छात्रों और अभिभावकों को कोचिंग सेंटर्स के भ्रामक प्रचार-प्रसार से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। दरअसल कई कोचिंग सेंटर्स विज्ञापन के जरिए 100% सिलेक्शन और 100% नौकरी देने का दावा करते थे, पर अब केंद्र ने ऐसे विज्ञापन लगवाने पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार ने बुधवार को कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी। ऐसा भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए किया गया है। CCPA के अनुसार कोचिंग सेंटर अब ऐसे झूठे दावे नहीं कर सकते जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकते हैं। सरकार ने यह फैसला कई शिकायतों के बाद लिया है। अब तक कोचिंग संस्थानों को 54 नोटिस जारी किए गए। इसके अलावा 18 कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर करीब 54.60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया हैं और उन्हें भ्रामक विज्ञापन वापस लेने का आदेश भी दिया गया है।
कौन कौन आएगा दायरे में ?
ये गाइडलाइन एकेडमिक सपोर्ट, एजुकेशन, गाइडेंस और ट्यूशन सर्विस से जुड़े सभी संस्थान, कोचिंग सेंटर्स और ऑर्गनाइजेशन पर मान्य होगी। अगर कोचिंग सेंटर्स इसका पालन नहीं करते हैं तो उन पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
चलिए आपको बताते हैं नए गाइडलाइन्स के अहम फैक्टर
1. झूठे दावे नहीं कर सकते: कोचिंग सेंटर अपने पाठ्यक्रमों, फीस, सिलेक्शन रेट और सैलरी की गारंटी से जुड़े भ्रामक दावे नहीं कर सकेंगे।
2. टॉपर की सहमति जरूरी: किसी भी टॉपर के नाम, फोटो या टेस्टिमोनियल का इस्तेमाल बिना लिखित सहमति के नहीं किया जा सकेगा।
3. कोर्स और टॉपर्स की जानकारी: कोचिंग सेंटरों को टॉपर्स की लिस्ट में यह साफ तौर पर बताना होगा कि उन छात्रों ने वास्तव में उनके संस्थान 62से पढ़ाई की है या किसी अन्य कोर्स के लिए आए थे।
4. वरना होगी कार्रवाई: कोचिंग संस्थान को अपने ग्राहकों की समीक्षाओं को ध्यान में रखना होगा, इन्हें वेबसाइट पर दिखाने की व्यवस्था करनी होगी। नेगेटिव समीक्षाओं पर सुधार करना होगा।
5. ये भी पैरामीटर्स: कोचिंग सेंटर 16 साल से कम उम्र के छात्रों का एडमिशन नहीं कर सकेंगे। पढ़ाने वाले शिक्षकों का गेजुएट होना जरूरी होगा। सत्र के बीच में किसी तरह की फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी।
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