नेपाईदॉ. म्यांमार की मानवाधिकार नेता और नोबेल शांति (Nobel Peace) पुरस्कार विजेता आंग सान सू की (Aung San Sui Kyi, 76) को 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें लोगों को सेना के खिलाफ भड़काने और प्राकृतिक आपदा कानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। म्यांमार सरकार ने उन्हें कई अन्य गंभीर अपराधों गलत तरीके से वॉकी-टॉकी रखने, ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का उल्लंघन का दोषी पाया गया। सू की वकील ने उन पर लगाए आरोपों को बेमतलब (Absurd) करार दिया।
ऐसे हुई सू की पर सुनवाई
द गार्जियन के मुताबिक, सू की पर कोर्ट में किस तरह सुनवाई हुई, इसकी कम ही जानकारी मिल पाई है। बताया जा रहा है कि उनकी सुनवाई एक तरह से बंद कोर्ट में हुई। इसमें किसी को जाने की इजाजत नहीं थी। इतना ही नहीं, सू की के वकील को भी जर्नलिस्ट्स से बात करने से रोका गया।
सजा की क्या वजह बता रहे एक्सपर्ट?
रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल फरवरी से आंग सान के ऊपर लगे आरोपों में इजाफा हो रहा है। सैन्य शासन के खिलाफ आवाज उठाने वालों में सू की प्रमुख हैं। सैन्य शासन जुंटा उन्हें अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानता है। इसी कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया। इससे पहले भी सू की 15 साल जेल में गुजार चुकी हैं। जुंटा चाहता है कि सू की अपनी बाकी की जिंदगी भी जेल में गुजारें।
फरवरी में हुआ उलटफेर
म्यांमार में 1 फरवरी 2021 की रात सेना ने तख्तापलट करते हुए सू की को नजरबंद (House Arrest) कर लिया था। मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग तब से देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा था कि 2023 में इमरजेंसी खत्म कर दी जाएगी और आम चुनाव कराए जाएंगे। तख्तापलट के बाद म्यांमार में खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें 940 लोग मारे गए। म्यामांर में नवंबर 2020 में आम चुनाव हुए थे। इसमें सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। उनकी पार्टी ने निचले सदन (Lower House) की 330 में से 258 और उच्च सदन (Upper House) की 168 में से 138 सीटें जीतीं।
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