उप्र का भावी मुख्यमंत्री कौन?

author-image
एडिट
New Update
उप्र का भावी मुख्यमंत्री कौन?



जुलाई में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में 27 मंत्री ऐसे नियुक्त हुए थे, जो देश के पिछड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मोदी ने इस तथ्य का खूब प्रचार भी किया था। इसके अलावा पुलवामा और हुसैनीवाला जैसी दर्जनों नौटंकियों का अभी प्रकट होना बाकी है। फिर यदि मौर्य के बाद, जैसी कि घोषणा हुई है, 10-15 भाजपा विधायक भी पाला बदलने वाले हैं तो निश्चय ही वे अखिलेश यादव के हाथ मजबूत करेंगे...







डॉ. वेदप्रताप वैदिक। उत्तरप्रदेश की राजनीति में आजकल भारी उथल-पुथल मच रही है। उसे देखकर लोग पूछने लगे हैं कि उ.प्र. का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मायावती का तो सवाल ही नहीं उठता। अब बचे योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव! दोनों का नाम 'अ' से ही शुरू होता है। आदित्यनाथ और अखिलेश! बड़ा ‘आ’ बनेगा या छोटा ‘अ’? यह छोटा ‘अ’ बराबर बड़ा ‘आ’ बनता जा रहा है...





क्या यूपी का ऊँट करवट बदलने जा रहा है?



योगी मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण सदस्य स्वामीप्रसाद मौर्य और उनके साथी विधायकों ने लखनऊ में छोटा-मोटा भूकंप पैदा कर दिया है। मौर्य ने अपने इस्तीफे के जो कारण बताए हैं, वे तो सिर्फ बताने के लिए हैं, लेकिन उनके इस्तीफे का असली संदेश यह है कि उ.प्र. के चुनाव में ऊँट दूसरी करवट बैठने वाला है। जिस करवट ऊँट बैठेगा, उसी करवट हम पहले से लेटने लगेंगे। वरना क्या वजह है कि मौर्य-जैसे कई नेता बार-बार अपनी पार्टियां बदलने लगते हैं? ऐसे नेता ही आज की राजनीति को उसके पूर्ण नग्न रूप में उपस्थित कर देते हैं। राजनीति में सक्रिय होने के पीछे विचारधारा या जनसेवा असली कारण नहीं होता है। उसका एकमात्र कारण होता है, अपने अहंकार और धनलिपसा को तृप्त करना। इसीलिए जब मृत्युशय्या पर पड़े एक राजनेता से यमराज के दूतों ने पूछा कि आपका पुण्य असीम है। बताइए, आप किधर चलेंगे? स्वर्ग में या नरक में? नेताजी ने कहा कि स्वर्ग और नरक को मैं क्या चाटूंगा? मुझे तो वहीं ले चलो, जहां कुर्सी मिले। याने कुर्सी ही ब्रह्म है, बाकी सब मिथ्या है। 





ओबीसी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है



स्वामीप्रसाद को यह बात खलती रही कि वे पिछड़ों के इतने वरिष्ठ नेता हैं लेकिन उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके बजाय भाजपा के पुराने नेता केशव मौर्य को मिल गई। अब वे अखिलेश से भी वादा लेना चाहेंगे कि जीतने पर वे उन्हें उप-मुख्यमंत्री तो बनाए हीं। वे यह भी दावा करेंगे कि उ.प्र. के पिछड़ों के थोक वोट एक झटके में वे सपा को दिला देंगे। वे शायद भूल गए कि जुलाई में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में 27 मंत्री ऐसे नियुक्त हुए थे, जो देश के पिछड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मोदी ने इस तथ्य का खूब प्रचार भी किया था। इसके अलावा पुलवामा और हुसैनीवाला जैसी दर्जनों नौटंकियों का अभी प्रकट होना बाकी है। फिर यदि मौर्य के बाद, जैसी कि घोषणा हुई है, 10-15 भाजपा विधायक भी पाला बदलने वाले हैं तो निश्चय ही वे अखिलेश यादव के हाथ मजबूत करेंगे। बिल्कुल यही परिदृश्य हमने 2017 में भी देखा था। भाजपा ने उस चुनाव में 67 दल-बदलुओं को टिकट दिए थे। उनमें से 54 जीते थे। 





जातिवाद का गढ़ बना उत्तरप्रदेश



अब देखना है कि उनमें से कितने इस बार भाजपा में टिके रहते हैं? जिनके टिकट कटने हैं, वे तो किसी दूसरे पाले में कूदेंगे ही! उत्तरप्रदेश आज भी देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। बिहार के बाद वह देश में जातिवाद का सबसे बड़ा गढ़ है। अंधा थोक वोट इसकी पहचान है। इसी सच्चाई के दम पर स्वामीप्रसाद मौर्य ने दावा किया है कि वे ऐसा गोला मारेंगे, जो घमंडी नेताओं की तोप को भी उड़ा देगा। देखते हैं, आगे-आगे क्या होता है? इसीलिए अभी यह बताना मुश्किल है कि उत्तरप्रदेश का भावी मुख्यमंत्री कौन बनेगा?







BSP CONGRESS BJP SP VedPratap Vaidik UP Election 2022 up cm in 2022