BHOPAL. मध्यप्रदेश के ग्वालियर में चुनावी प्रचार का शंखनाद करते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया कि मध्यप्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव में वो पीएम मोदी नहीं बल्कि महंगाई को मुद्दा बनाएगी। असल में ये पीएम मोदी के चेहरे की बीजेपी की रणनीति का जवाब है और कांग्रेस ने कर्नाटक की तरह ही अपनी रणनीति लोकल मुददों पर ही फोकस करने की रख ली है ये बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। प्रियंका ने अपने भाषण की शुरुआत में ही साफ कर दिया कि वो बीजेपी की तरह आरोप प्रत्यारोप की राजनीति नहीं करेगी और ये नहीं गिनायेंगी कि मोदी सरकार ने क्या नहीं किया लेकिन वो जनता के मुददों पर बात करेंगी।
महंगाई और बेरोजगारी होगा बड़ा मुददा
प्रियंका ने साफ कर दिया कि इस बार मध्यप्रदेश में महंगाई और बेरोजगारी ही सबसे बड़ा मुददा कांग्रेस के प्रचार की धुरी रहेगी, यदि इसी पर कांग्रेस कायम रहती है तो ये चुनाव बहुत ही रोचक हो जाएगा, क्योंकि बीजेपी इस बार शिवराज मामा को आगे नहीं कर रही बल्कि पीएम मोदी को ही चेहरा बनाकर चुनाव लड़ना चाहती है। असल में बीजेपी का अनुमान है कि चुनाव कांटे का होगा लेकिन सीटों का अंतर 20 से 30 का ही होगा जिसे बीजेपी मोदी के चेहरे से पूरा करना चाहती है, मगर कांग्रेस की रणनीति साफ है कि इस बार पूरा चुनाव लोकल मुददों पर ही लड़ा जाए इसलिए प्रियंका ने महिला अत्याचार के बहाने मणिपुर पर पीएम की चुप्पी की बात और राजनीति की बात तो की लेकिन जल्दी ही लोकल के मुददों महंगाई और बेरोजगारी पर वापस आ गई।
पटवारी भर्ती में हुए घोटाले पर BJP को घेरने की तैयारी
कांग्रेस का आंकलन है इस समय पेट्रोल डीजल से लेकर टमाटर तक के भाव लोगों को चुभ रहे हैं और यही मुददा वो खेलना चाहती है। इसके साथ बेरोजगारी और परीक्षा में घोटाला भी मध्यप्रदेश का बड़ा मुददा है इसलिए उस पर भी प्रियंका जमकर बोली ताकि ये मुददे आगे भी गरमाते रहें, मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही और सरकारी नौकरियों में भर्ती की लगभग हर परीक्षा में घोटाले की बात सामने आती रही है, हाल का सबसे बड़ा खुलासा पटवारी परीक्षा मे घोटाले का है और उसकी तुलना व्यापम घोटाले से की जा रही है। इसका जवाब बीजेपी के पास नहीं है।
BJP में गुटबाजी, पार्टी नेताओं में चल रही खिंचतान
मध्यप्रदेश में बीजेपी कई खेमों में बंटी हुई है और ये गुटबाजी लगातार सामने आती रही है, ग्वालियर चंबल संभाग में 38 सींटें हैं जिसमें से 18 पिछली बार बीजेपी ने जीती थी लेकिन सिंधिया को लेकर इतनी गुटबाजी है कि खुद बीजेपी के नेता ही उनके खिलाफ खबरें छपवाते रहते हैं और सिंधिया को लगातार बाहरी बताते रहते हैं। अगर सिंधिया इस बार अपने इस गढ़ को नहीं बचा पाए तो एमपी में उनको बीजेपी में से ही चुनौती मिलना शुरु हो जाएगी। इसके अलावा नरोत्तम मिश्रा, नरेंद सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जैसे दावेदारों के कारण भी खींचतान चल रही है यही वजह है कि गृहमंत्री अमित शाह को भोपाल आकर नेताओं को समझाना पड़ा कि मिलकर चलें और एक दूसरे के खिलाफ नहीं बोलें।
NPS बहाली की घोषणा से कांग्रेस को मिल सकता है फायदा ?
एमपी के चुनाव में एक बड़ा मुददा पुरानी पेंशन योजना का भी है जिस पर सरकारी कर्मचारी लगाातार आंदोलन कर रहे हैं, कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने का ऐलान करके बाजी मार ली है, और अब बीजेपी को समझ नहीं आ रहा है कि इसका तोड़ क्या निकाला जाए इसके लिए एनपीएस में बदलाव की बात हो रही है मगर वो उतना आसान नहीं है, अब बस बीजेपी को धार्मिक ध्रुवीकरण का ही सहारा मिल सकता है और कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह इसमें मदद कर सकते हैं लेकिन प्रियंका ने अपनी रैली में साफ कर दिया है कि कांग्रेस इस तरह के मुददों से बचेगी और केवल मंहगाई बेरोजगारी और विकास के मुददों पर फोकस करेगी, रणनीति तो सही है लेकिन अमल में अभी कई चुनौतियां बाकी है।