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भोपाल. आज यानी 4 जनवरी के दिन दुनिया के दो महान वैज्ञानिकों का जन्म हुआ। पहले थे आइजक न्यूटन, 1643 में इनका जन्म हुआ। इन्होंने गुरुत्वाकर्षण बल की खोज की। जबकि 1809 में लुई ब्रेल का जन्म हुआ। ब्रेल को नेत्रहीन लोगों का मसीहा कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने ब्लाइंड लोगों का सहारा ब्रेल लिपी को खोज निकाला था। दोनों साइंटिस्ट की खोज विज्ञान की दुनिया में नई क्रांति लेकर आई। आइए डालते हैं एक नजर इनके जीवन पर।
प्लेग के कारण क्वारैंटाइन थे न्यूटन: कोरोना ने पिछले दो साल से करीब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन और क्वारैंटाइन (Newton quarantine research) जैसे शब्द भी पहली बार सुने, इसका हिस्सा भी रहे। लेकिन क्या आपको पता है, दुनिया इस तरह का क्वारैंटाइन पहले भी देख चुकी है। 1665 में आए ग्रेट प्लेग में न्यूटन (Isaac Newton Birthday) ने अपनी महान खोज की। सर आइजक न्यूटन की उम्र 23 साल रही होगी, जब लंदन में ग्रेट प्लेग ऑफ लंदन (Plag in london) फैल चुका था। उस समय सभी स्कूल और कॉलेज महामारी के चलते बंद कर दिए गए। न्यूटन उस समय ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज के छात्र हुआ करते थे।
पेड़ से गिरते सेब को देख कर आया गुरुत्वाकर्षण का ख्याल: न्यूटन का जन्म इंग्लैंड में हुआ था। प्लेग की वजह से न्यूटन ने अपना ज्यादातर समय क्वारैंटाइन में अपने घर पर बिताया। इसी दौरान वो फेमस घटना घटी जिसने गुरूत्वाकर्षण के सिद्धान्त (Newton principle) को खोजने में न्यूटन की मदद की। उन्होंने देखा की एक सेब पेड़ से जमीन पर गिर रहा है। उनके मन में सवाल आया कि यह सीधा जमीन पर क्यों गिरता है? इस मामले का विस्तार से अध्ययन करते हुए उन्होंने गुरूत्वाकर्षण के सिद्धान्त (principles of gravity) को सामने रखा।
सिर्फ गुरूत्वाकर्षण ही नहीं और भी हैं योगदान: किसी भी स्टूडेंट की फिजिक्स की क्लास न्यूटन के 3 गति के सिद्धान्त से शुरू होती है। उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है। 1665 में उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय (Binomial Theorem) की खोज की और एक गणितीय सिद्धान्त (Mathematical concept) विकसित करना शुरू किया। जिसे बाद में अत्यल्प कलन (Calculous) के नाम से जाना गया। न्यूटन ने कई ऐसे सिद्धान्त दिए हैं, जिनके बिना आज भी मार्डन साइंस अधूरी है। 31 मार्च 1727 को 84 साल की उम्र में इंग्लैंड में उनका निधन हो गया।
नेत्रहीनों के लिए वरदान है ब्रेल लिपि: ब्रेल लिपि का अविष्कार करने वाले लुई ब्रेल (Louis Braille Birthday) का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में हुआ था। अगर ब्रेल लिपि न होती तो शायद नेत्रहीन लोगों के लिए पढ़ाई-लिखाई करना आसान नहीं होता। यही कारण है कि हर साल विश्व में 4 जनवरी को ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बचपन में एक हादसे में उन्होंने अपनी आंखों की रोशनी खो दी। बचपन से अंधे नहीं थे, इसलिए हमेशा मुश्किलों का सामना किया। पढ़ने-लिखने में दिक्कत आती थी। यहीं से उन्हें ब्रेल लिपि का आइडिया आया। इसके बाद उन्होंने महज 17 साल की उम्र में ब्रेल लिपि (braille language) खोज निकाली।
16 का आंकड़ा ब्रेल के लिए खास रहा: सिर्फ 43 साल की उम्र में साल 1852 में ब्रेल की मृत्यु हुई। उनकी मौत के 16 साल बाद साल 1868 में 'रॉयल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ' ने इस लिपि को मान्यता दी। ये लिपि कागज पर अक्षरों को उभार कर बनाई जाती है। आज के वक्त में भारत समेत दुनिया के लगभग विश्व के सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है।