शादी के बाद गलतफहमियों से बचने के लिए जरूरी है मैरिज काउंसलिंग ? जानें क्यों

शादी में समस्याएं उत्पन्न होना सामान्य है। मैरिज काउंसलिंग एक प्रभावी उपाय है, जो गलतफहमियों और मतभेदों को सुलझाने में मदद करता है। हम जानेंगे कि कब और क्यों मैरिज काउंसलिंग लेना चाहिए।

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Manya Jain
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शादी एक विशेष बंधन है जो दो व्यक्तियों के बीच भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक रिश्ते को जोड़ता है। लेकिन, हर शादी में कभी न कभी कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जो दो लोगों के बीच मतभेद, गलतफहमियां या संवाद की कमी के कारण हो सकती हैं।

इस तरह की स्थिति में मैरिज काउंसलिंग एक प्रभावी कदम हो सकता है। यह लेख आपको बताएगा कि मैरिज काउंसलिंग कब और क्यों लेनी चाहिए।  

🧠 मैरिज काउंसलिंग क्या है?

मैरिज काउंसलिंग एक प्रोफेशनल मेन्टल हेल्थ सेवा है, जिसमें एक काउंसलर या थैरेपिस्ट शादीशुदा जोड़ों को अपने रिश्ते में आ रही समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है।

यह काउंसलिंग संवाद, समझ और आपसी संबंधों को सुधारने के लिए होती है। इसमें काउंसलर दोनों पक्षों की समस्याओं को सुनकर उन्हें समाधान सुझाते हैं, ताकि वे अपने रिश्ते को मजबूत बना सकें।

💔 मैरिज काउंसलिंग कब लेनी चाहिए?

  1. लगातार झगड़े और तनाव: यदि दंपत्ति के बीच अक्सर बहस और झगड़े हो रहे हैं, और समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है, तो काउंसलिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

  2. आपसी संवाद की कमी: यदि आप और आपके जीवनसाथी के बीच संवाद की कमी हो गई है, और आप अपनी भावनाओं या विचारों को सही तरीके से साझा नहीं कर पा रहे हैं, तो काउंसलिंग इसमें मदद कर सकती है।

  3. विश्वास की कमी: यदि आप या आपके साथी के बीच विश्वास टूट गया है, जैसे कि धोखा देने या झूठ बोलने की स्थिति, तो इसे ठीक करने के लिए काउंसलिंग आवश्यक हो सकती है।

  4. भावनात्मक दूरियां: जब दंपत्ति के बीच भावनात्मक अंतराल उत्पन्न हो जाए, तो काउंसलिंग रिश्ते को फिर से जोड़ने का काम करती है।

  5. बच्चों के प्रति जिम्मेदारी का दबाव: शादी के बाद बच्चों की जिम्मेदारी और परिवार की अन्य समस्याएं रिश्ते में तनाव पैदा कर सकती हैं। ऐसे में काउंसलिंग दंपत्तियों को सहयोग देने का एक तरीका हो सकती है।

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मैरिज काउंसलिंग के कई फायदे हैं, जो रिश्ते को स्थिर और खुशहाल बनाने में मदद करते हैं।

  1. संवाद में सुधार: काउंसलिंग से दंपत्ति के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे वे अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकते हैं।

  2. समझ बढ़ाना: यह दंपत्तियों को एक-दूसरे की भावनाओं, विचारों और दृष्टिकोण को समझने में मदद करती है, जिससे रिश्ते में सामंजस्य आता है।

  3. धैर्य और सहनशीलता: काउंसलिंग से धैर्य और सहनशीलता बढ़ती है, जो किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

  4. रिश्ते को नया जीवन देना: काउंसलिंग का मुख्य उद्देश्य है रिश्ते में सुधार लाना और पुराने तनावों को समाप्त करना। इससे दंपत्ति को नया जीवन और खुशहाली मिल सकती है।

  5. व्यक्तिगत विकास: काउंसलिंग केवल रिश्ते में सुधार करने में मदद नहीं करती, बल्कि यह व्यक्तित्व विकास के लिए भी सहायक होती है। इसमें व्यक्ति अपने व्यक्तिगत मुद्दों पर भी ध्यान दे सकता है।

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