सलील सहदेवन, लेखक (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उप सचिव)
AI आज पढ़ाई को तेज और आसान बनाने में मदद करता है। आप AI से निबंध लिखवा सकते हैं किताब का सारांश बना सकते हैं गणित के सवाल हल करवा सकते हैं या कोड भी लिखवा सकते हैं। AI तेजी से साफ-सुथरे नतीजे देता है।
तेज होना मतलब मास्टरी नहीं है और सुंदर दिखना मतलब मौलिकता नहीं। यह सोचना कि सभी ज्ञान सही सवाल पूछने से AI से मिल जाएगा एक भ्रम है। AI बिना सही संदर्भ और आपकी समझदारी के केवल औसत जानकारी देता है।
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असली समझ के लिए अनुभव जरूरी
किसी विषय के बारे में पढ़ाई से आपको तथ्य और जानकारी मिलती है, लेकिन असली समझ तभी आती है जब आप उस विषय से जुड़े वास्तविक अनुभवों को जानते हैं। जैसे जलवायु परिवर्तन के असर को समझने के लिए सिर्फ पढ़ना नहीं, बल्कि मछुआरे गांव की जिन्दगी में उस बदलाव को महसूस करना जरूरी है।
AI अनुभव नहीं दे सकता। जैसे नृत्य करना, आम का स्वाद लेना या साइकिल चलाना सीखना — ये अनुभव होते हैं, जो केवल जीकर समझे जाते हैं।
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एक्टिव सिलेक्शन की जरूरत
AI से मिलने वाली जानकारी को स्वीकार करना आसान है लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप खुद यह तय करें कि कौन सी जानकारी महत्वपूर्ण है और किसे छोड़ना है।
बिना सोच-विचार के AI की हर सलाह मान लेना आपको सिर्फ परिचित चीजों में ही सीमित रखेगा। सही सीखने के लिए आपको अपनी समझदारी और चयन क्षमता को विकसित करना होगा।
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मेटाकॉग्निशन का महत्व
सिर्फ जानकारी प्राप्त करना ही सीखना नहीं है। अपने सीखने के तरीके, समझ और कमजोरियों पर विचार करना - यही मेटाकॉग्निशन है। यह आपको बेहतर योजना बनाने और ज्ञान को गहराई से समझने में मदद करता है। AI यह सोचने की क्षमता नहीं रखता।
AI को शुरुआत बनाएं, अंतिम निर्णय खुद करें
AI से मिली जानकारी को अंतिम सच मत समझिए। उसकी मदद से शुरुआत करें, लेकिन अपनी समझ, अनुभव और आलोचनात्मक सोच के साथ उसे जांचें। तभी आपको सच्ची समझ मिलेगी। AI केवल उत्तर देता है, लेकिन उनका महत्व समझना आपका काम है।
AI की सीमाओं को पहचानें और सवाल करें
AI के जवाबों में अक्सर पक्षपात (bias) और सीमाएं होती हैं। ऐसे सवाल पूछें जो AI की कमजोरियों को उजागर करें। इससे आपको सही और गलत की पहचान में मदद मिलेगी। इसे ‘कॉग्निटिव डिसऑबीडिएंस’ यानी ‘सोच-समझकर अलग राह चुनना’ कहते हैं, जो सीखने का अहम हिस्सा है।
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AI से आगे बढ़ना: असली सीखना कहां होता है
AI से सीखना आसान है, लेकिन असली सीखना तब होता है जब AI रुक जाता है और आप अपनी समझदारी, अनुभव, संदर्भ और मेहनत से आगे बढ़ते हैं।
केवल AI पर निर्भर रहना आपको औसत से बेहतर नहीं बना सकता। यह समझदारी AI के साथ आपके आलोचनात्मक जुड़ाव से आती है, जो आपको सोचने वाला इंसान बनाती है, सिर्फ AI के उपयोगकर्ता नहीं।
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