5जी….। ये नए साल का सबसे ज्यादा चर्चित शब्द होने वाला है। क्योंकि ये मारक है। हम सबके जीवन मानस पर सबसे ज्यादा और सीधा असर डालने की ताकत रखने वाला। अब ये इंटरनेट वाला 5जी तो आ ही चुका है हमारे जीवन में। अब बस उसका विस्तार भर बाकी है लेकिन यहां प्रसंग अलग 5जी का है जो इंटरनेट वाले 5जी से एकदम अल्हदा और उलट है।
ऐसा 5जी जो हमें अपने अंदर की यात्रा कराए
असल में इंटरनेट वाला 5जी हमारी मोबिलिटी (M0BILITY) बढ़ाता है। मोबिलिटी-यानी गतिशीलता, अस्थिरता या चंचलता। देखिए न कैसे इंटरनेट हमें पलक झपकते ही दुनिया के किसी भी दूसरे कोने में ले जाता है। हमने कल्पना की नहीं कि हमारे मोबाइल की स्क्रीन पर वो कल्पना साकार रूप ले चुकी होती है। यानी जिस मन को स्थिर रखने की कोशिश में पू्री दुनिया परेशान है। उसी मन को ये इंटरनेट पंख लगा देता है। इसलिए अब हमें इंटरनेट वाले 5जी से एकदम उलट किसी दूसरे 5जी की भी सख्त जरूरत महसूस हो रही है। एक ऐसा 5जी जो हमें बाहर की नहीं बल्कि अपने ही अंदर की यात्रा कराए।
हम अपने जीवन में नहीं उतार पाए 5जी
इस साल हमें इंटरनेट वाले 5जी के साथ ही उस 5जी को भी अपने जीवन में उतारना चाहिए जो हमारी मोरैलिटी (MORALITY) भी बढ़ाए। मोरैलिटी-यानी भलमनसाहत, नैतिकता या सदाचार। ऐसा 5जी जो हमें बाहरी दुनिया से नहीं बल्कि अपने ही अंतर्मन से परिचित कराए और सबसे मजेदार बात ये है कि इंटरनेट वाला 5जी तो विज्ञान की हालिया खोज है। आज जरूरत जिस 5जी की है उसे तो हमारे पुरखे, वेद, पुराण हजारों साल पहले ही खोज चुके थे। ये बात दूसरी है कि हम उसे अपने जीवन में उतार नहीं पाए।
पहला G आता है-GRATITUDE से..
ग्रेटिट्यूड-यानी आभार, कृतज्ञता या धन्यवाद। हमें जो भी मिला है उसके लिए हमें प्रकृति और परमात्मा के प्रति आभार जताना ही चाहिए। सोच कर देखिए, हमारे जीवन के लिए सबसे जरूरी तीन चीजें-हवा (ऑक्सीजन) पानी और अनाज को असल में तो प्रकृति ने हमें मुफ्त में ही उपलब्ध करवाया हुआ है। वो तो हम नासमझ और लालची लोग हैं जो उसकी इस दयालुता का मजाक उड़ा रहे हैं। इसलिए इस नए साल में हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम न केवल परमात्मा का आभार जताएंगे बल्कि ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे उसकी इस कृपालता का माखौल उड़े।
दूसरा G आता है-GOODNESS से..
गुडनेस-यानी दयालुता, भलाई या अच्छाई। इस जी को भी हम हजारों साल पहले ही खोज चुके हैं। जरूरत है इस साल इसे भी अपने जीवन में पू्री तरह उतारने और अपनाने की। कतई कहने, समझने की जरूरत नहीं है कि ये हमारे लिए क्यों जरूरी है।
तीसरा जी आता है-GENUINENESS से..
जेन्यूननेस-यानी प्रामाणिकता, सच्चाई या खरापन। हम पूरी तरह से खरे रहें यानी 100 फीसदी टंच। प्रामाणिकता हमारी जीवन शैली ही बन जाए और ये होगा मन, वचन और कर्म में एकरूपता लाने से। अभी हाल ही में कहीं पढ़ रहा था, इंफोसिस के नारायणमूर्ति से किसी ने सवाल किया कि आपने इतना बड़ा और प्रतिष्ठित ब्रांड खडा किया है। ये आप कैसे कर पाए? ये तो बहुत मु्श्किल काम होगा। मूर्ति तपाक से बोले-नहीं ये तो बहुत आसान है...। जो बोलो-वो करो, बस ब्रांड खड़े करने का ये बेहद आसान-सा तरीका है। हम भी अपना ऐसा ही ब्रांड खड़ा करें। हालांकि सोशल मीडिया पर दिखावा ज्यादा है इसलिए प्रामाणिक ब्रांड खड़ा करना बेहद आपाधापी वाले इन दिनों के माहौल में थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन कतई नहीं।
चौथा जी आता है-GRIT से..
ग्रिट यानी-चरित्र बल...साहस या दृढ़ता। चरित्र को आमतौर पर हम बहुत ही सीमित दायरे में बांधकर देखते हैं जबकि चरित्र के बेहद व्यापक मायने हैं। जो भी मानवीय गुण हैं जो मनुष्य को पशु से अलग करते हैं वो सभी चरित्र के दायरे में आते हैं। तो चरित्र बल के साथ ही साहस (COURAGE) और दृढ़ता (FIRMNESS) को लगातार बढ़ाना भी इस साल हमारे इरादों में से एक होना चाहिए।
पांचवां जी आता है-GRAVITY से..
ग्रेविटी यानी-गंभीरता...महत्व या आकर्षण। न जाने क्यों जमाने में हल्कापन दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। अगर हम पहले बताए गए चार जी पर काम करेंगे तो पांचवा जी यानी ग्रेविटी अपने आप हासिल कर लेंगे। ग्रेविटी न होने की वजह से ही समाज में अराजकता बढ़ रही है। अब समाज में चौतरफा गिरावट आने की वजह से ग्रेविटी कम हुई है या ग्रेविटी कम होने की वजह से गिरावट आई है। ये बहस और शोध का विषय हो सकता है लेकिन जैसा विज्ञान बता चुका है कि ग्रेविटेशनल फोर्स (गुरूत्वाकर्षण बल) न हो तो इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वैसे ही ज्ञान भी बता चुका है कि गांभीर्य (ग्रेविटी) न हो तो मानव को पशु बनने से कोई नहीं रोक सकता। ये बात दूसरी है कि मोबाइल वाला 5जी तो पैसे खर्च करके खरीदा जा सकता है लेकिन दूसरा वाला 5जी डाउनलोड करने के लिए आपको आत्मचिंतन (ME TIME) अभ्यास, अध्ययन और आध्यात्म का सहारा ही लेना पड़ेगा।