Indore की रंग पंचमी क्यों है विश्व प्रसिद्ध | 300 सालों की है परंपरा

पहले 20 तोपों की सलामी के साथ गेर का आगाज़ होता था और होलकर महाराज प्रजा के साथ होली खेलते थे. इस बार भी रंगपंचमी पर जो गेर निकाली जाएगी उसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है....अब इंदौर के लोग घरों की छतों को बुक करा सकते हैं और गेर का मजा ले सकते हैं।

Advertisment
author-image
ATUL DWIVEDI
New Update
े

इंदौर की गेर में इस बार क्या है खास

होली के बाद अगर आप अब होली को मिस कर रहे हैं तो आपका इंतजार इंदौर की रंग पंचमी की गेर में खत्म हो सकता है। इंदौर की रंगपंचमी इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें बड़े स्तर पर गेर निकाली जाती है। इसमें हजारों किलो गुलाल और पानी से लाखों लोगों को भिगोया जाता है. यह परंपरा 300 साल से चली आ रही है. इसलिए कहा जाता है कि इंदौर की गेर गैरों को भी अपना बना लेती है. पहले 20 तोपों की सलामी के साथ गेर का आगाज़ होता था और होलकर महाराज प्रजा के साथ होली खेलते थे. इस बार भी रंगपंचमी पर जो गेर निकाली जाएगी उसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है....अब इंदौर के लोग घरों की छतों को बुक करा सकते हैं और गेर का मजा ले सकते हैं। अब जरा आपको ये भी बता देते हैं कि आखिर इंदौर में इस गेर की शुरूआत कैसे हुई...

भारत की आजादी के साथ रियासत का दौर खत्म होने के बाद 1950 में एक नई शुरुआत हुई और वह शुरुआत रंग पंचमी पर निकलने वाली गैरों से हुई. टोरी कॉर्नर इंदौर का मशहूर इलाका था, जहां से मिल मजदूर, मजदूरों के नेताओं ने मिलकर इसकी शुरुआत की. टोरी कॉर्नर पर बड़े-बड़े कड़ाव साबुन फैक्ट्री से मंगाए जाते थे और उनमें केसरिया रंग डाला जाता था. यह रंग लोगों पर डाला जाता था और लोगों को कड़ाव में डाला जाता था. यह शुरुआत थी इंदौर की नई गैर की और उस जमाने के मशहूर बाबूलाल गिरी, रंगनाथ कार्णिक पहलवान, बिंडी पहलवान ने मिलकर इसकी शुरुआत की और शुरुआती दौर में सिर्फ दो बैलगाड़ियों पर यह रंगारंग गैर टोरी कॉर्नर से राजवाड़ा लाई गई.

तो अगर आप भी गेर का आनंद लेना चाहते हैं तो रंगपंचमी पर इंदौर का टिकट बुक करा लें। 

Indore Rang Panchami रंग पंचमी