमत में उतार-चढ़ाव से भी मुनाफा होता है।
डिविडेंड का मतलब क्या है?
डिविडेंड वह हिस्सा होता है जो आरबीआई अपने शेष मुनाफे में से सरकार को ट्रांसफर करता है। RBI का मुख्य उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं, लेकिन काम के दौरान जो लाभ होता है, वह सरकार के कोष में जमा होता है।
RBI का आर्थिक पूंजी ढांचा (Economic Capital Framework - ECF) क्या है?
RBI ने आर्थिक पूंजी ढांचे के तहत अपनी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। इसमें मुख्य बात यह है कि RBI अपने पास कुछ रिजर्व यानी आकस्मिक जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer - CRB) बनाए रखेगा।
CRB का उद्देश्य: आर्थिक संकट, अप्रत्याशित वित्तीय नुकसान या विदेशी मुद्रा में भारी उतार-चढ़ाव से RBI को सुरक्षित रखना।
CRB की सीमा: RBI के पास यह बफर 4.5% से 7.5% के बीच रहना चाहिए। मई 2025 की बैठक में इसे 7.5% तक बढ़ा दिया गया।
ECF के आधार पर डिविडेंड: आरबीआई जो डिविडेंड सरकार को देता है, वह इस आर्थिक पूंजी ढांचे के आधार पर तय होता है ताकि बैंक की वित्तीय मजबूती बनी रहे।
2024-25 में RBI का रिकॉर्ड डिविडेंड क्यों महत्वपूर्ण है?
डिविडेंड 2.69 लाख करोड़ रुपए: यह पिछले वर्ष की तुलना में 27.4% अधिक है।
सरकार के बजट में मदद: बजट में अनुमान से ज्यादा डिविडेंड मिलने से सरकार के घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
कर्ज कम करना संभव: सरकार को कर्ज कम लेना होगा, जिससे ब्याज दरों पर दबाव कम होगा और कर्ज सस्ता होगा।
रक्षा और अन्य खर्चों का सामना: पाकिस्तान तनाव और अमेरिका से टैरिफ जैसी चुनौतियों के बीच यह अतिरिक्त धनराशि सरकार के लिए राहत होगी।
बाजार में नकदी वृद्धि: डिविडेंड से बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा, जिससे उपभोग (consumption) और निवेश में वृद्धि होगी।
डिविडेंड से अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
ब्याज दरों में कटौती: सरकार का घाटा घटने से RBI और सरकार ब्याज दरों को कम कर सकती हैं।
EMI पर राहत: ब्याज दर कम होने से आम लोगों के लोन की EMI घट सकती है।
शेयर मार्केट को फायदा: बाजार में नकदी वृद्धि से शेयरों की खरीद-फरोख्त बढ़ेगी, जिससे शेयर मार्केट में तेजी आएगी।
बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी: बैंकों के पास पैसा बढ़ेगा, जो ऋण देने में मदद करेगा।
सरकार इस पैसे का उपयोग कैसे करेगी?
सरकार RBI से मिलने वाले इस रिकॉर्ड डिविडेंड का उपयोग देश की आर्थिक मजबूती के लिए करेगी। इसमें शामिल हैं:
देश पर कर्ज (Loan) कम करना, जिससे ब्याज दरों में कमी आ सके।
रक्षा खर्च बढ़ाने से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना, खासकर अमेरिका से टैरिफ और पाकिस्तान से तनाव के बीच। बाजार में नकदी (Liquidity) बढ़ाना ताकि उपभोग (Consumption) बढ़े और EMI में कमी आए।
शेयर मार्केट और बैंकिंग सेक्टर में सकारात्मक असर।
आकस्मिक जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer) का महत्व
आरबीआई ने आकस्मिक जोखिम बफर को बढ़ाकर 7.5% कर दिया है। यह बैंक के वित्तीय जोखिमों को संभालने के लिए रखा गया फंड होता है। इसका उद्देश्य आर्थिक संकट के समय बैंक की स्थिरता बनाए रखना है।
RBI का मुनाफा और सरकार का फायदा
सरकार ने बजट में अनुमान लगाया था कि RBI से 2.56 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे, लेकिन 2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड डिविडेंड मिलना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।
इससे सरकार का घाटा घटेगा और ब्याज दरों में कटौती के रास्ते साफ होंगे। इसके परिणामस्वरूप आम जनता के लिए लोन की EMIs कम हो सकती हैं।
RBI की वित्तीय स्वायत्तता और सरकार के बीच संतुलन
RBI को क़ानूनन स्वायत्तता मिली है ताकि वह नीतिगत फैसले स्वतंत्र रूप से कर सके।
2018 में RBI के मुनाफे को सरकार को देने की सीमा को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में समिति बनी।
इस समिति ने एक ऐसा फ़्रेमवर्क तैयार किया जो आरबीआई की वित्तीय स्थिरता और सरकार के हितों के बीच संतुलन बनाए।
वर्तमान में RBI आकस्मिक जोखिम बफर 7.5% तक बढ़ाकर वित्तीय मजबूती सुनिश्चित कर रहा है।
RBI के मुनाफे का व्यावहारिक उदाहरण
मान लीजिए आरबीआई ने सरकार को 2.69 लाख करोड़ डिविडेंड दिया।
सरकार ने इसके जरिये बाजार से 50,000 करोड़ रुपए कम कर्ज लिया।
इससे ब्याज भुगतान में बचत हुई, जो सीधे सरकार के खर्च में उपयोग हो सकती है।
ब्याज दरों में कटौती से देश के उद्योगों और आम लोगों के लिए कर्ज सस्ता हुआ।
परिणामस्वरूप आर्थिक विकास की गति बढ़ी और रोजगार के अवसर बढ़े।
RBI और सरकार के बीच वित्तीय संबंधों का समग्र महत्व
RBI का डिविडेंड सरकार के लिए आर्थिक राहत का स्रोत है। सरकार की आर्थिक नीतियां, बजट और विकास कार्य इस धनराशि से सीधे प्रभावित होते हैं। साथ ही, Reserve Bank of India की वित्तीय स्थिरता और स्वायत्तता सुनिश्चित करना भी देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
RBI द्वारा सरकार को दिया गया रिकॉर्ड डिविडेंड न केवल सरकारी खजाने को मजबूत करता है बल्कि देश की समग्र आर्थिक स्थिरता, ब्याज दरों की कटौती, रक्षा और विकास खर्चों की पूर्ति, और शेयर बाजार को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आर्थिक पूंजी ढांचे और आकस्मिक जोखिम बफर जैसे नियामक उपाय RBI की वित्तीय मजबूती को बनाए रखते हुए सरकार को जरूरी संसाधन उपलब्ध कराते हैं। इसलिए यह डिविडेंड एक बड़ा आर्थिक संकेतक है, जो आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सकारात्मक संकेत देता है।
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