ट्रिगर दबा... गोली चली... लेकिन श‍िकार पेड़ से नीचे नहीं गिरा !

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
ट्रिगर दबा... गोली चली... लेकिन श‍िकार पेड़ से नीचे नहीं गिरा !

अल्लापल्ली (Allapalli) के आसपास सागौन (Teak) और अन्य प्रजातियों के घने जंगल (Dense Forest) थे। जंगल में सागौन के परिपक्व अवस्था के बहुत सारे पेड़ देखने को मिलते थे। पेड़ों की ऊंचाई 80 से 100 फीट तक थी। इन जंगलों में छोटी से बड़ी आयु के पेड़ पर्याप्त संख्या में उपलब्ध थे। यह एक आदर्श जंगल की पहचान होती है। इन जंगलों में दूर-दूर तक कोई गांव नहीं थे। इससे मनुष्यों (Men) व पशुओं (Animals) से जंगलों को होने वाली क्षति बिल्कुल नहीं थी। जंगलों को सबसे अधिक नुकसान मनुष्य और पशुओं की अनियंत्रित चराई एवं आग से होता है। प्रकृति (Nature) का नियम है कि अगर जंगलों को इन नुकसान से बचाया जा सके तो जंगल अपने आप सुरक्षित होकर बढ़ते रहते हैं। नए पौधे तैयार होते रहते हैं और सभी आयु के पेड़ उपलब्ध होते हैं। परिपक्व अवस्था के पेड़ काटने पर अन्य बढ़ते हुए पेड़ उनका स्थान लेते रहते हैं। आलापल्ली के आसपास के जंगल में शेर (tiger), चीते (Panther), सांभर, चीतल, चौसिंगा, लोमड़ी, खरगोश, बंदर (Monkey) बड़ी संख्या में थे। इसका मुख्य कारण यह था कि उन्हें आरामदायक घर (जंगल) मिला हुआ था। आसपास गांव न होने से उन्हें आराम की जिंदगी बिताने को मिलती थी। शिकार न होने से वे सुरक्षित महसूस करते। वन्य प्राण‍ियों के लिए पर्याप्त खाद्य सामग्री उपलब्ध थी। उनकी संख्या में लगातार वृद्धि होती रहती थी। जंगल में चिड़ियों की चहचहाहट और जंगली जानवरों की आवाज सुनकर मन खुश हो जाता था।



वन अध‍िकारी ड्यूटी में कर सकते थे श‍िकार



एसडीओ एनके जोशी के पास एक वॉक्सहाल कार थी, जिसमें बैठकर हम लोग कभी-कभी जंगलों के अंदर तफरी करने निकल जाते थे। जंगल में बंदर बहुत अधिक मात्रा में थे। जोशी जी के पास एक 12 बोर की बंदूक भी थी। एक बार जंगल में तफरी करते हुए बात निकली कि किस का निशाना सबसे सबसे अच्छा है। वर्किंग स्कीम ऑफिसर एससी अग्रवाल ने कहा कि उनका निशाना बहुत अच्छा है। जोशी जी ने उन्हें तुरंत बंदूक दी और कहा कि एक बंदर पर निशान लगा कर मार कर दिखाओ। अग्रवाल जी ने निशाना साधते ही तुरंत गोली चला दी। हम लोग भी आश्चर्यचकित थे कि इतनी जल्दी गोली कैसे चल गई और कोई बंदर भी पेड़ से नीचे नहीं गिरा। अग्रवाल जी ने झेंपते हुए कहा कि धोखे से ट्रिगर दब गया। उस समय शिकार पर कोई प्रतिबंध नहीं था। वन अध‍िकारी ड्यूटी के समय शिकार कर सकते थे। मारे गए जानवर की उन्हें केवल रॉयल्टी अदा करनी होती थी। मैं जब आलापल्ली में ट्रेनिंग कर रहा था, तो वह मेरा सरकारी सेवा में प्रोबेशन पीरियड भी था। इस दौरान मेरा पूरा ध्यान ट्रेनिंग पर था। ट्रेनिंग में ध्यान रखता था कि कहीं कोई गलती न हो जाए। गलती होने पर विपरीत टीका टिप्पणी हो सकती थी। सफल ट्रेनिंग के बाद ही सेवा में स्थायी किया जाता है यानी कि नौकरी पक्की हो जाती है। जोशी व अग्रवाल जी कभी-कभी मेरी हट में आ कर बैठते और प्रोत्साहित करते रहते थे। जब वे दोनों आते तो मेरे पास उनको बैठाने के लिए खाट के अलावा अन्य कोई फर्नीचर नहीं था। ट्रेनिंग के पूर्व नागपुर जाने का मकसद यह भी था कि वहां से रीड की साइकिल टायर लगी कुर्स‍ियां का एक सेट खरीद कर ट्रक से ले आऊं। यह संभव नहीं हो पाया। ट्रेनिंग के दौरान आलापल्ली वन क्षेत्र का वर्किंग प्लान और फॉरेस्ट मैनुअल अध्ययन करने के लिए दिए गए।



