जैन समाज में अष्टद्रव्य से होती हैं शादियां, जानें महत्व और कारण

जैन समाज की शादियाँ भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें धार्मिक रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं। यह केवल सामाजिक समझौता नहीं, बल्कि एक धार्मिक संस्कार है, जो जैन आस्थाओं और सिद्धांतों के अनुरूप होता है।

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Manya Jain
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जैन समाज की शादियां भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं और इनमें धार्मिक रस्मों और परंपराओं का विशेष महत्व है। जैन विवाह केवल एक सामाजिक समझौता नहीं, बल्कि यह एक धार्मिक संस्कार भी है।

विवाह की प्रक्रिया में पारंपरिक पूजा, धार्मिक कृत्य, और सम्मानजनक रस्में निभाई जाती हैं, जो जैन समाज के धार्मिक सिद्धांतों और आस्थाओं के अनुरूप होती हैं।

💍 जैन विवाह की शुरुआत

जैन समाज में विवाह की प्रक्रिया पारंपरिक रूप से परिवारों द्वारा की जाती है। पहले एक प्रस्ताव (विवाह प्रस्ताव) दिया जाता है और दोनों परिवारों की मुलाकात होती है।

विवाह का निर्णय दोनों परिवारों की सहमति से लिया जाता है। यह मुलाकात धार्मिक स्थलों जैसे मंदिरों में भी हो सकती है, ताकि विवाह के फैसले को धार्मिक आशीर्वाद भी मिले।

🕊️ अष्ट द्रव्य पूजा से होती है शादी

जैन विवाह में एक महत्वपूर्ण रस्म है अस्ट द्रव्य पूजा, जिसमें आठ प्रकार के द्रव्य (पदार्थ) का उपयोग किया जाता है। ये द्रव्य शुद्धता, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक होते हैं।

इस पूजा का उद्देश्य विवाह के रिश्ते को सशक्त और शुद्ध बनाना होता है। अस्ट द्रव्य पूजा में शामिल द्रव्य होते हैं:

  1. चावल (अक्षत) - यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।

  2. घी - यह पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक होता है।

  3. पानी - जीवन और शुद्धता का प्रतीक।

  4. धूप - सुख और समृद्धि के लिए।

  5. फूल - सौंदर्य और जीवन की मिठास।

  6. नैवेद्य (मिठाई) - जीवन के आनंद और समृद्धि के लिए।

  7. सिंदूर - एकता और रिश्ते की स्थिरता का प्रतीक।

  8. चांदी या सोने का सिक्का - आशीर्वाद और समृद्धि का प्रतीक।

इन द्रव्यों के साथ पूजा करते हुए विवाह के साथ-साथ जीवन के सभी पहलुओं में सफलता की कामना की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से विवाह के दिन की जाती है।

💖 विवाह की रस्में

जैन समाज में विवाह की रस्मों का पालन बेहद पवित्रता और सादगी से किया जाता है। विवाह के दिन को बहुत ही धार्मिक और पारिवारिक रूप से मनाया जाता है।

  1. मंगल कलश स्थापना: विवाह के आरंभ में एक मंगल कलश की स्थापना की जाती है। इसमें पानी, आम के पत्ते और स्वास्तिक का चिन्ह बना होता है। यह एक शुभ संकेत होता है।

  2. सप्तपदी: यह एक प्रमुख रस्म है जिसमें दूल्हा और दुल्हन सात फेरे लेते हैं और सात वचन लेते हैं।

  3. कन्यादान: जैन समाज में कन्यादान बहुत पवित्र माना जाता है। इसमें दूल्हे के माता-पिता दुल्हन के माता-पिता से कन्या का हाथ लेते हैं।

🌸 धार्मिक आशीर्वाद और विदाई

विवाह के अंत में दुल्हन को धार्मिक आशीर्वाद दिए जाते हैं, और वह अपने नए जीवन के लिए तैयार होती है। दुल्हन का पारंपरिक विदाई समारोह होता है, जिसमें माता-पिता अपनी बेटी को विदा करते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

विवाह समारोह के दौरान कई गीत और भजन गाए जाते हैं, जो पूरे माहौल को धार्मिक और खुशी से भर देते हैं।

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