60 के दशक म जब छत्तीसगढ़ के नौजवान मनु नायक बंबई गए रहिस, ता कोन जानत रहिस की छत्तीसगढ़ के फिल्मी इतिहास में ओला भागीरथ के रूप म पहचान मिलही। ओ समय भोजपुरी फिल्म आए रहिस गंगा मईया तोला पियरी चढ़ईबो, ए फिल्म ब्लॉक बस्टर रहिस, इही फिल्म के बाद मनु नायक ल लागिस की अपन भाषा मा फिल्म बनाही। ए तरह कही देबे संदेश के शुरूआत होइस। मोहम्म्द रफी, मन्ना डे, महेंद्र कपूर जैसे संगीतकार मन एमा शामिल रहीस। पहीली फिल्म जेकर विषय छूआ छूत रहिस। बाम्हन लड़की आउ सतनामी लड़का के बीच मया उपर फिल्म बनिस। कई जगह फिल्म ल लगे नई दीस। मनु नायक ला एखर सेती नुकसान घलो उठाए ल परिस।
अईसे क्रांतिकारी ढंग ले छत्तीसगढ़ी सिनेमा के शुरूआत छत्तीसगढ़ मा होए हे।
भनपुरी के मालगुजार विजय पाण्डेय घर द्वार नाम के फिल्म बनाईस। गोंदा फुलगे मोर राजा जैसे गीत जेला मोहम्मद रफी गाए रहिस, लेकिन तभो ए फिल्म ला जनता के प्रेम नई मिलीस। एकर बाद कई साल ले कोनो छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाए के हिम्मत नई करिन।
90 के दशक मा छत्तीसगढ़ के सतीश जैन कई हिंदी फिल्म लिखत रहीस। गोविंदा संग काम करय, गोविंदा के पसंद म शामिल रहीस सतीश जैन। अचानक ओला लागिस कि ओला छत्तीसगढ़ी मा फिल्म बनाना चाहिए। अपन घर के पूंजी लगा के सतीश जैन फिल्म मोर छईंया भुंईया बनाए के शुरू करिस। एमा कलाकार जम्मो छत्तीसगढ़ के लीस सिर्फ टेक्नीशियन बंबई ले बलाए रहिस। मोहब्बतें आउ मिशन कश्मिर टाकिज म लगे रहीस, तेकर बाद भी मोर छईंया भुईंया ब्लॉक बस्टर रहिस। छत्तीसगढ़ ल कोन कहय देश के कई राज्य म ए फिल्म जोरदार चलिस। इहें ले छत्तीसगढ़ी सिनेमा के स्वर्णिंम दौर शुरू होईस।
एखर बाद लगातार छत्तीसगढ़ी सिनेमा बनत हे। साल म 20 फिल्म तक बन जावत हे। छत्तीसगढ़ी फिल्म के डबिंग भोजपुरी, पंजाबी हरियाणवी म डब होके चलिस। तकनीक के लेन देन होईस त फिल्म के कलाकार मन के स्तर घलो बाढ़िस। अतका साल म छत्तीसगढ़ी सिनेमा के मोला सबले सफलता मैं मानथंव कि, पहीली हमर गाना मन इंटरनेट म नई रहय, अब इंटरेनट म हमर वीडियो आउ गाना आवत हे। बड़े बड़े चैनल आगे जेकर कई लाख फालोअर्स हे।
छत्तीसगढ़ मा सांस्कृतिक विविधता रहीस, राज बने के बाद एकरूपता देखे ल मिलिस। राज्य ल एक देखाए के प्रयास सिनेमा करत हे। छत्तीसगढ़ी सिनेमा मा बस्तर आउ सरगुजा के कलाकार मन काम करीन त राज्य एकमई होगे। राज्य ल जोड़े रखे के काम सिनेमा करत हे।
शुरू शुरू फिल्म बनीस त टेक्नीशियन, मेकअप मैन, फाईट एक्सपर्ट कोई नई रहिस। सीखत सीखत सब सीख गे, अब बिना बाहर ले काम कराए हमरे इंहा पूरा फिल्म बन जावत हे। अब कलाकार मन सीखत भी हे इंस्टीट्यूट म ट्रेनिंग लेवत हे एमन आगे चल के छत्तीसगढ़ी सिनेमा ला बढ़ाए के काम करहीं।
छत्तीसगढ़ी सिनेमा ल बेस्ट नेशनल फिल्म अवार्ड मिलना, कलाकार ल पद्म श्री मिलना सिनेमा जगत बर उपलब्धि ए। कम से कम बजट म छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाए सीखना हे त हमर सिनेमा से सीख सकत हे।
आज भी छत्तीसगढ़ म सिनेमा बनाए के काम चलत हे। अच्छा अच्छा सिनेमा बनत हे। राज्य म प्राकृतिक सौंदर्य आउ लोकेशन के कमी नईए। नवा जमाना आए हे ऐमा बहुत संभावना हे। एक दिन अईसे आही जब हमर सब फिल्म देश दुनिया के सिनेमा ल टक्कर दीही। अतका दिन म कतको जोरेन, आउ कतको सकेलेन। छत्तीसगढ़िया मन प्रयोगधर्मी होथे, इही प्रयोग के निष्कर्ष आने वाला पीढ़ी ल मिलही।
( अनुज शर्मा पद्मश्री से सम्मानित छत्तीसगढ़ के एक्टर हैं )