21 साल बाद फिर सुर्खियों में आया Jaggi Murder Case
छत्तीसगढ़ में एक बार फिर 21 साल पहले हुआ राम अवतार जग्गी हत्याकांड सुर्खियों में है। हाल ही में आए हाईकोर्ट के फैसले के बाद जग्गी हत्याकांड पर फिर से बहस शुरू हो गई है। आखिर ये क्यों चर्चा में है, द सूत्र इसकी परतें खोल रहा है। 2003 में प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया। जग्गी हत्याकांड का 21 साल बाद फैसला आया। 20 आरोपियों को हाईकोर्ट ने उम्रकैद दे दी। लेकिन जग्गी परिवार इस फैसले से खुश नहीं है। 21 साल बाद रामावतार जग्गी के पुत्र सतीश जग्गी पहली बार मीडिया के सामने आए। जग्गी ने द सूत्र से बातचीत में कहा कि दो दशक बाद भी उनको अधूरा इंसाफ मिला है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर जग्गी परिवार क्यों इसे अधूरा इंसाफ बता रहा है और अब उसकी लड़ाई की दिशा किस तरफ मुड़ गई है।
4 जून 2003, यही वह दिन था, जब एक वरिष्ठ नेता की हत्या हुई जिसे छत्तीसगढ़ राज्य की पहली राजनीतिक हत्या के रूप में दर्ज किया गया। एनसीपी नेता राम अवतार जग्गी हत्याकांड पर कोई फ़िल्म तो नहीं बनी है लेकिन इस हत्याकांड की पूरी कहानी बिल्कुल फिल्मी लगती है। यानी रियल को रील लाइफ की तरह अंजाम दिया गया। पॉलिटिकल अप्रोच वाले आदमी को जेल नहीं होती, ऐसा अक्सर फिल्मों में होता है, राम अवतार जग्गी हत्याकांड में भी यही हुआ। पुलिस उससे जुड़े दूसरे लोगों पर मुकदमे दर्ज कर अपना काम पूरा कर लेती है। राम अवतार जग्गी हत्याकांड में भी यही किया गया। रायपुर क्राइम ब्रांच के थाना इंचार्ज रैंक के अफसर केसी त्रिवेदी, त्रिवेदी के तत्कालीन बॉस सीएसपी अमरीक सिंह गिल और एक और पुलिस अधिकारी दोषी साबित होकर जेल में सज़ा काट रहे हैं। राम अवतार जग्गी हत्याकांड में 31 लोगों को आरोपी बनाया था। सीबीआई की जांच के दौरान 31 में से दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे। 28 को सजा हो गई तो बचा आखिर कौन। कौन है वो 31 वां शख्स जिसे जग्गी परिवार मुख्य सूत्रधार बता रहा है। 21 साल बाद द सूत्र के जरिए पहली बार ऑन स्क्रीन पर आए राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने पूरी कहानी बताई।