क्या है प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन, अपने पार्टनर से इसकी शुरुआत कैसे करें

शादी से पहले प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दोनों पार्टनर्स को अपनी उम्मीदों, विचारों और जीवन के लक्ष्यों को समझने का मौका देता है, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद को रोका जा सकता है।

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Kaushiki
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हमारे समाज में शादी को एक नई जिंदगी की शुरुआत माना जाता है। एक ऐसा कदम, जिसमें दो लोग अपनी जिंदगी के बाकी हिस्से को एक साथ बिताने का फैसला करते हैं। लेकिन, इससे पहले कि यह बंधन और भी मजबूत हो, बहुत जरूरी है कि दोनों पार्टनर्स आपस में अपनी उम्मीदों, सोच और विचारों को साझा करें। इसे हम ‘प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन’ कहते हैं।

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प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन क्या है

प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन वह कन्वर्सेशन है, जो किसी भी शादी से पहले दोनों पार्टनर्स के बीच होना चाहिए। इस बातचीत का उद्देश्य यह समझना होता है कि दोनों के बीच जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार मिलते हैं या नहीं और क्या शादी से पहले दोनों के बीच किसी भी प्रकार के मतभेदों को सुलझाया जा सकता है। यह एक तरह से उस बुनियाद को मजबूत करने जैसा है, जिस पर एक सफल और खुशहाल शादी का निर्माण होता है।

क्यों जरूरी है प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन

समझ बढ़ाना: 

प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन के दौरान, आप अपने साथी को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। आप जान सकते हैं कि उनके लिए क्या महत्वपूर्ण है, उनके जीवन के लक्ष्य क्या हैं, और वे किस तरह की शादी चाहते हैं। इससे बाद में कोई गलतफहमी और अनावश्यक तनाव से बचा जा सकता है।

आपसी उम्मीदें जानना:

शादी से पहले यह जानना जरूरी होता है कि दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे से क्या उम्मीदें रखते हैं। उदाहरण के लिए, घर के कामों में किसकी भूमिका होगी, वित्तीय प्रबंधन कैसे होगा, बच्चों के मामले में दोनों की सोच क्या है, इत्यादि। इन मुद्दों पर खुलकर बात करने से बाद में किसी भी तरह के संघर्ष को रोका जा सकता है।

समस्या सुलझाने की क्षमता:

हर रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते हैं। जब दोनों पार्टनर्स पहले से ही एक-दूसरे के दृष्टिकोण और मानसिकता को समझ लेते हैं, तो वे रिश्ते में आने वाली किसी भी समस्या का समाधान बेहतर तरीके से कर पाते हैं।

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कन्वर्सेशन की शुरुआत कैसे करें

अब सवाल यह आता है कि इस प्रकार की बातचीत की शुरुआत कैसे की जाए? अक्सर लोग शादी से पहले ऐसी बातों से बचते हैं, लेकिन यह बहुत जरूरी होता है कि दोनों पार्टनर्स खुलकर और ईमानदारी से बात करें।

आरामदायक माहौल बनाएं:

इस तरह की गंभीर बातचीत के लिए एक आरामदायक और शांत माहौल जरूरी है। दोनों पार्टनर्स को ऐसा महसूस होना चाहिए कि वे बिना किसी डर और तनाव के एक-दूसरे से अपनी भावनाएं साझा कर सकते हैं। हो सकता है कि पहले पहल दोनों पार्टनर्स को थोड़ी झिझक हो, लेकिन जब आप खुले दिल से बात करेंगे, तो यह आसानी से आगे बढ़ेगा।

इज्जत और समझदारी से बात करें:

यह जरूरी है कि आप अपनी बात को इज्जत और समझदारी से रखें। अपने पार्टनर को यह महसूस न होने दें कि आप उन पर दबाव डाल रहे हैं। दोनों पार्टनर्स को समान रूप से अपनी राय और विचार व्यक्त करने का मौका मिलना चाहिए।

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संवेदनशील मुद्दों से शुरुआत करें:

शुरुआत में हलके-फुलके मुद्दों पर बात करें जैसे छुट्टियों की योजना, पसंदीदा फिल्मों आदि के बारे में। इसके बाद, धीरे-धीरे और संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करें जैसे करियर, बच्चों, परिवार के साथ समय बिताने के तरीके, और जीवन के बड़े फैसले।

ईमानदारी बनाए रखें:

इस बातचीत का उद्देश्य किसी भी तरह का धोखा नहीं होना चाहिए। अपने पार्टनर से ईमानदारी से बात करें, भले ही वह आपको थोड़ा असहज या डरावना लगे। सही तरीके से संवाद करने से ही दोनों एक-दूसरे की इच्छाओं और ख्वाहिशों को समझ सकते हैं।

सुनना भी महत्वपूर्ण है:

सिर्फ अपनी बातें कहना ही नहीं, बल्कि अपने पार्टनर की बातों को भी अच्छे से सुनना चाहिए। उनकी चिंताओं, इच्छाओं और विचारों का सम्मान करें। इससे रिश्ते में समझ और विश्वास बढ़ता है।

प्री-मैरेटल कन्वर्सेशन कोई एक बार की बातचीत नहीं होती, बल्कि यह एक कंटीन्यूअस चलने वाली प्रोसेस है। यह किसी भी रिश्ते की मजबूत नींव रखने के लिए जरूरी है। जब दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे के विचारों, चिंताओं और उम्मीदों को समझते हैं, तो उनका रिश्ता और भी मजबूत और बेहतर बनता है। इस तरह की बातचीत से दोनों को एक-दूसरे के बारे में गहरी समझ मिलती है और वे शादी के बाद आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।

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