काबुल. तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जे के बाद भले ही अच्छे-अच्छे वादे किए हों, लेकिन जमीन पर कुछ भी उतरता नहीं दिख रहा। भारत और अफगानिस्तान के बेहतर रिश्तों के बावजूद तालिबान ने हमारे साथ आयात-निर्यात (Export-Import) दोनों ही बंद कर दिए हैं। न्यूज एजेंसी ANI से फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के डॉ. अजय सहाय ने कहा कि तालिबान ने इस वक्त सभी कार्गो मूवमेंट को रोक दिया है। हमारा माल अक्सर पाकिस्तान के रास्ते ही सप्लाई होता था, जो अभी रोक दिया गया है। फिलहाल हम अफगानिस्तान के हालात पर नजर रखे हुए हैं।
क्रूरता दिखा रहे दहशतगर्द
अफगानिस्तान से ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जिनमें दिख रहा है कि देश छोड़ने के लिए काबुल एयरपोर्ट पहुंचे लोगों पर तालिबान आतंकी कोड़े बरसा रहे हैं और उन पर धारदार हथियार इस्तेमाल कर रहे हैं। 18 अगस्त की रात काबुल एयरपोर्ट पर फिर से फायरिंग हुई। बताया जा रहा है कि ये फायरिंग भीड़ को कंट्रोल करने के लिए अमेरिकी सैनिकों ने चेतावनी के तौर पर की। काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी है। अमेरिका अपने लोगों को बाहर निकालने में लगा है। वहीं, हजारों अफगानी भी वहां से निकलने के लिए काबुल एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं, लेकिन तालिबान उन्हें गेट पर ही रोक रहा है।
6 देश अफगानों को शरण देने पर राजी
तालिबान के कब्जे के बाद अब लोग देश छोड़ने पर आमादा हैं, 6 देशों ने अफगानों को शरण देने की बात कही है।
1. ब्रिटेन: सरकार तकरीबन 20 हजार अफगान शरणार्थियों को बसाएगी। इनमें से पांच हजार शरणार्थी पहले ही साल में यूके में बसाए जाएंगे। ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी कि अफगानिस्तान से भागकर आने वाली महिलाओं और अल्पसंख्यकों को ज्यादा से ज्यादा शरण दी जाए।
2. अमेरिका: शरणार्थियों को विस्कॉन्सिन में फोर्ट मैकॉय और टेक्सास के फोर्ट ब्लिस स्थित सैन्य ठिकानों पर रखा जाएगा। माना जा रहा है कि पहले चरण में ही अफगानिस्तान के 30 हजार नागरिकों को अमेरिका में बसाया जाएगा। इसके अलावा करीब 4 हजार आवेदकों और उनके परिवार, जिनको अमेरिका में सिक्योरिटी क्लीयरेंस नहीं मिली, उन्हें अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद किसी तीसरे देश में बसाया जाएगा।
3. भारत: सरकार ने 17 अगस्त को घोषणा की थी कि यहां आने की इच्छा रखने वाले अफगानों के लिए आपातकालीन ‘ई-वीजा’ जारी किया जाएगा। किसी भी धर्म के सभी अफगान नागरिक ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा’ के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में कहा था कि अफगानिस्तान में फंसे अल्पसंख्यकों को भारत में शरण देने के इंतजाम किए जाएंगे।
4. कनाडा: 15 को ही अफगानिस्तान में अपने दूतावास को बंद कर दिया और फिलहाल अफगान सरकार से अपने सारे राजनयिक रिश्तों को निलंबित कर दिया है। हालांकि, कनाडा की जस्टिस ट्रूडो सरकार ने पहले ही अफगान नागरिकों की मदद का ऐलान करते हुए कहा था कि वे 20 हजार लोगों को देश में पनाह देंगे।
5. अल्बानिया: सरकार ने अमेरिका की मदद करने वाले अनुवादकों के साथ सरकारी अफसरों और महिला नेताओं को अपने यहां शरण देने का आश्वासन दिया है। पीएम इदी रामा ने हाल ही में लिखा था कि नाटो का सदस्य होने के नाते हम अपने हिस्से का बोझ उठाने के लिए तैयार हैं।
6. ताजिकिस्तान: ताजिक सरकार ने अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए जुलाई में ही एक लाख अफगान नागरिकों को शरण देने का ऐलान कर दिया था। अफगानिस्तान के पड़ोस में होने की वजह से बड़ी संख्या में सैन्य अधिकारी भी ताजिकिस्तान में शरण देने की मांग कर चुके हैं।
क्या होगा अफगान शरणार्थियों का?
अफगानिस्तान की शरणार्थी समस्या आने वाले समय में पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने हाल ही में अनुमान जताया कि तालिबान के डर से करीब 4 लाख अफगान पहले ही अपने घर से भागकर विस्थापितों की तरह जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं। इनमें से अधिकतर अभी भी अफगानिस्तान में ही फंसे हैं। इसके अलावा अमेरिकी सेना के मिशन के दौरान 2020 के अंत तक करीब 29 लाख अफगान नागरिक घर में शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर हो गए थे। मई के बाद से करीब ढाई लाख अफगान अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं, इनमें से 80% महिलाएं और बच्चे हैं। फिलहाल UN की मानवाधिकार संस्था- UNHCR शरणार्थियों के रहने और जरूरत की चीजें मुहैया करा रही हैं।