SWITZERLAND. कोरोनावायरस के बाद दुनिया में नया संकट गहरा गया है। कई देशों (70%) में पैर पसार चुके मंकीपॉक्स की बीमारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency) घोषित किया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेसियस ने कहा वैश्विक मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है।
"For all of these reasons, I have decided that the global #monkeypox outbreak represents a public health emergency of international concern," says WHO DG Dr Tedros Adhanom pic.twitter.com/USzn5CIQE2
— ANI (@ANI) July 23, 2022
भारत में अब तक तीन मामले
भारत में अब तक मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स का तीसरा मामला सामने आया था। जुलाई की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटे एक 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई थी। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया था कि मलप्पुरम का रहने वाला युवक छह जुलाई को अपने गृह राज्य (केरल) लौटा था और उसे 13 जुलाई से बुखार है। युवक का इलाज तिरुवनंतपुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। इससे पहले भारत में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला केरल के ही कन्नूर जिले में दर्ज किया गया था। 13 जुलाई को दुबई से कन्नूर लौटे शख्स में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उसका इलाज तिरुवनंतपुरम के परियारम मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। वहीं, पहला मरीज भी केरल में ही मिला था। 12 जुलाई को यूएई से कोल्लम पहुंचे व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखे थे।
क्या है मंकीपॉक्स, पहली बार कब मिला था इंसानों में
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्स वायरस (orthopox virus) है। इसमें चेचक (small pox) जैसे सिंप्टम्स होते हैं। हालांकि, यह अब तक चेचक से कम गंभीर है। यह पहली बार 1958 में शोध (research) के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। फिर 1970 में यह पहली बार इंसानों मे मिला।
मंकीपॉक्स के लक्षण
बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना, थकान और सुस्ती, मांसपेशियों में दर्द। बुखार के दौरान ध्यान रखें खुजली वाले दाने उठ सकते हैं। यह दाने चेहरे, हाथ से लेकर बॉडी के कई हिस्सों में हो सकते हैं।
इंफेक्शन से सिम्प्टम्स तक का समय
मंकीपॉक्स का इंफेक्शन से सिम्प्टम्स तक का समय (incubation period) 7-14 दिनों का होता है। लेकिन यह 5-21 दिनों का भी हो सकता है।
ऐसे फैलता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक तरह का जूनोसिस डिजीज (zoonosis disease) है। यह जानवर से इंसानों में फैलता है। यह बंदर, चूहा, गिलहरी जैसे जानवरों से फैलता है। यह वायरस इंफेक्टेड पर्सन के आंख, नाक और मुंह से भी फैल सकता है। यह एक तरह की छुआछूत बीमारी है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। मंकीपॉक्स के सिंप्टम्स दिखते ही टेस्ट कराएं।
एक आईसीएमआर की साइंटिस्ट के मुताबिक लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। तेज बुखार, शरीर में दर्द, दाने आदि जैसे असामान्य लक्षणों पर नजर रखें। वे लोग ऐसे लक्षणों पर खास नजर रखें जिन्होंने इंफेक्टेड देशों की यात्रा की हो।
मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते ही उनमें से निकलने वाले फ्लुइड का सैंपल टेस्ट कराएं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ऐसे वायरस के लिए रजिस्टर्ड लैब है।
फिजिकल कॉन्टैक्ट से बचें
WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स सेक्सुअल रिलेशंस (sexual relations) से भी फैल सकता है। समलैंगिक और बायसेक्सुअल (gay and bisexual) लोगों को इससे संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। CDC (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, इंफेक्टेड पर्सन से गले लगना या फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट से भी यह वायरस फैल सकता है।