WASHINGTON. अमेरिकी एजेंसी NASA ने ब्लैक होल से निकलती आवाज जारी की, इसमें ओम जैसी ध्वनि; जानें क्या होता है ब्लैक होल

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Atul Tiwari
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WASHINGTON. अमेरिकी एजेंसी NASA ने ब्लैक होल से निकलती आवाज जारी की, इसमें ओम जैसी ध्वनि; जानें क्या होता है ब्लैक होल

WASHINGTON. ब्रह्मांड अपार रहस्यों से भरा हुआ है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिकल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ब्लैक होल से निकलती एक ध्वनि (SOUND) जारी की है। ये ध्वनि भारतीय पवित्र मंत्र ओम जैसी सुनाई दे रही है। प्रकाश यानी लाइट निर्वात (Vaccum) में गमन करता है, लेकिन ध्वनि के लिए माध्यम की जरूरत होती है। अंतरिक्ष में निर्वात होने के कारण वहां कोई आवाज सुनाई नहीं देती। खाली अंतरिक्ष में ध्वनि तरंगें आगे नहीं बढ़ पातीं। हालांकि कई जगहों पर अंतरिक्ष में गैसे हैं, जिनके कारण ध्वनि तरंग ट्रैवल कर सकती हैं। 



नासा ने हाल ही में पर्सियस आकाशगंगा समूह के केंद्र में एक विशाल ब्लैक होल की ध्वनि को खोजा है। नासा ने ब्लैकहोल का साउंड जारी किया है। 250 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर इस क्लस्टर में गैस और प्लाज्मा के जरिए बढ़ने वाली वास्तविक ध्वनि तरंगों को खोजा गया है।



नासा ने ये कहा



यह धारणा गलत है कि अंतरिक्ष में कोई ध्वनि नहीं है, क्योंकि आकाशगंगा में वैक्यूम है, जिससे ध्वनि तरंगों को संचलन का कोई रास्ता नहीं मिलता। एक गैलेक्सी क्लस्टर में इतनी गैस है कि हमने वास्तविक ध्वनि को पकड़ लिया है। यहां एक ब्लैक होल की एंप्लीफाइड और अन्य डेटा के साथ मिक्स करके बनाई गई ध्वनि है। ये आवाज एक कंपन है, जो सुनने में बेहद डरावनी है। 




— NASA Exoplanets (@NASAExoplanets) August 21, 2022

 



ब्लैक होल से ओम की ध्वनि? 



नासा की ओर से जारी किए गए ब्लैक होल की आवाज में लोगों को ओम सुनाई दिया। कई लोगों ने नासा के वीडियो को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि अंतरिक्ष में ओम की आवाज गूंजती है। एक यूजर ने लिखा कि विज्ञान हमारे ऋषियों से पीछे है। विज्ञान ने आज जो खोजा है वह बहुत पहले ऋषियों ने खोज लिया था। वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि ओम शाश्वत है। वह ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद है।



ऐसे मिला ओम साउंड



2003 में ब्लैक होल को पहली बार ध्वनि से जोड़ा गया था और स्टडी के रूप में इस्तेमाल किया गया था। तब वैज्ञानिकों ने पाया था कि ब्लैक होल से पैदा होने वाला दबाव क्लस्टर की गर्म गैस में तरंग पैदा करता है। हालांकि, ये आवाज इतनी कम थी कि इंसानों को सुनाई नहीं देगी। खगोलीय डेटा का सोनिफिकेशन करके वैज्ञानिकों ने इसे बदल दिया ताकि ब्लैक होल की आवाज मनुष्यों को सुनाई दे सके।



...तो क्या हॉकिंग की थियरी मिल गई?



मॉडर्न आइंस्टीन कहे जाने वाले स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि इस दुनिया को बनाने वाला भगवान नहीं है। दुनिया भौतिकी के नियमों के मुताबिक अस्तित्व में आई। उनके मुताबिक बिंग बैंग गुरुत्वाकर्षण के नियमों का ही नतीजा था। हॉकिंग ने 1988 में आई अपनी बुक 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' में कहा था कि ईश्वर का अस्तित्व अनिवार्य तौर पर विज्ञान का विरोधी नहीं है। दुनिया के बनने में ईश्वर की भूमिका को परोक्ष रूप से स्वीकार करते हुए उन्होंने ये भी कहा था, अगर हम पूरी थियरी खोज सकें तो वह मानवीय तर्क की सबसे बड़ी जीत होगी। तभी हम ईश्वर का दिमाग समझ पाएंगे।



ये है ब्लैक होल



ब्लैक होल स्पेस में वह जगह है, जहां भौतिकी का कोई नियम काम नहीं करता। यहां बस गुरुत्वाकर्षण और अंधकार होता है। इसका गुरुत्वाकर्षण (ग्रेविटी) इतना ताकतवर होता है कि जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इसके खिंचाव से यह प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है। यानी ब्लैक होल में जो भी डाला जाएगा, वह बाहर नहीं निकलेगा।



आप इसे कुछ इस तरह समझें कि जब हम किसी टॉर्च से लाइट डालते हैं तो वह प्रकाश रिफ्लेक्ट होकर हमारी आंखों पर आता है, तभी वह चीज हमें दिखाई देती है, लेकिन प्रकाश वापस लौट कर ही नहीं आया तो वह जगह ब्लैक होल हो सकता है। ऐसा ही स्पेस में होता है।



जब कोई तारा अपने अंत की ओर पहुंचता है तो वह अपने ही भीतर सिमटने लगता है। धीरे-धीरे वह ब्लैक होल बन जाता है और फिर उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी बड़ जाती है कि उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाला हर ग्रह उसकी ओर खिंचकर अंदर चला जाता है। वह सब कुछ अपने में निगलने लगता है। इसके प्रभाव क्षेत्र को ही इवेंट होराइजन कहते हैं। 


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