वारसॉ. 24 फरवरी से यूक्रेन पर शुरू हुए रूसी हमले जारी हैं। इस बीच, यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए मोदी सरकार ऑपरेशन गंगा चला रही है। वहीं, पोलैंड ने यूक्रेन युद्ध में फंसे भारतीयों के लिए वीजा मुक्त (Visa Free) प्रवेश की घोषणा की है। पोलैंड ने ऐसा फैसला क्यों लिया, इसकी वजह इतिहास में छिपी हुई है। दरअसल, जामनगर (गुजरात) के राजा रहे दिग्विजय सिंह का कर्ज चुकाने के लिए पोलैंड ने ये फैसला लिया है।
क्या हुआ था दूसरे वर्ल्ड वॉर में: हिटलर ने 3 सितंबर 1942 में पोलैंड पर आक्रमण कर दूसरे वर्ल्ड वॉर की शुरुआत की थी। उस समय पोलैंड के सैनिकों ने अपने देश की 500 महिलाओं और लगभग 200 बच्चों को एक जहाज में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया। पोलैंड सरकार ने कैप्टन से कहा कि इन्हें किसी भी देश में ले जाओ, जहां इन्हें शरण मिल सके। अगर जिंदगी रही, हम बचे रहे या ये बचे रहे तो दुबारा मिलेंगे...!!
500 पोलिश महिलाओं और 200 बच्चों को लिए पोलिश शिप ईरान के सिराफ बंदरगाह पहुंचा। वहां किसी को शरण क्या, उतरने की अनुमति तक नहीं मिली। शिप सेशेल्स चल पड़ा, वहां भी यही हुआ। अदन में भी शरणार्थियों को जगह नहीं मिली। समुद्र में भटकता-भटकता वो जहाज गुजरात के जामनगर के तट पर आया।
जामनगर रियासत ने दिखाया बड़ा दिल: जामनगर के तत्कालीन महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह ने ना केवल पोलैंड की 500 महिलाओं और 200 बच्चों के लिए अपना एक राजमहल (जिसे हवामहल कहते हैं) रहने के लिए दिया। साथ ही रियासत में बालाचढ़ी में सैनिक स्कूल में उन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था की। ये शरणार्थी जामनगर में 9 साल रहे।
पोलैंड में जाम साहब के नाम का स्कूल: आज भी हर साल उन शरणार्थियों के वंशज जामनगर आते हैं और अपने पूर्वजों को याद करते हैं। पोलैंड की राजधानी वारसॉ में कई सड़कों के नाम महाराजा जाम साहब के नाम पर हैं, उनके नाम पर पोलैंड में कई योजनायें चलती हैं। पोलैंड के अखबारों में जाम साहब दिग्विजय सिंह के बारे में आर्टिकल छपते हैं। निर्वासन में रह रहे पोलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री व्लादिस्लॉ सिरोर्स्की ने जाम साहब से पूछा था कि आपकी उदारता के लिए हम क्या कर सकते हैं? जाम साहब ने कहा कि जब आप आजाद हो जाएं तो मेरे नाम से एक स्कूल खुलवा दीजिएगा। अब जाम साहब दिग्विजय सिंह के नाम से पोलैंड में स्कूल है।