एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता... 27 जून को भोपाल दौरे पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बयान दिया तो ये बिलकुल साफ था कि पीएम मोदी का इशारा यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर है.. संसद के आने वाले सत्र में मोदी सरकार यूसीसी को लेकर बिल पेश कर सकती है.. जैसे ही पीएम मोदी का बयान आया.. कुछ राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया तो कुछ ने विरोध.. लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने यूसीसी को लेकर अभी तक अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है.. मनीष तिवारी और शशि थरूर जैसे नेताओं ने जरूर कहा कि भारत जैसे विविधताओं वाले देश में यूसीसी को लागू करना इतना आसान नहीं है.. लेकिन एकदम से इसे खारिज भी नहीं किया न ही समर्थन किया है... दरअसल कांग्रेस की ये सोची समझी रणनीति है.. और दिग्विजय सिंह के इस बयान से इस रणनीति को समझा जा सकता है...हर मुद्दे पर खुलकर बयान देने वाले दिग्विजय सिंह ने यूसीसी को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी.. ये हैरान करता है... और इसी से समझा जा सकता है कि कांग्रेस नेताओं को हिदायत है कि अभी इस मुद्दे पर मुंह ना खोला जाए.. पिछले दिनों कमलनाथ से भी यही सवाल किया गया था तो वो भी कहते नजर आए थे कि पहले आने दीजिए फिर देखेंगे...दरअसल यूसीसी को लेकर कांग्रेस के भीतर असमंजस नजर आता है.. क्योंकि कांग्रेस अब सॉफ्ट हिंदुत्व से हार्ड हिंदुत्व की राह पकड़ती जा रही है... यदि उसे बहुसंख्यकों को साधना है तो अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर संभल कर बयान देना होगा.. यदि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक भी लूज बॉल फेंकी तो बीजेपी इसे बाउंड्री पार ले जाने में कसर बाकी नहीं छोड़ेगी.. इसलिए कांग्रेस के अंदरखाने में इसबात की चर्चा है कि संसद में जब बिल पेश किया जाएगा उस वक्त ही देखा जाएगा कि किस तरह का स्टैंड लेना है... इसलिए यूसीसी पर कांग्रेस के नेता या तो खामोश है या इस मामले को टालते नजर आ रहे हैं...
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