नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में 15 जून 2020 को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। अब एक बार फिर चीन ने प्रोपैगेंडा वॉर के जरिए भारत को उकसाने की कोशिश की है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें चीनी सैनिक गलवान घाटी पर चीनी झंडा फहराते हुए देखे जा सकते हैं। दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो नए साल का है। जिस जगह पर झंडा फहराया जा रहा है, वह गलवान घाटी है, जहां पर सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
In the Galwan Valley near the border with #India, under the characters “Never yield an inch of land,” PLA soldiers send new year greetings to Chinese people on January 1, 2022. pic.twitter.com/NxHwcarWes
— Global Times (@globaltimesnews) January 1, 2022
सेना ने ये बताया: NDTV ने एक रिपोर्ट में सेना के सूत्रों के हवाले से दावा किया कि नए साल (New Year) के मौके पर चीन ने यह झंडा गलवान घाटी के विवादित क्षेत्र में नहीं फहराया। रिपोर्ट में कहा गया है चीन ने गलवान घाटी के अपने गैर विवादित हिस्से में झंडा फहराया है, ना कि गलवान में नदी के उस मोड़ के पास, जहां पर भारत-चीन सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था।
विपक्ष का सवाल: सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही विपक्ष एक बार फिर से सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि 'गलवान घाटी पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है। चीन को जवाब देना ही होगा। मोदी जी, चुप्पी तोड़ो।' इसके अलावा यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी ने भी ट्विटर पर लिखा- 'नव वर्ष के मौके पर भारत की गलवान घाटी में चीनी झंडा फहराया गया। 56 इंच का चौकीदार कहां है?'
गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है।
चीन को जवाब देना होगा।
मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2022
दो किमी पीछे हटी थीं दोनों सेनाएं
जून में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों की सेनाएं दो-दो किमी पीछे हटने को तैयार हो गई थीं। इसके बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता भी हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के विवादित क्षेत्र से दो-दो किमी पीछे हटने की पुष्टि भी हुई थी। गलवान झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुुए थे। चीन के करीब 40 सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने कभी इसकी पुष्टि नहीं की।