उच्चतम अध‍िकारी जब कर्मचारियों और मजदूरों के साथ बुझाता था आग



वर्किंग प्लान दो भाग में था। पहले भाग में जंगल का विवरण, वहां की जियोलॉजी, जलवायु पूर्व में अपनाई गई कार्यविधि और उसके परिणाम आदि रहते थे। इसमें अगले दस वर्षों में डिवीजन के विभिन्न जंगलों में किए जाने वाले कामों का ब्यौरा दिया जाता है। दूसरे भाग में पूरे जंगल का क्षेत्रफल दर्शा कर काम करने के तरीके बताए गए थे। वर्किंग प्लान बनाने के लिए डीएफओ रैंक का अधिकारी पोस्ट किया जाता है। इस अध‍िकारी को लगभग दो-तीन वर्ष का समय उस जंगल में बिताना होता था। वह अध‍िकारी पूरे जंगल का भ्रमण कर स्टाक मैपिंग करता था। फॉरेस्ट मैनुअल में जंगल से संबंधित विभिन्न कानूनों का विवरण के साथ अमले द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली का ब्यौरा रहता था। फॉरेस्ट मैनुअल में कुछ रोचक जानकारियां थीं। जब किसी जंगल में आग लगे तब उस क्षेत्र में उपस्थित उच्चतम वन अधिकारी को कर्मचारियों एवं मजदूरों के साथ स्वयं आग बुझाने के कार्य में भाग लेना अनिवार्य होता था। पतझड़ होने के कारण पूरे जंगल में पत्तियां गिरती रहती थीं और सूखने के बाद वे अत्यंत ज्वलनशील हो जाती थीं। ज़रा सी चिंगारी लगने पर गर्मी में आग जल्दी फैल जाती है और जब तेज हवा चल रही हो आग लगने के विभिन्न कारण होते हैं। जंगल में आग लगने में सामान्यत: मनुष्यों का ही हाथ होता है। आग की सूखी पत्तियों एवं टहनियों के जलने के कारण लंबी लाइन बन जाती है। जिसे झाड़ियों की लंबी डगालें तोड़कर उनसे पीट-पीटकर बुझाने का प्रयास किया जाता है। आग को एक विशेष क्षेत्र में सीमित करने के लिए आग की लाइन से आगे बढ़कर एक पत्तियों रहित चौड़ी पट्टी बनाई जाती है, ताकि आग वहां पहुंचकर समाप्त हो जाए। आग का सीजन शुरू होने से पहले सभी फायर लाइंस की सफाई कर उन्हें घास एवं पत्तियों रहित बना दिया जाता है। आग से जंगलों को भारी क्षति पहुंचती है। स्वाभाविक रूप से  जंगलों में जो नए पौधे तैयार होते हैं और जो बड़े पेड़ों का स्थान लेने की क्षमता रखते हैं, वे जलकर खत्म हो जाते हैं। बड़े पेड़ों में आग के कारण पोलापन होने का डर बना रहता है। जंगली जानवरों के उपयोग में आने वाली घास और झाड़ियां आदि जलकर समाप्त हो जाती हैं। पौधारोपण क्षेत्र में आग लगने से लगाए गए पौधे नष्ट हो जाते हैं। अगर कुछ पौधे झुलस कर बच भी जाते हैं तो उनके क्षतिग्रस्त व रोगग्रस्त बने रहने की संभावना रहती है।



जंगल विभाग के हाथ‍ियों की सुघड़ता देखते बनती थी



उस समय वन विभाग में हाथियों द्वारा किए जाने वाले काम सराहनीय व देखे जाने वाले होते थे। पहाड़ों की ढलान पर काटे गए पेड़ों के भारी लट्ठे हाथी सुघड़ता से सूंड और दांतों (टस्क) की सहायता से उठाकर एक ही स्थान पर इकट्ठे करते रहते थे। हाथी ज़ंजीरों से बंधे हुए लट्ठों को खींच कर आसानी से इकट्ठे कर देते थे। वे दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन और सामग्री लाने व ले जाने में सहायक होते थे। फॉरेस्ट मैनुअल में प्रावधान है कि जंगल विभाग के हाथियों को स्थान विशेष पर उपस्थित उच्चतम वन अधिकारी द्वारा स्वयं अपनी देखरेख में भोजन कराना अनिवार्य है। यह प्रावधान इसलिए रखा गया होगा ताकि इस कार्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने की संभावना ना रहे। जीबी दसपुत्रे जब भी दौरे पर आते तो वे मुझे पूरे समय साथ में रखते। मेरे द्वारा किए गए कामों का निरीक्षण करते। उन्हें जो भी गलतियां दिखती उनको इंकित कर उन्हें भविष्य में ना दोहराने के बारे में समझाते। इस दौरान यह सब होने के बाद भी वे शुष्क रहकर एक दूरी बनाकर रखते। इससे उनका मेरे मन में सदैव डर बना रहता था।



(लेखक मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक हैं)


Wild Animal जंगली जानवर फॉरेस्ट ऑफिसर की डायरी IFS आईएफएस HUNTING शिकार Allapalli forest Dense Forest Teak Wood Forest Officer अल्लापल्ली जंगल घना जंगल सागौन