विलक्षण सक्सेना@भोपाल
पत्रकारों की राय भिन्न-भिन्न रूप में समाज में निर्भीक विचरती है, मानो जैसे नीले आसमान में शरद ऋतु के बादल हों, पर यह एक भविष्यवक्ता और सत्यनिष्ठ डाकिये की भूमिका निभाते है, जो समाज और राजनेता को सजग, सशक्त और जागरूक बनाते हैं। डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश के भविष्य के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। एक ऐसा व्यक्ति जो धीरे-धीरे, लेकिन लगातार प्रदेश के विभिन्न पहलुओं में अपनी जगह बना रहा है, चाहे वह लोगों का विश्वास हो, प्रशासन पर पकड़ हो, विभिन्न समुदायों का समर्थन हो, विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से समन्वय की स्थापना हो, अपने निजी और राजनैतिक समर्थकों का प्यार हो या वरिष्ठ और विशिष्ट राजनीतिज्ञों का आशीर्वाद हो।
व्यवस्था को यथाक्रम रखने के उनके अथक परिश्रम और प्रयासों को पत्रकार लॉबी में अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है, क्योंकि हम प्रदेश के नाजुक राजनीतिक ताने-बाने को समझते हैं, जिसे सात महीने पहले उनके काबिल हाथों में सौंपा गया था...बल्कि कुर्सी के साथ आने वाली जिम्मेदारियों के कुशल निर्वाहन के कारण एक विशेष लॉबी के कुछ लोग उन्हें "मन-मोहन भाईसाहब" कहने में भी संकोच नहीं करते। कौशल के साथ-साथ उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने पद पर उनके आरोहण के समय जनता का विश्वास हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि लोगों को लगा कि उच्च शिक्षित सीएम की उनकी लंबे समय से प्रतीक्षित मांग अब सुनी गई है।
- गर्भकाल …
- मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…
- कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…
- आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं….
- इस लिंक पर क्लिक करके जानें सबकुछ…
https://thesootr.com/state/madhya-pradesh/cm-mohan-yadav-garbhkal-the-sootr-survey-6952867
हालांकि, अभी भी बहुत कुछ कवर किया जाना बाकी है। परम प्रतिष्ठा के आसमान पर सफल उड़ान भरने के लिए, केवल अच्छी शुरुआत ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि पंखों का दीर्घकालिक पुनर्मूल्यांकन और इंजन की शक्ति का प्रदर्शन भी जरूरी है। प्रशासनिक फेरबदल और लाभकारी योजनाओं को जारी रखने के बार-बार दिए गए आश्वासन सटीक रूप से जनता तक पहुंचे। इससे उद्देश्य की पूर्ति हुई और इस धारणा को बढ़ावा मिला कि "व्यक्ति लंबे समय तक और डट कर खेलेगा।" इसने व्यावहारिक रूप से पत्रकार लॉबी को यह धारणा प्रसारित करने का मौका दिया कि हालांकि, उनके पूर्ववर्ती की कमी खलेगी, लेकिन मोहन लोगों का प्यार और विश्वास बनाए रखने और यहां तक कि और अधिक हासिल करने में सफल होंगे, जिसकी पुष्टि लोकसभा के नतीजों से हुई। सफलता के श्रेय को साझा करना पड़ा, लेकिन उनके प्रयासों को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया। विशेष रूप से राजनीतिक रणनीति और लोगों को अपने पाले में लाने की क्षमता के संदर्भ में।
अब "आकांशाओं का समय" शुरू हो गया है। पूर्व महीनों में राजनीतिक गतिविधियों के कारण जनता और पत्रकार विभिन्न सार्वजनिक हस्तियों और उनके विचारों में व्यस्त रहे, पर अब चुनाव के बाद जनता और पत्रकार पूरी तरह से सीएम की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि यह धीरे-धीरे शहरों और गांवों में चर्चा का विषय बन गया है। अब "राय" को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। मीडिया के संदर्भ में, धारणा और विचार-भाव को तीन तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है: पहला, सीएम की राजनीतिक गतिविधियों पर पत्रकारों की राय। दूसरा, सीएम और पत्रकारों के आपस के अनुभव और विचार-मत। तीसरा, सीएम की जनता के साथ बातचीत पर पत्रकारों की राय।
