WASHINGTON. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने इतिहास रच दिया है। पहली बार किसी प्लैनेटरी डिफेंस टेस्ट (Planetary Defense Test) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इसे डार्ट मिशन (Dart Mission) नाम दिया गया था। अब भविष्य में धरती के ऊपर अगर किसी तरह के क्षुद्र ग्रह (एस्टेरॉयड) के टकराने की आशंका होती है तो इस तकनीक से धरती को बचाया जा सकता है। हमारी पृथ्वी को भविष्य में सबसे ज्यादा खतरा किसी चीज से है तो वो एस्टेरॉयड हैं।
डार्ट मिशन ने 27 सितंबर 2022 यानी सुबह 4.45 बजे पर एस्टेरॉयड डिडिमोस (Didymos) के चंद्रमा जैसे पत्थर डाइमॉरफस (Dimorphos) से टकराया। इसके साथ ही डार्ट (Double Asteroid Redirection Test - DART) का मकसद पूरा हुआ। डाइमॉरफस किस दिशा में मुड़ा, इसका डेटा आने में थोड़ा वक्त लगेगा।
स्पेसक्राफ्ट ने टकराने से पहले एस्टेरॉयड का अध्ययन भी किया
डार्ट मिशन का स्पेसक्राफ्ट करीब 22,530 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से डाइमॉरफस से टकराया। टक्कर से ठीक पहले डार्ट मिशन ने डाइमॉरफस और एस्टेरॉयड डिडिमोस के वातावरण, मिट्टी, पत्थर और संरचना का अध्ययन किया। इस मिशन में काइनेटिक इम्पैक्टर टेक्नीक (Kinetic Impactor Technique) का इस्तेमाल किया गया।
हमारे सौर मंडल में करीब 20 लाख एस्टेरॉयड
एस्टेरॉयड (Asteroids) को उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह भी कहते हैं। इसे मीटीओराइट ( meteorite ) भी कहते हैं। एस्टेरॉयड को किसी ग्रह या तारे का टूटा हुआ टुकड़ा माना जाता है। ये पत्थर या धातु के टुकड़े होते हैं, जो एक छोटे पत्थर से लेकर एक किमी बड़ी चट्टान तक और कभी-कभी तो एवरेस्ट के बराबर तक हो सकते हैं। एक आकलन के मुताबिक, हमारे सौर मंडल में करीब 20 लाख एस्टेरॉयड घूम रहे है।
धरती के आसपास अंतरिक्ष में 8 हजार ऑब्जेक्ट्स घूम रहे
डिडिमोस (Didymos) का व्यास 2600 फीट है। डाइमॉरफस इसके चारों तरफ चक्कर लगाता है, उसका व्यास 525 फीट है। टक्कर के बाद दोनों पत्थरों के दिशा और गति में आए बदलावों का अध्ययन किया जाएगा। नासा ने पृथ्वी के चारों तरफ 8000 से ज्यादा नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO) का पता लगाया है। यानी ऐसे पत्थर जो धरती को खतरा पहुंचा सकते हैं। इनमें से कुछ 460 फीट व्यास से ज्यादा बड़े हैं। इनमें से एक भी पत्थर धरती पर गिरता है तो वह अमेरिका के एक राज्य को बर्बाद कर सकता है। समुद्र में गिरा 2011 में जापान में आई सुनामी से ज्यादा बड़ी आपदा ला सकता है।
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