एक तरफ तो सीबीएसई स्कूलों में बोर्ड परीक्षाओं के लिए तैयारी शुरू हो गई है और दूसरी तरफ एमपी बोर्ड के स्कूलों में अब तक छमाही परीक्षाएं ही नहीं हो सकी हैं | यहां के स्कूलों में हाफ इयर्ली परीक्षाएं दिसंबर में शुरू होंगी जबकि सीबीएसई स्कूलों में यह सितंबर में ही हो चुकी हैं | ये परीक्षाएं दिसंबर में होंगी तो प्री-बोर्ड के लिए समय नहीं रहेगा और स्टूडेंट्स की तैयारी ठीक से नहीं हो सकेगी... नतीजा ये होगा की एमपी बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही और मिस मैनेजमेंट का खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ेगा...गौर करने वाली बात है की प्रदेश में सीबीएसई और एमपी बोर्ड से जुड़े स्कूलों में शिक्षा सत्र आमतौर पर एक अप्रैल से शुरू हो जाता है | कई बार 20 मार्च के आसपास सीबीएसई स्कूलों में कक्षाएं लगनी शुरू हो जाती हैं | ऐसे में इनका छह महीने का कोर्स अगस्त में पूरा हो जाना चाहिए | एमपी बोर्ड की हाफ इयर्ली परीक्षा दिसंबर में होगी | ऐसे में छात्रों को अपनी गलती सुधारने और उसे दूर करने का पर्याप्त समय ही नहीं मिलेगा |
क्या बोलते हैं पिछड़े आंकड़े ?
गौरतलब है कि पिछले सत्र में भी दिसंबर में ही हाफ इयर्ली परीक्षा हुई थी। इस कारण प्री बोर्ड एक्जाम भी नहीं हो पाई थी। इसी के चलते 10वीं का परीक्षा परिणाम 58.10 प्रतिशत था जबकि सीबीएसई का 10वीं का रिजल्ट 93.60 प्रतिशत था। इसी तरह 12वीं का रिजल्ट भी सीबीएसई का करीब 30 प्रतिशत अधिक था |
फरवरी से 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। अब तक प्री-बोर्ड के लिए विभाग ने कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं क्योंकि इसके लिए टाइम ही नहीं बचेगा | अब देखना ये होगा की इस साल प्री बोर्ड्स न होने से छात्रों के रिजल्ट में कितना अंतर दिखता है |
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