पहले पहलू को लें तो मीडिया में यह व्यापक रूप से प्रचलित है कि सीएम को अभी भी एमपी में पूर्ण राजनीतिक प्रभुत्व हासिल करना बाकी है और यह इस तथ्य से प्रेरित है कि सार्वजनिक मंचों और यहां तक कि सदन के पटल पर भी उनके द्वारा "एक सीएम से अपेक्षित" आक्रामकता अभी तक प्रदर्शित नहीं हुई है। नर्सिंग मामले में पिछले महीनों के दौरान कुशल राजनीति परिपक्वता और पर्दे के पीछे के प्रयासों को अच्छी तरह से प्रोत्साहित भी गया और उनके राजनीतिक कौशल के दर्शन भी हुए, जिसने विपक्ष पर अंकुश रखा, लेकिन भाषण और उपस्थिति में आक्रामकता की कमी एक साधारण और व्यापक स्तर पर लोगों से जुड़ने में कमजोर रही। यही "अपेक्षित आक्रामकता" आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकती है। राजनीतिक आक्रामकता "उग्र लेकिन सौम्य" की छवि को बढ़ाने में भी सहायक हो सकती है, क्योंकि यह छवि प्रचलित तो है, पर व्यापक रूप से स्थापित नहीं है। लगातार कड़ी मेहनत से यह भी धारणा बनी है कि मोहन यादव संघ और भाजपा के बीच संतुलन बनाए रखने का राजनीतिक जवाब हो सकते हैं, जो जमीनी, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का एक प्रमुख मुद्दा है और यह समन्वय की स्थापना प्रदेश को मोहन यादव के माध्यम से राष्ट्रीय राजनीति में एक एहम स्थान देगा, जो के पहले नहीं मिला है, पर इस धारणा को परवाज देने की जरूरत है।
"महाकाल का आशीर्वाद, मोहन है जवाब" पार्टी का एक नारा बन सकता है, इसलिए मध्य प्रदेश के नए उगते सूरज के तीव्र तेज की एक छोटी सी झलक राजनीतिक उद्यान में खरपतवार की तरह उगने वाली उनके खिलाफ निराधार धारणाओं और आख्यानों को समाप्त कर सकती है।
दूसरे पहलू की बात करें तो वास्तविकता यह है कि पत्रकार आज भी मोहन यादव से जुड़ने और उनसे खुलकर बातचीत करने का रास्ता खोज रहे हैं। एक पत्रकार बौद्धिक स्तर पर किसी राजनीतिक व्यक्तित्व के प्रति तभी अपनी सहमति और झुकाव महसूस करता है, जब उनसे खुलकर, सीधे और सकारात्मक संवाद हो और इस तरह के संवाद के बाद पत्रकार अपने संसाधनों को उस व्यक्तित्व के लाभ के लिए पुनर्निर्देशित कर सकता है।
यह पूर्व पदधारकों की खासियत रही है, जिन्होंने इस तरह के संवादों के माध्यम से अपने हितैषियों और पत्रकारिता जगत के सदस्यों को चुना और यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि अपने खुद के मीडिया हितैषी को चुनने से उनके प्रयास विरोधी धारणाओं और आख्यानों के खिलाफ कुशन का काम करते हैं। इस तरह के संवाद को विभिन्न स्तरों और वर्गों में किया जा सकता है और सिर्फ जिले, संभाग, शहरों तक ही सीमित नहीं बल्कि, पत्रकारिता के विभिन्न क्षेत्रों में भी हो सकते हैं। इस तरह के संवाद से मध्यप्रदेश में मीडिया के बुनियादी ढांचे की रीढ़ माने जाने वाले श्रमजीवी पत्रकार, संस्थान मालिकों और वरिष्ठ पत्रकारों में गर्व और विनम्रता का भाव भी प्रवाहित होता है। साथ ही युवा पत्रकारों से जुड़ने से पहले से ही प्रचलित धारणा की पुष्टि होगी कि 'मुख्यमंत्री एक सौम्य और विनम्र व्यक्तित्व के हैं' और 'मार्गदर्शक' के रूप में युवाओं के साथ जुड़ सकते हैं।
तीसरे पहलू के संदर्भ में जनता और पत्रकार दोनों ही नवीनता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चूंकि लोगों का पिछला अनुभव लोकप्रियता पर आधारित है, इसलिए आम जनता नवीनता और साहसिक कदम की प्रतीक्षा कर रही है, जो सीएम को दिल में स्थापित करे और ऐसे निर्णय की प्रतीक्षा कर रही है, जिससे सभी को लाभ हो। हालांकि, प्रदेश की जनता और पत्रकार 'इंतजार करो और देखो' या 'अभी तो आए हैं, कम से कम काम तो करने दो' के विचार में लिप्त हैं, लेकिन वे इस राय पर लंबे समय तक टिके नहीं रहेंगे। साथ ही युवा वर्ग सीएम से जुड़ना चाहता है और नीतिगत सुधारों की उम्मीद करता है।
चर्चा का सारांश यह है कि दो पत्रकार इस मोड़ पर सुरक्षित रूप से मिल सकते हैं कि पत्रकार नवोदित सूर्य रूपी मोहन यादव के प्रति सकारात्मक स्थिति में हैं और उनके व्यक्तित्व और क्षमताओं के और अधिक पहलुओं को देखने के लिए उत्सुक हैं, जो कि गर्मजोशी और गर्जन से परिपूर्ण हो। अब तक अपने कार्यों में सफल रहने के कारण लोग उनके अलग-अलग रूप को देखने को ललायित हैं और उनसे उम्मीद करते हैं कि वे आगे आएं और साहासिक राजनीतिक निर्णयों और प्रशासनिक और नीतिगत विशिष्टता के साथ कार्यभार संभालें, जो उन्हें पड़ोसी राज्यों और केंद्र की राजनीति से विचित्र बनाए।
"एक कर्मठ पुरुष के सभी में मित्र होते हैं, और शत्रु किसी में नहीं होता,
धर्म की सकारात्मक ऊर्जा के साथ, हे पार्थ! उठो और धर्म के लिए लड़ो"
- श्रीमद्भागवत गीता
(लेखक दैनिक क्षितिज किरण समाचार पत्र समूह के निदेशक एवं संपादक हैं। इस लेख में उनके निजी विचार हैं।)
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक