काबुल. अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान के आगे घुटने टेक दिए है। तालिबानियों ने पूरी तरह अफगानिस्तान को अपने शिकंजे में ले लिया है। सत्ता हस्तांतरण के बाद देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मुल्क छोड़ दिया है। वो ताजिकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं। उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने भी देश छोड़ दिया है। जानकारी के मुताबिक काबुल की पुलिस आत्मसमर्पण करने लगी है। वह अपने हथियार तालिबान को सौंप रही है।
मुल्ला बरादर पहुंचे थे सत्ता हस्तांतरण के लिए
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से सत्ता हस्तांतरण की बातचीत करने के लिए तालिबान के नंबर दो नेता मुल्ला बरादर पहुंचे थे। तालिबान की ओर से राष्ट्रपति के लिए जिन नामों पर विचार किया जा रहा है। उनमें मुल्ला बरादर का नाम सबसे ऊपर है। क्योंकि वे अफगानिस्तान में तालिबान के को-फाउंडर हैं।
देश की जनता को डरने की जरूरत नहीं- तालिबान
तालिबानी की ओर से इससे पहले कहा गया था कि वो बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से हल चाहते हैं। देश की जनता को तालिबान से डरने की जरूरत नहीं है। यहां किसी की जान, संपत्ति और सम्मान को खतरा नहीं होगा। लेकिन तालिबानियों की दहशत के कारण लोग राजधानी काबुल को छोड़कर भाग रहे हैं।
काबुल पर भी तालिबान राज
तालिबान ने अफगान सरकार के आखिरी किले काबुल को भी जीत लिया है। इसी के साथ तालिबान ने 20 साल बाद काबुल में फिर से अपनी हुकूमत कायम कर ली है। 2001 में अमेरिकी हमले के कारण तालिबान को काबुल छोड़कर भागना पड़ा था।