Colombo. गंभीर आर्थिक संकटों से जूझ रहे श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa Resignation News) ने 9 मई को इस्तीफा दे दिया है। लंबे समय से देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, जिसमें लोग उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था (Sri Lanka Economic Crisis) ध्वस्त होने के कारण राजपक्षे चौतरफा आलोचनाओं से घिरे थे। प्रदर्शनकारी महिंदा राजपक्षे के भाई और श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से भी अपने पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं।
एक महीने के अंदर दूसरी बार लगी इमरजेंसी
कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में सहायता के लिए सैन्य दल को विरोध स्थल पर तैनात किया गया है। 6 मई को एक विशेष कैबिनेट बैठक में राष्ट्रपति राजपक्षे ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी। यह दूसरी बार है जब श्रीलंका में लगभग एक महीने की अवधि में आपातकाल घोषित किया गया। वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है।
अंतरिम प्रशासन के गठन का दबाव
राजपक्षे का बयान देश में हिंसा की घटनाओं के बीच आया, जिसमें कम से कम 16 लोग घायल हो गए। महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने उनके आधिकारिक आवास के पास एकत्रित हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया जिसके बाद पुलिस को राजधानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा। महिंदा के छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार पर देश के सामने मौजूद सबसे भयावह आर्थिक संकट से निपटने के लिए अंतरिम प्रशासन के गठन का दबाव है। महिंदा राजपक्षे (76) पर उनकी अपनी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के नेताओं की ओर से इस्तीफे का दबाव था। वह इस दबाव के खिलाफ समर्थन जुटा रहे थे।
क्या चाहते हैं प्रदर्शनकारी?
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पूरा राजपक्षे परिवार राजनीति छोड़ दे और देश की कथित चोरी की संपत्ति लौटा दे। शक्तिशाली बौद्ध पादरियों ने भी अंतरिम सरकार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल पर इस्तीफा देने का दबाव डाला है। रविवार को, श्रीलंका के मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने कहा कि उसने देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता के बीच अपने नेता साजिथ प्रेमदासा को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया द्वारा पेश किए गये एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। वहीं, राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने देश में आपातकाल लगा दिया है।
जनता के सामने झुकी सरकार
वहीं, राजनीतिक सूत्रों ने पहले कहा था कि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सोमवार यानि आज प्रधानमंत्री पद से हटने की पेशकश कर सकते हैं। 76 वर्षीय महिंदा राजपक्षे पर, अपनी ही श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के भीतर से इस्तीफा देने के लिए भारी दबाव बन गया था, और इसके बाद ही उन्होंने अपने समर्थकों को विरोधियों पर दवाब बनाने के लिए इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। वहीं, महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे, जो श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, वो चाहते थे कि महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दे। लेकिन, वो खुद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति चाहते हैं कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाए, जिसमें सभी पार्टी शामिल हों। लेकिन, विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया है।